close
उड़ीसाबालासोर

इंटरनल लॉकिंग सिस्टम फेल होने से हुआ ट्रेन हादसा? 288 की मौत, 1000 से अधिक घायल, 57 की शिनाख्त, अपनो को ढूंढने में लगे परिजन, CBI से जांच की सिफारिश

Balasor Train Accident
Balasor Train Accident

बालासोर/ ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की शाम हुए भीषण रेल हादसे ने 288 जिंदगियां छीन ली जबकि 1185 यात्री घायल हुए जिसमें से करीब 800 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है लेकिन घायलों में से करीब 50 की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं रेल्वे प्रशासन ने मरने वालों की संख्या 275 बताई है उनका कहना है गलती से कुछ की गिनती दोबारा हो गई थी,इधर रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इंटरलॉकिंग सिस्टम में आई खराबी को इस हादसे का कारण बताते हुए कहा जांच के बाद ही उसकी पुष्टि हो सकेगी वही उन्होंने बताया कि रेल्वे बोर्ड ने इस हादसे की सीबीआई से जांच की सिफारिश भी की हैं। जबकि रेल्वे बोर्ड ने माना सिंगनल में गड़बड़ी से यह दुर्घटना हुई है।

कैसे हुआ ट्रेन हादसा …

दिन शुक्रवार समय था शाम 7 बजकर 20 मिनट का हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरो मंडल एक्सप्रेस 128 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ी जा रही थी यह ट्रेन बालासोर के आगे जब बहनागा रेल्वे स्टेशन पर बीच के ट्रेक से गुजर रही थी तभी उसके दाई ओर के ट्रेक से यशवंतपुर हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन गुजर रही थी जबकि इसके बाई ओर के ट्रेक पर उस समय एक मालगाड़ी खड़ी थी तभी अचानक कोरोमंडल एक्सप्रेस एकाएक लूप लाइन में जाकर डीरेल हो जाती है और वह सीधी लूप के ट्रेक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा जाती है मालगाड़ी पर भरी लोहे का सामान लदा था तो उसका इंजन मालगाड़ी पर चढ़ जाता है जबकि उसकी 8 से 10 बोगियां बुरी तरह उड़कर ट्रेक और उसके आसपास पलट जाती है इस हादसे के दौरान कोरोमंडल की कुछ बोगियां हावड़ा की ओर जा रही दोरंतो एक्सप्रेस जो आगे निकल गई थी उसकी पीछे की बोगियों से टकराती है और दोरंतो एक्सप्रेस की पीछे की दो बोगियां भी पलट जाती है इस तरह यह बड़ा ट्रेन हादसा हो जाता है। अब जांच का बिंदु है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनागा स्टेशन से गुजरने के दौरान अचानक पटरी बदल कर लूप लाइन में कैसे चली गई, और इसका इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉक कैसे हट गया ?

इंटरलॉक सिस्टम में गड़बड़ी हादसे का कारण सीबीआई से जांच की सिफारिश कहा रेलमंत्री ने…

रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव लगातार बालासोर और घटना स्थल पर मोजूद रहे इस दौरान उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि इस हादसे की बजह मालूम चल गई है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉक सिस्टम में छेड़छाड़ की वजह से यह हादसा हुआ इसमें किसी की साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अभी इन्वेस्टीगेशन चल रहा है इसलिए मेरा कुछ कहना ठीक नहीं होगा रिपोर्ट आने पर ही ज्यादा कुछ बताया जा सकता है उन्होंने बताया हमने मामले की सीबीआई से जांच की सिफारिश भी की है वहीं कांग्रेस के इस्तीफे की मांग पर उन्होंने कहा फिलहाल उनकी प्राथमिकता लोगों को उचित इलाज के साथ पीड़ित यात्रियों को राहत और उन्हे बचाने की है इसके अलावा रेल यातायात फिर शुरू हो हमारी यही कोशिश है।

रेल्वे बोर्ड के अनुसार सिंगनल सिस्टम में चूक ग्रीन था सिगनल,ट्रेन ओव्हर स्पीड में नही…

