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बिहार में फ्लोर टेस्ट कल, नीतीश की हार होगी या जीत? विधायकों का गायब होना, क्या खेला होगा

Tejaswi and Nitish Kumar
Tejaswi and Nitish Kumar

पटना / बिहार में एनडीए गठबंधन की नीतीश कुमार की सरकार का फ्लोर टेस्ट 12 फरवरी सोमवार को है बड़ा सबाल है कि नीतीश कुमार फ्लोर टेस्ट में पास होंगे या फेल हो जाएंगे यदि फेल होते है तो एनडीए और खुद उनकी काफी किरकिरी होने वाली है यदि वह फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल कर लेते है तो वह बिहार की राजनीति में फिर देदीप्यमान हो उठेंगे।

जेडीयू नेता नीतीश कुमार 28 जनवरी को आरजेडी और महागठबंधन से अलग हुए और एनडीए में शामिल होकर उन्होंने बीजेपी के समर्थन से फिर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने जिस नेता ने इंडिया एलाइंस को खड़ा करने की पहल की और 28 दलों को एक मंच पर लेकर आए उन नीतीश कुमार के पाला बदल कर बीजेपी और एनडीए के साथ जाना इंडिया गठबंधन को करारा झटका कहा जायेगा। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पहले 5 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के जरिए अपना बहुमत सिद्ध करने का समय दिया था लेकिन बाद मैं तारीख में तब्दीली हुई और अब उन्हें 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट देना है। लेकिन जब बिहार में नीतीश ने पाला बदला तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अभी खेला होना बाकी है तभी से कयास लगाए जाने लगे कि फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार कही असफल तो नही हो जाएंगे।

बिहार के गणित पर नजर डाले तो बिहार में कुल 243 विधानसभा की सीटें है और 122 सीट का आंकड़ा बहुमत के लिए जरूरी है वर्तमान में जेडीयू पर 45 बीजेपी पर 75 और जीतनराम मांझी की पार्टी हम पर 4 विधायक है जबकि महागठबंधन की आरजेडी पर सबसे अधिक 79 कांग्रेस पर 19 और वामपंथी और अन्य पर 16 विधायक है इस तरह एनडीए पर 128 और महा गठबंधन पर 114 विधायक है। नीतीश सरकार को बहुमत सिद्ध करने में कोई दिक्कत नही आना चाहिए लेकिन विधायकों की गोलबंदी कुछ अलग ही संकेत दे रही है।

इन अटकलों को तब हवा मिली जब सबसे पहले कांग्रेस ने अपने 19 में से 17 विधायकों को अहमदाबाद रवाना कर दिया। इस तरह कांग्रेस के 2 विधायक गायब बताएं जाते है। लेकिन उससे अधिक आश्चर्य तब हुआ जब बीजेपी ने 10 और 11 जनवरी का प्रशिक्षण शिविर बताकर अपने विधायकों को बोध गया भेज दिया,अचरज इसलिये कि बीजेपी खुद को सबसे ज्यादा अनुशासित पार्टी बताती है बीजेपी जरूर प्रशिक्षण का नाम ले रही है लेकिन नीतीश सरकार बचाने के लिए उसे भी पहली बार अपने विधायकों की घेराबंदी करना पड़ रही है। जबकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के 2 विधायक बोधगया नही पहुंचे है जो बड़ी बात हैं।

इधर जेडीयू में भी हड़बड़ाहट साफ देखी जा रही है आनन फानन उसके नेता श्रवण कुमार ने नेतृत्व के निर्देश पर सभी विधायकों को एकजुट करने की गरज से अपने यहां एक सामूहिक भोज रखा लेकिन मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसमें जेडीयू के 5 से 6 विधायक नही पहुंचे अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक़ इस भोज से 9 विधायक गायब रहे। जबकि एक दिन पहले आज मंत्री विजय कुमार चौधरी के घर पर जेडीयू विधायकों की बैठक हुई जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल हुए लेकिन बड़ी बात है कि इस बैठक में 45 में से 41 विधायक ही मौजूद रहे। जबकि आरजेडी ने भी अपने विधायकों की घेराबंदी कर डाली सभी विधायकों को तेजस्वी यादव ने बैठक के बहाने अपने निवास पर बुलवाया फिर सभी को 12 फरवरी सुबह तक वही रहने का फरमान सुनाया लेकिन बताया जाता है आरजेडी के भी 2 विधायक बैठक में शामिल होने नही पहुंचे।

इधर हम पार्टी प्रमुख जीतमराम माझी के बिहार में 4 विधायक है उन्होंने नीतीश सरकार में अपनी भागीदारी बड़ाने की बात कहकर मुश्किल पैदा कर दी है वे अब मंत्रिमंडल में दो मंत्री की मांग कर रहे है जबकि वे एक राज्यसभा भी चाहते है उन्हें चुनाव बाद का आश्वासन दिया गया है बताया जाता है वामपंथी नेता महबूब आलम माझी का दिल टटोलने गत रोज गए थे लेकिन उन्होंने फिलहाल महागठबंधन या आरजेडी को समर्थन देने से इंकार कर दिया है साफ है वह एनडीए में ही रहेंगे लेकिन इस दौरान वे अपने फायदे की जरूर सोच रहे हैं।

लेकिन इस बीच एक पैच और भी है वर्तमान में बिहार विधानसभा के सभापति अवध बिहारी चौधरी है जो आरजेडी पार्टी के है नीतीश कुमार कभी नहीं चाहेंगे कि उनके रहते फ्लोर टेस्ट हो जबकि महागठबंधन और आरजेडी चाहेगी कि वही फ्लोर टेस्ट करवाए। इससे लगता है कि नीतीश कुमार फ्लोर टेस्ट से पहले उन्हें हटाने के लिए मतदान कराने के लिये पहल कर सकते हैं।

बिहार में हो रहे इस उलटफेर के बीच बिहार की जनता के साथ पूरे देश की निगाहें 12 फरवरी पर लगी है कि नीतीश कुमार की सरकार रहती है यह फिर गिर जायेगी ? लेकिन यह भी हो सकता है कि जो विधायक बुलाने पर नही पहुंचे उनकी कुछ पारिवारिक या व्यक्तिगत परेशानियां हो सभी दगा देने वाले नही हो सकते। अब फैसला आने में कुछ घंटे शेष बचे है लेकिन इन सभी दलों और उसके नेताओं की धड़कने जरूर बड़ गई होंगी।

Tags : Politics
Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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