- कर्नाटक का हाई वोल्टेज ड्रामा ख़त्म्, शक्ति परीक्षण से पहले ही येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा,
- जेडीएस खुश तो कांग्रेस को मिली नई ऊर्जा
बैंगलोर / कर्नाटक के सियासी नाटक पर पूरे 55 घंटे बाद पर्दा गिर गया हैं येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने से पहले ही हथियार डाल दिये और राज्यपाल बजूभाई वाला को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफ़ा सौप दिया। इसके बाद मौजूद कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों की खुशी साफ़ झलक रही थी ।इससे साफ़ होता हैं कि येदियुरप्पा समझ गये थे कि सदन में वे अपना बहुमत सिद्ध नही कर पायेंगे। येदियुरप्पा के इस्तीफ़े के बाद बीजेपी के सभी विधायक सदन से बाहर जाने लगे और उन्होंने सदन की समाप्ति पर होने वाले राष्ट्रीय गान में हिस्सा भी नही लिया।
इससे पूर्व सदन में अपने संबोधन में येदियुरप्पा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि संवैधानिक मूल्यों पर कांग्रेस का कोई विश्वास नही है और सत्ता के लिये कांग्रेस कुछ भी कर सकती हैं जबकि कर्नाटक की जनता ने बीजेपी को अपना जनमत दिया लेकिन कांग्रेस ने जेडीएस से मिलकर साजिश रची और ऐसा करके कांग्रेस और जेडीएस दौनो दलों ने कर्नाटक की जनता के साथ विश्वासघात किया है आगे वह उन्हें माफ़ नही करेगी।
खास बात हैं कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका खास रही जिसने बहुमत सिद्ध करने के राज्यपाल के 15 दिन के फ़ैसले पर आपत्ति जताते हुए उसे बदल दिया और 24 घंटे में बहुमत सिद्ध करने के आदेश दिये जिससे बीजेपी को बहुमत सिद्ध करने के लिये जोड़तोड़ करने का समय नही मिला। यही बजह रही कि संभावित हार के चलते येदियुरप्पा ने शक्ति परीक्षण से पहले ही सदन में मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफ़े का ऐलान कर दिया जिससे कांग्रेस और जेडीएस के विधायको में खुशी छा गई साथ ही कर्नाटक और देश में कांग्रेस को जश्न मनाने का मौका मिल गया। साथ ही बीजेपी विधायको के राष्ट्रगान में शामिल नही होने से कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का एक मौका भी मिल गया।