- ग्वालियर में शौचालय में वित्तीय घोटाला, जांच शुरू…
- निगम आयुक्त ने दिये अधिकारियों को दिये नोटिस...
ग्वालियर – ग्वालियर नगर निगम वैसे ही बदनाम है अब प्रशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। नगर निगम सीमा क्षेत्र में शौचालयों के निर्माण और भुगतान में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। शहर में 45 स्थानों पर बनाए गए सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की स्वीकृति एवं ठेका प्रक्रिया में वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा हुआ हैं जिसकी जांच शुरू कर दी गई है।
स्वच्छ भारत मिशन के इस प्रोजेक्ट में बिना अधिकार नगर निगम कमिश्नर ने 7 करोड़ 54 लाख रुपए के काम को मंजूरी दे दी। जबकि उन पर सिर्फ दो करोड़ तक की वित्तीय सीमाओं की शर्त है।
ज्यादा बड़ा काम होने पर उसे एमआईसी के समक्ष रखा जाता है। शौचालय बनाने वाली कंपनी सुलभ इंटरनेशनल से 5 फ़ीसदी बैंक गारंटी भी नहीं ली गई। यह काम कंपनी को 19 . 95 फीसदी अधिक दरों पर दिया गया अब निगम कमिश्नर ने अधीक्षण यंत्री एवं स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी प्रदीप चतुर्वेदी सहायक इंजीनियर सत्येंद्र यादव सब इंजीनियर राजेश परिहार सीसीओ प्रेम पचौरी और क्लर्क जोहेब सिद्दीकी को नोटिस जारी किए हैं।
कब हुई गड़बड़ी?
यह गड़बड़ी उस समय की गई थी जब नगर निगम में महापौर का पद खाली था। तत्कालीन महापौर विवेक नारायण शेजवलकर के सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसमें 29 सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं और 16 साल सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया गया है।
सामुदायिक टेंडर तीन करोड़ 84 लाख का था इसमें इजाफा करके सुलभ इंटरनेशनल को 4 करोड़ 60 लाख में निर्माण का ठेका दिया गया। वहीं सार्वजनिक शौचालय का टेंडर निगम ने दो करोड़ पैतालीस लाख में जारी किया था।
लेकिन कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए इसे दो करोड़ 94 लाख कर दिया गया। अब नगर निगम के प्रशासक ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा है कि, कोई भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा ।वही पार्षदों ने भी निगम कमिश्नर के इस कृत्य पर आक्रोश जताया है, और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
जबकि भाजपा पार्षद दिनेश दीक्षित का कहना है, गंभीर अनियमितता है, ठेका गलत हुआ जब 2 करोड़ से ऊपर के काम की अनुमति नही हैं तो निगम कमिश्नर ने कैसे दे दिया इसकीं ईओडब्ल्यू में जांच चल रही हैं जल्द पार्षद मुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत करेंगे।
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