- 12 साल का बच्चा पहुंचा पुलिस थाने,
- मेला ना दिखाने की शिकायत कर पुलिस से पिता की पिटाई लगाने को कहा
इटावा – क्या आप अपने बच्चों को तवज्जों देने के साथ उनके साथ समय व्यतीत नही करते तो सावधान हो जाये क्यों कि उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में एक 12 साल का बच्चा पिता के मेला नही ले जाने पर पुलिस थाने में जा पहुंचा और अपने पिता की शिकायत करते हुए पुलिस से उनकी सुटाई करने को कहने लगा लेकिन पुलिस ने इस मुद्दे को बड़ी संवेदनशीलता से सुलझाया जोे काबिले तारीफ़ हैं।
यह मासूम बच्चा हैं 12 वर्षीय ओमप्रकाश जो कक्षा 7 में पढ़ता हैं,यह पिछले सप्ताह भारी गुस्से में इटावा के पुलिस थाने पहुंचा और शिकायत की कि उसके पिता उसके लाख कहने पर भी उसे मेला दिखाने नही ले जा रहे जिदद करने पर उन्होंने उसे पीट दिया,और कहा कि नही लेजाता जो करना हो करले,पिता से इस बात पर गुस्साएं बच्चे ने दांत पीसते हुएं पुलिस से पिता की शिकायत के साथ उनकी सुटाई ( पिटाई) लगाने को भी कहा इतना ही नही वही माँ की परेशानी का भी उसने हवाला दिया। खास बात है इस पूरे मसले का एक वीडीओ सोशल साइट पर वाइरल हुआ हैं जिसमें यह बच्चा अपने पिता के खिलाफ़ बोल रहा हैं ।
परन्तु स्थानीय पुलिस ने इस गम्भीर और संवेदनशील मामले में बड़ी समझदारी का परिचय दिया पुलिस ने उसके पिता को खोज निकाला इस बच्चे के पिता अमरनाथ गुप्ता जो इटावा में साईकल पार्टस की दुकान चलाते है उनसे पूँछने पर उन्होंने पुलिस को बताया कि काम की बजह से ओम को मेने बाद में मेला ले जाने को बोला था और नही मानने पर उसे एक चाटा भी मारा था वही माँ रुचि गुप्ता के मुताबिक जिदद करने पर पिता ने उसको दो थप्पड़ लगा दिये थे।
इधर इटावा पुलिस ने जब खोजबीन की तो मालूम पडा कि परिजनो ने ओम को 2 जनवरी को अपनी नानी के घर औरय्या भेज दिया पुलिस के कहने पर उसे 6 जनवरी को इटावा बुलाया गया इतना ही नही पुलिस ने इस मासूम बच्चे ओम को बड़े प्यार से समझाया ही नही बल्कि उसके पिता के साथ उसे मेले की सैर भी कराई और उसकी शिकायत दूर की।इस दौरान पुलिस कर्मचारियों ने भी ओम के साथ मेला घूमा जिससे वह खुश हो गया। इस मामले में इटावा पुलिस के इन्सपेक्टर अनिल कुमार की भूमिका काफ़ी सराहनीय रही क्यों कि उन्होंने बच्चे की मनोवृत्ति को समझा और काफ़ी समझदारी दिखाते हुएं बच्चे के गुस्से को ही शांत नही किया बल्कि पिता के खिलाफ़ उसकी दुर्भावना को भी खत्म किया ।
जैसा कि बच्चों की मनोदिशा काफ़ी नाजुक और भावनात्मक होती हैं वह किसी तरह की चोट या जबर्दस्ती बर्दाश्त नही कर सकती, इसलिये प्यार और अपनत्व से ही उन पर काबू पाया जा सकता हैं। आज के भाग दोड और मोबाइल के युग में हमें बच्चों पर ध्यान देना कितना जरूरी हैं 12 वर्षीय इस बच्चे की यह कहानी हम और आपको खास कर ऐसे माँ बाप को जो नौकरी या अन्य कारणों से अपने मासूम बच्चों पर ध्यान नही दे पाते उनके साथ समय व्यतीत नही करते उनके लिये चेतावनी हैं कि वे सम्हल जाये और खासकर अपने छोटे बच्चों को समय ही ना दे बल्कि उनके दिल की बात भी सुने, जिससे उनका बच्चा भी उनकी अनदेखी के चलते कही कोई ओमप्रकाश ना बन जाये।