नई दिल्ली/ बजट सत्र के पांचवें दिन भी लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही ठप्प रही, सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष के सांसद लंदन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयानों को लेकर उनसे माफी मागने की मांग करने लगे जबकि विपक्षी सांसद अडानी मामले को लेकर जेपीसी की मांग के साथ राहुल गांधी को बोलने दो के नारे बुलंद करते रहे साथ ही मुंह पर काली पट्टी बांधकर स्पीकर की आसंदी के पास पहुंच गए जिसके बाद हंगामा और शोरगुल शुरू हो गया और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सोमवार 11 बजे तक तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जबकि राज्यसभा में पहले ही 20 मार्च तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित हो चुकी थी।
अडानी मुद्दे को लेकर जेपीसी के गठन की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने लोकसभा परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया इस धरना आंदोलन ने 16 विपक्षी राजनेतिक पार्टियों के सांसद शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान सांसद नारेबाजी कर अडानी मामले को लेकर ज्वाइंट पार्लियामेंट कमेटी की मांग कर रहे थे। इस धरना प्रदर्शन में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी आप सांसद संजय सिंह जेएमएम की महुआ मांझी सहित 16 विपक्षी पार्टियों के सांसद मोजूद रहे।
इधर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर मांग की है की राहुल गांधी के केब्रिज में दिए बयान की जांच को लेकर एक विशेष उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करे साथ ही इस मुद्दे पर राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को निलंबित करें।
जैसा कि लोकसभा स्पीकर से गुरुवार को मिलकर राहुल गांधी ने संसद में बोलने के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन आज उन्हें संसद में बोलने का मौका नहीं दिया गया । बीजेपी सांसद पहले से लोकसभा पहुंच गए थे और उन्होंने अपने बयानों में राहुल गांधी से पहले माफी मांगने को।कहा था। लगता है बीजेपी सदन में यदि राहुल गांधी को बोलने का मौका देती तो उसे यह डर भी होगा कि वह फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडानी को लेकर अपने सवाल दोहरा सकते है और उनके बीच क्या रिश्ता है यह पूछ सकते है जिससे यह मुद्दा फिर से गर्म हो जाने का डर भी भाजपा को है दूसरी तरफ जब राहुल गांधी को सांसद में बोलने का मौका ही नहीं दिया जायेगा तो वह इस मामले को लेकर अपना पक्ष रखने के साथ माफी कैसे मांगेंगे यह सवाल भी उठते है यही वजह है कि कांग्रेस ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि अडानी मुद्दे पर छीछालेदन होने के डर से जानबूझकर बीजेपी ने राहुल गांधी को सदन में अपनी सफाई देने का मौका नहीं दिया।