रेल्वे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिंहा ने प्रेस कान्फ्रेस में बताया कि यह हादसा होने की वजह ओव्हर स्पीड नही था दूरंतो एक्सप्रेस 126 जबकि कोरो मंडल एक्सप्रेस 128 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी उस समय सभी सिंगनल ग्रीन थे इसलिए कोरो मंडल के ड्राईवर की गलती नही है शुरूआती जांच से लगता है कि सिगनल में कोई गड़बड़ी थी।उन्होंने कहा चूकि जो मालगाड़ी खड़ी थी उसमें लोहे का सामान लदा था जब कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन उससे टकराई तो बोगियां उलटकर ट्रेक पर जा गिरी और कुछ बोगियां दूसरे ट्रैक पर जा रही दोरंतो एक्सप्रेस ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई जिससे उसकी पिछली दो तीन बोगियां पलट गई।

मृतक संख्या 275, शिनाख्त केवल 57 की, अपनों को खोजने सैकड़ों लोग दर दर भटक रहे हैं…

इस सदी का यह एक बड़ा रेल हादसा है जिसमें इतनी ज्यादा तादाद में लोगों की मौत हुई लेकिन खास बात है इनमें से अभी तक केवल 57 मृतकों की ही शिनाख्त हो पाई है जिन्हें लेकर परिजन घर लौट गए लेकिन अभी भी सैकड़ों लोग अपनों को खोजने में लगे है मृतकों के चेहरे से चादर हटाते है और देखकर निराश हो जाते है जो भी बताता है घरवाले हर जगह जाकर पता लगा रहे हैं जबकि अभी भी मर्चुरी में करीब 230 लोगों के शव अपनों के इंतजार में पड़े हैं बड़ा ही भयावह और दिल हिला देने वाले हादसे के बाद अब अपनों को जीते जी नही तो लाश के रूप में मिलने की आस की जद्दोजहद इस समय छिड़ी है लोग घटना स्थल के बाद बालासोर और भुवनेश्वर जहां कुछ मृतकों के शव भेजे गए है वहां चक्कर लगा रहे हैं और नही मिलने पर निराश और हताश होकर अन्य जगह तलाश की कोशिशों में जुट जाते है जैसे उनको लगता है उनकी तलाश जरूर पूरी होगी। लेकिन इससे यह भी लगता है कि अभी भी कुछ लोग लापता है और उनके शव अभी भी बरामद नही हो पाएं है यह स्थिति काफी हृदय विदारक कही जा सकती हैं क्योंकि अभी भी अपनों को खोजने के लिए सैकड़ों लोग दर दर भटक रहे है। लेकिन यह संशय भी उभरता है कि कुछ शवों के चेहरे बुरी तरह कुचल गए तो शरीर भी क्षत विक्षत हो गया है हो सकता है परिजनों को पहचानने में परेशानी आ रही हो लेकिन सभी नही पहचान पा रहे यह सबाल भी पैदा होता है।

सेफ्टी कवच होता तो बच जाती जाने,अभी तक पूरा नहीं हुआ टारगेट …

केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 2016 ..17 में सभी रेलगाड़ियों में सैफ्टी कवच लगाने की घोषणा की थी लेकिन इस रूट के स्टेशनों और इन ट्रेनों में यह सिस्टम नही लगा था यदि इन रेलगाड़ियों एंटी कॉलीजन सिस्टम डिवाइस लगा होता तो इस दुर्घटना से बचा जा सकता था यह सेफ्टी कवच रेल्वे स्टेशन और ट्रेन के बीच ऐसा सिस्टम बनाता है कि जब दो ट्रेन एक ही ट्रेक पर आ जाएं या ड्राईवर लाल सिगनल के बाद भी रेल को आगे बड़ाना जारी रखे तो दोनों ट्रेनों में पहले ही ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाते है और उनके पहिए निर्धारित दूरी पर ही थम जाते हैं। यह सब होता है ट्रेन के इंजन में लगे जीपीएस और आरएफआईडी से जो रेल्वे स्टेशन पर लगे इंटीना और सिस्टम से जुड़े रहते है। बताया जाता है कुछ रूट पर यह सेफ्टी कवच सिस्टम लग गया है लेकिन इस रूट पर यह सिस्टम अभी नहीं लगा जबकि यह प्रोजेक्ट 2024 तक पूरा होना हैं।

Tags : RailwayTrain Accident
Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

Leave a Response

error: Content is protected !!