मुम्बई/ महाराष्ट्र के चुनाव में बीजेपी गठबंधन वाली महायुति ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, लेकिन पूरे 7 दिन हो गए लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा यह उसके नाम का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने ग्रहगांव सतारा में जाकर बैठ गए है। इस बीच शनिवार को अचानक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने चौंकाने वाली जानकारी देते हुए बताया 5 दिसंबर को महाराष्ट्र की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा।
महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को एक बयान में बताया कि महाराष्ट्र की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को शाम 5 बजे मुंबई के आजाद मैदान में होगा और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से सम्मिलित होंगे। लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर कौन शपथ लेगा इसकी कोई जानकारी नहीं दी है जिससे सस्पेंस पैदा हो गया है।
तीन दिन पहले दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ शिवसेना प्रमुख और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, और एनसीपी नेता अजित पवार के बीच एक मीटिंग हुई थी सूत्रों के मुताबिक यह बैठक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद और मंत्रीमंडल को लेकर हुई थी। चूंकि भाजपा 132 सीट जीती है और मुख्यमंत्री पद पर उसका दावा है इसके चलते मुख्यमंत्री के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे ऊपर समझा जा रहा है। अमित शाह के साथ मीटिंग के बाद सभी नेता मुंबई लौट आए थे कहा जा रहा है अमित शाह ने बीजेपी और अपनी मंशा जाहिर करते हुए तीनों से मुंबई में बैठकर अन्य मुद्दों पर अंतिम निर्णय लेने को कहा था लेकिन लौटकर आने के बाद एकनाथ शिंदे अचानक सतारा अपने गृहगांव रवाना हो गए और इन तीनों नेताओं की गुरूवार को जो मीटिंग होना थी वह कैंसिल हो गई। जबकि शिंदे गुट के एक नेता ने इसकी सफाई भी दी कि एकनाथ शिंदे की तबियत नासाज है और नाराजी का कोई सबाल ही नहीं है। बताया जाता है एक तरफ़ मुख्यमंत्री को लेकर एकराय नहीं बन पा रही है दूसरी तरफ शिंदे गुट मंत्रीमंडल में गृहमंत्री और वित्त मंत्री का पद भी चाहती है चूंकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना जो 57 सीट जीतकर आई है वह अपने विधायकों सम्मान के साथ उन्हें संतुष्ट करना भी जरूर चाहेंगी।
लेकिन महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और सरकार के बिलंब होने से राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि बीजेपी हाईकमान कही देवेंद्र फडणवीस की जगह कोई बिल्कुल नया नाम सीएम के लिए प्रपोज न कर दे, क्योंकि भाजपा हाईकमान इससे पहले राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ऐसा निर्णय ले भी चुका है और वह बड़े नामों को छोड़कर मुख्यमंत्री पद पर वह अपनी पार्टी से बिल्कुल नया नाम आगे बड़ा सकती है।