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धर्म जाति और भाषा के बंधन से दूर, सहिष्णुता और विविधता से परिपूर्ण है हमारा राष्ट्रवाद: प्रणव, समाज को एकजुट कर हम राष्ट्र को विश्व गुरू बनाना चाहते हैं कहा भागवत ने

Pranav Mukherji and RSS Chief
  • धर्म जाति और भाषा के बंधन से दूर, सहिष्णुता और विविधता से परिपूर्ण है हमारा राष्ट्रवाद: प्रणव
  • समाज को एकजुट कर हम राष्ट्र को विश्व गुरू बनाना चाहते हैं कहा भागवत ने

नागपुर / नागपुर के आरएसएस मुख्यालय पर हुए समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रवाद और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया,उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी धर्म भाषा और जाति से बंधा नही हैं और विविधता में एकता ही भारत की शक्ति हैं उन्होंने कहा सहनशीलता विविधता और सहिष्णुता में भारत बसता हैं।मुखर्जी ने यह भी कहा विवाद और हिंसा छोड़कर शांति के रास्ते पर चले।इससे पहले प्रणव मुखर्जी ने आरएसएस के संस्थापक के बी हेडगेवार के चित्र पर माल्यार्पण किया और विजीटर्स बुक में लिखा कि हेडगेवार भारत माता के सच्चे सपूत थे उनके प्रति मै सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

मुखर्जी ने कहा कि देशभक्ति से मतलब देश के प्रति हमारी आस्था और समर्पण है और सहिष्णुता हमारे देश की ताकत है हमारे राष्ट्र की परिभाषा यूरोप से अलग और 18 सौ साल पुरानी हैं और भारत वसुदेव कुटुम्बकम में विश्वास रखता हैं उन्होंने कहा धर्म और भाषा के आधार पर हमारे देश को परिभाषित करना गलत होगा यदि हम भेदभाव और नफ़रत करते हैं तो देश को खतरा हो सकता है उन्होंने कहा भारत विश्व में सुख और शांति चाहता हैं हमारे देश में कई बाहरी लोग और सैलानी आये और यही के होकर रह गये यह हमारे देश की पहचान हैं।पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि सहिष्णुता में भारत बसता हैं और हमारे देश के संविधान से राष्ट्रवाद की प्रेरणा मिलती हैं।

इससे पूर्व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह हमारा स्वाभाविक नित्यक्रम के कार्यक्रम हैं पक्ष विपक्ष की चर्चा का कोई महत्व नही हैं संघ संघ हैं और प्रणव प्रणव हैंउन्होंने कहा मुखर्जी न्याय और विचार सम्रद्ध होने के साथ अनुभवी होने के साथ हमारे आदरणीय हैं भागवत ने कहा को देश में विविधता के बावजूद सभी भारत पुत्र है, और संघ सम्पूर्ण समाज को एकसूत्र में बांधना चाहता हैं और संगठित समाज ही भाग्य परिवर्तन की कुन्जी है उन्होंने कहा हमारे देश में राजनीति और विचारधारा अलग अलग है पर सभी मिलकर रहते हैं और अनेकता में एकता के बावजूद सभी राष्ट्र पुत्र हैं भागवत ने कहा कि सरकारें काफ़ी कुछ कर सकती हैं लेकिन सभी कुछ नही कर सकती।

उन्होंने कहा कि हम भारत वासियों के पूर्वज एक हमारा डीएनए एक है परंतु शील के बिना शक्ति भी दानवीं हो जाती हैं भागवत ने कहा कि कुछ गलत होता हैं तो पुरातन समय से रहने वाले लोगों को दोषी माना जायेगा।उन्होंने यह भी कहा कि हम भारत को विश्व गुरू बनाना चाहते हैं जो सम्पूर्ण समाज की एकजुटता से ही संभव है।इस दौरान भागवत ने कहा कि 1925 में हेडगेवार ने मात्र 17 लोगों के साथ आरएसएस की नींव रखी थी आज वह देश में समाज सेवा का सबसे बड़ा संगठन हैं।

इस अवसर पर प्रणव मुखर्जी हेडगेवार के घर भी गये और उनकी पुरानी स्मृतियों को भी देखा,कार्यक्रम में भगवा ध्वज फ़हराया गया और नमस्ते सदा वत्सले मात्र भूमे गीत का गायन हुआ,और ध्वज को सलामी दी गई इस दौरान प्रणव मुखर्जी ने सलामी तो नही दी लेकिन सम्मान में खड़े जरूर रहे, इस मौके पर स्वंय सेवकों ने अपने फ़न का प्रदर्शन भी किया।

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