भोपाल/ बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती जन आशीर्वाद यात्रा में न्यौता नही दिए जाने से खासी नाराज है उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा अब वे पार्टी के बुलावे पर भी नही जाएंगी साथ ही 25 सितंबर को इस यात्रा के समापन अवसर पर नरेंद्र मोदी की सभा में भी शिरकत नही करेंगी।
यह उमा भारती का दर्द है या उनके बगावती स्वर यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि इसके लिए कोन ज़िम्मेदार है तो उनका कहना था कि यह तो अमित शाह या अध्यक्ष जेपी नड्डा ही बता सकते है क्योंकि यहां के स्थानीय नेताओं में इतना दम नहीं है उनकी तो हालत खराब हो जायेगी। उन्होंने यह भी कहा उन्होंने मेरी जरूरत ही नहीं समझी और ना ही कहा आप भी आए कम से कम निमंत्रण की ओपचारिकता तो पूरी होना चाहिए थी उन्होंने कहा इतने सारे नेताओं के फोटो लगाएं मेरा भी चिपका देते तो क्या हो जाता उन्होंने कहा शायद बीजेपी के नेताओं को यह लगता है कि मेरे आने से व्यविधान उत्पन्न हो सकता है तो यह उनकी सोच है।
एक सबाल पर उन्होंने कहा सिंधिया मेरे भतीजे है उनसे मेरा कोई बैर नहीं है लेकिन यदि सिंधिया ने 22 विधायक देकर आपकी सरकार बनवाई है तो मैंने तो 2003 में पूर्ण बहुमत की बड़ी सरकार बनाकर दी और 10 साल बाद भाजपा सत्ता में लौटी थी मुझे तो लगता है यदि अब फिर से मध्यप्रदेश में सरकार बनती है तो मुझे पूछेंगे भी कि नहीं?
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने यह भी कहा मैं चाहती कि यह जनादेश यात्रा सफल हो लेकिन मैं जानती हूं वे ना तो बुलाएंगे और बुलाएंगे भी तो ना ही मैं अब जाने वाली हूं उन्होंने कहा अब वे पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी उन्होंने यह भी साफ कहा 25 सितंबर को इस यात्रा के समापन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में भी मैं शामिल नहीं होंऊगी।
क्या समझते है आप उमा भारती को …?
भाजपा की जुझारू और दिग्गज नेता के रूप में पहचान बनाने वाली उमा भारती ने अपनी पार्टी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया,आप अपने अड़ियल रवैये और साफगोई के लिए जानी जाती है उमा भारती अटल बिहारी बाजपेई लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी विजयराजे सिंधिया के समय की एक समकक्ष नेता है। जो 6 बार की सांसद 2 बार विधायक रहने के साथ एमपी की मुख्यमंत्री और 11 साल केंद्रीय मंत्री रही।
बीजेपी हाईकमान ने 2003 के चुनाव में मध्यप्रदेश में जीत की कमान उमा भारती को सौंपी थी और उन्होंने 173 सीटें जीतकर भारी बहुमत की सरकार बनाई और कांग्रेस और दिग्विजय की 10 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फैला था खास बात रही कि कांग्रेस मात्र 38 सीट पर सिमट गई और भाजपा 173 के इस आंकड़े को पार करना तो दूर आजतक इसके आसपास भी नही फटक सकी है। यह सब उमा भारती के चेहरे का कमाल था।
लेकिन उसे बाद से उमा भारती के साथ जो साजिश की शुरूआत हुई लगता है वह आज भी जारी हैं सिर्फ आठ महिने बाद तिरंगा मामले में उनका गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ और उन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी उसका उन्होंने पार्टी हित में कोई प्रतिरोध नहीं किया। इस दौरान तत्कालीन मंत्री सुषमा स्वराज का उनके खिलाफ एक बयान भी आया था,कि चलो इस बहाने उनसे पार्टी को राहत मिल गई।उसके बाद में उन्हें फिर से सीएम बनाया जा सकता था लेकिन भाजपा नेतृत्व और उनके विरोधी नेताओं ने उन्हें अलग थलग करते हुए पहले बाबूलाल गौर को और उसके बाद शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौप दी और कांग्रेस के डेढ़ साल के अंतराल को छोड़ दिया जाएं तो आजतक शिवराज सिंह ही मुख्यमंत्री बने हुए है।
अपने आध्यात्मिक जीवन, सीधे सरल स्वभाव और ओजस्वी भाषणों से उन्होंने पार्टी में एक अलग छवि बनाई साथ ही उमाभारती राम मंदिर आंदोलन की प्रमुख भूमिका में रही। साथ ही उमा भारती जमीनी पकड़ रखने वाली मास लीडर रही है , बह पैदा जरूर लोधी परिवार में हुई है लेकिन वह लोधी समाज तक सीमित नहीं है इनकी हर वर्ग हर जाति में विशेष पहचान और बर्चस्व है यही कारण था कि बुंदेलखंड के खजुराहों से वह चार बार सांसद रही एक बार झांसी और एक बार भोपाल से भी वह सासंद चुनकर लोकसभा में पहुंची। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने 11 साल सेवा की इस दौरान उन्होंने मानव संसाधन, पर्यटन एवं युवा मामले ,खेल मंत्रालय, कोयला मंत्री का प्रभार सम्हाला और 2014 में वे मोदी सरकार में जलसंसाधन मंत्री बनी और पवित्र गंगा को सुरक्षित और उसकी साफ सफाई का दायित्व उन्हे सौंपा गया।
कहा जाएं उमा भारती अनप्रेडिक्टबल महिला है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी सियासत हो या निजी जीवन वह कभी भी कुछ भी कह सकती है। इसका खामियाजा वह दो बार भुगत भी चुकी है लेकिन वह आज भी मध्यप्रदेश में एक मात्र नेता है जो आमजन में अपनी एक विशेष और सर्व स्वीकार्य छवि रखती है उनका यह कहना कि अब वह बुलाने से भी नही आएंगी बीजेपी का टेंशन बड़ाने के लिए काफी है क्योंकि यदि वह इस पर उतर आई कि, खेलेंगे नही तो खेल बिगाड़ देंगे, तो मध्यप्रदेश में बीजेपी की दुर्गति को कोई रोक नहीं सकेगा यह बात बिल्कुल सही है।