नई दिल्ली/ नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें ED ने इन नेताओं पर 988 करोड़ की मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया है साथ ही ED ने पीएमएलए की धारा 4 के तहत सजा मांग की है जिसमें 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। कोर्ट इस मामले की 25 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
ईडी ने 7 अप्रैल को विशेष जज विशाल गोगने की कोर्ट में अभियोजन शिकायत दायर की है इसमें नंबर एक पर सोनिया गांधी है उसके बाद राहुल गांधी सैम पित्रोदा, कांग्रेस नेता सुमन दुबे के अलावा दो कम्पनियां यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज को आरोपी बनाया गया है। ईडी ने पीएमएलए की धारा 44 – 45 के तहत मनी लांड्रिंग, धारा 70 के तहत कम्पनियों द्वारा अपराध के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। एजेंसी ने धारा 4 के तहत सभी आरोपियों की सजा मांगी है। कोर्ट अब इसकी 25 अप्रैल को सुनवाई करेगा और उसी दिन ईडी और जांच अधिकारी केस डायरी प्रस्तुत करेंगे।
ईडी का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने साजिश के तहत एसोसिएट जनरल्स लिमि (AJL) की 2 हजार करोड़ की संपत्तियों पर कब्जे के लिए उसका अधिग्रहण निजी स्वामित्व वाली कम्पनी यंग इंडियन के जरिए केवल 50 लाख रूपये में किया। इस कंपनी के 76 फीसदी शेयर सोनिया और राहुल गांधी के पास है। इस मामले में अपराध से अर्जित आय 988 करोड़ की मानी गई है। इससे संबद्ध संपत्तियों का बाजार मूल्य 5 हजार करोड़ रूपये बताया गया है।
खास बात है संभवतः यह पहला मामला है जिसमें ईडी की कार्यवाही निचली कोर्ट द्वारा निजी शिकायत पर संज्ञान लेने और आरोपियों को सम्मन जारी करने पर शुरू हुई, अब विशेष अदालत चार्जशीट पर संज्ञान लेते समय प्राथमिक अपराध से जुड़े कानूनी बिंदुओं पर भी विचार कर सकती है।
नेशनल हेराल्ड में घोटाले को लेकर 2012 में उस समय के बीजेपी राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने एजेएल का अधिग्रहण बाईआईएल में किया और इसमें नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों का दुर्पयोग हुआ है।
खास बात है सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कोर्ट ने 2015 में जमानत दी थी जब तक कोर्ट नया गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करता जमानत ओर फिलहाल कोई संकट नहीं हैं लेकिन भविष्य में कोर्ट के निर्णयों के आधार पर इसमें परिवर्तन हो सकते है। कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेता है तो औपचारिक रूप से आरोपी घोषित किया जायेगा इसके बाद ट्राइल की प्रक्रिया शुरू होगी। ट्राइल के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष अपने अपने साक्ष्य और तर्क कोर्ट में प्रस्तुत करेगा। तब कोर्ट तय करेगा कि जब्त की गई संपत्तियों पर सरकार का स्थाई नियंत्रण होगा या नहीं होगा?





