जोशीमठ / उत्तराखंड राज्य की देवभूमि जोशीमठ और यहां के रहवासी धीरे धीरे बर्बादी की ओर बढ़ रहे है चिंता और बेघर होने के डर से आज उनकी रातें आंखों में कट रही हैं आज स्थानीय प्रभावितो ने सड़कों पर पैदल मार्च निकाला और धरना दिया उनकी मांग है कि उन्हें उचित पूरा मुआवजा और राहत देने के साथ जोशीमठ को बर्बाद करने वाला एनटीपीसी प्रोजेक्ट को बंद किया जाएं। जबकि आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्थानीय लोगो के यहां पहुंचे और उनसे मिले और कंबल वितरित किए। खास बात है सरकार की रोक के बावजूद जोशीमठ के पहाड़ों की कटाई और तोड़फोड़ कर उनको छलनी किए जाने का कार्य आज भी बदस्तूर जारी है
एक तरफ उत्तराखंड सरकार ने प्रभावितों 1लाख 50 हजार का मुआवजा देने का ऐलान किया है और शिफ्टिंग चार्ज के रूप में 50 हजार एडवांस देने को भी कहा हैं साथ ही 6 माह तक 4 हजार रुपए प्रति माह मकान किराया देने की हांमी भी भरी है बुद्धवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीपीठ पहुंचे और प्रभावित परिवारों से मिले और उन्होंने घर में मोजूद महिलाओं को कंबल भी वितरित किए।
लेकिन जोशीमठ के लोगों में भारी आक्रोश है लोगों का कहना है कि एनटीपीसी की वजह से हम और हमारा जोशी मठ बरबाद हुआ है पहले उसको बंद किया जाएं जबकि जोशीमठ पहले से ही संवेदनशील है मिश्रा रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी गई थी कि यहां के प्राकृतिक स्वरूप में छेड़छाड़ हुई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे उसके बाद भी यहां एनटीपीसी प्रोजेक्ट को लाया गया उसकी विस्फोटक कार्यवाही हमारी तबाही का बड़ा कारण है पहले इस प्रोजेक्ट को बंद किया जाए। स्थानीय लोगो का कहना है मुख्यमंत्री कंबल बांट रहे है हमें कंबल नही चाहिए उन्हे हम लोगो जमीन मकानों का पूरा मुआवजा देना चाहिए यह भ्रमित करने की बात कर रहे है हम बता देना चाहते है यह देवभूमि है इसका परिणाम मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी को जरूर भोगना होगा।
एक महिला ने आरोप लगाया कि एनटीपीसी प्रोजेक्ट का काम बंद होने की बात कही जा रही है लेकिन ऐसा नहीं है एनटीपीसी परियोजना का काम आज भी जारी है उसकी बात भी पूरी तरह सच है इतना सब हो जाने और सरकार और प्रशासन के सभी विकास एवं निर्माण कार्यों पर रोक के बावजूद जोशीमठ के पहाड़ों को इस आपदा के दौरान बड़ी बड़ी जेसीबी मशीनों और बुलडोजर से तोड़ा जा रहा है पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है हां दिन में नही अर्धरात्रि में यह काम जोरदार तरीके से आज भी जारी है जबकि यहां भूस्खलन हो रहा है जेपी कॉलोनी सहित शहर के कई जमीन और मकानों से मटमेले परनाले बह रहे है मकान दरारों से फट रहे है लोग सड़कों पर आ गए हैं। लेकिन विकास के नाम पर जोशीमठ और वहां के पहाड़ छलनी किए जा रहे है। जबकि भूगर्भ विशेषज्ञ पहले चेतावनी दे चुके है यदि विकास कार्य नहीं रोके गए तो जोशीमठ का अस्तित्व समाप्त भी हो सकता हैं।
जैसा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ देवभूमि है जो बद्रीनाथ से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल है यहां के 723 मकान गहरी दरारें आने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं जिनको डेंजर बताते हुए उनपर लाल निशान लगाएं गए है इसमें दो होटल भी शामिल है जिन्हे ढहाया जाना हैं लेकिन स्थानीय लोग अपने क्षतिग्रस्त मकान से जाने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है पहले बद्रीनाथ की तर्ज पर हमें पूरा मुआवजा दिया जाए जबकि सरकार उन्हे उत्तरकाशी की तर्ज पर मुआवजा दे रही हैं जो उन्हें मंजूर नहीं हैं।