ग्वालियर- हाल ही में हिन्दी साहित्य को बढावा देने वाले ग्वालियर के गौरव श्रीधर पराडकर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा विवेकानंद सम्मान से सम्मानित करने के बाद रविवार को ग्वालियर में उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। इस मौके पर हरियाणा प्रदेश के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि आसक्ति के बिना जीवन जीने का लक्ष्य बनाना और आगे बढ़ने वाले व्यक्ति ही समाज में अपनी अलग पहचान बनाते हैं। ग्वालियर के श्रीधर पराड़कर ने इसे अपने जीवन में उतारकर उदाहरण प्रस्तुत किया है।
प्रो. कप्तान सिंह ने रविवार को मेडीकल कॉलेज के सभागार में मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में यह बात कही। कार्यक्रम में उत्तम स्वामी, केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह, महापौर विवेक नारायण शेजवलकर, जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा, हिंदी साहित्य सभा के उपाध्यक्ष राजकिशोर वाजपेयी सहित ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अभय चैधरी, साडा अध्यक्ष राकेश जादौन सहित अन्य जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि बिना किसी आशा के समाज और देश के लिये कार्य करने वाले लोग बिरले होते हैं। पराड़कर ने अपना पूरा जीवन सामाजिक कार्यों के लिये बिना किसी आशा के और उम्मीद के समर्पित किया है। उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज को एक नई दिशा देने का सराहनीय कार्य किया है। श्री पराड़कर जी को साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर भारत सरकार की ओर से विवेकानंद सम्मान से भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है।
प्रो. कप्तान सिंह ने कहा कि जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित कर उसके लिये पूरा जीवन जीना एक कठिन कार्य है। पराड़कर जी ने अपना पूरा जीवन समाज के कार्यों के लिये समर्पित किया है। हम सबको उनके कार्यों को सामने रखकर अपने जीवन में भी इसी प्रकार के कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में उत्तम स्वामी ने कहा कि दुनिया में कई प्रकार के काम होते हैं। साहित्य दान भी उनमें से एक है। श्री पराड़कर द्वारा साहित्य दान के माध्यम से समाज में एक ऊर्जा जगाने का सराहनीय कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि अपने और अपने परिवार के लिये तो हर कोई जीता है परंतु समाज के लिये जीने वाले लोग लम्बे समय तक समाज का मार्ग प्रशस्त करते हैं, श्री पराड़कर जी उनमें से एक हैं।