फर्जी मार्कशीट बनाने वाले इंटरस्टेट गिरोह का पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार
ग्वालियर- ग्वालियर पुलिस ने देशभर के संस्थानों के नाम की फर्जी मार्कशीट तैयार करने वाले गिरोह के मास्टर माइंड सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह से 10वीं फर्जी मार्कशीट से लेकर बी-टैक तक फर्जी मार्कशीटें बरामद की है,जिसे वह उन तमाम ग्राहकों को हैसियत अनुसार बेचते थे,जो प्राईवेट या सरकारी नौकरी के लिये इन मार्कशीट को चाहते थे। ग्वालियर की थाटीपुर पुलिस ने फर्जी डीएड की मार्कशीट से संविदा शिक्षक बनने वाले एवं जॉच के बाद बर्खास्त हो चुके वीरेन्द्र रावत, लक्ष्मीनारायण चैबे और राजीव गोविला को गिरफ्तार किया हैं। थाटीपुर थाना पुलिस के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता संकेत साहू ने बेहट स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ संविदा शिक्षक वीरेंद्र रावत की शिकायत की थी।
शिकायत में बताया था कि वीरेंद्र रावत ने साल 2002 में वंदे मातरम कॉलेज से बीएड करना बताया है, जबकि कॉलेज को बीएड की मान्यता ही साल 2006 में मिली थी। इस शिकायत के बाद जनपद सीईओ की रिपोर्ट पर वीरेंद्र को बर्खास्त किया गया और पुलिस ने जून में वीरेंद्र पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। पुलिस जॉच में खुलासा हुआ कि वीरेन्द्र रावत फर्जी मार्कशीट का गिरोह चलाते है,जिसमें लक्ष्मीनारायण चैबे निवासी मोहना और मास्टर माइंड राजीव गोविला निवासी थाटीपुर की मार्कशीटों के फर्जी वाड़े में अहम भूमिका है। राजीव गोविला 12 साल से 10वीं से लेकर किसी भी डिग्री की फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहा है और कुछ समय पहले भी क्राइम ब्रांच ने भी पकड़ा था। आरोपियों से बीटेक की दो फर्जी मार्कशीट, डीएड की कई मार्कशीट व 10वीं-12वीं की यूपी बोर्ड की फर्जी मार्कशीटें मिली हैं, जो गुवाहाटी और तमिलनाडु के संस्थानों तक की मार्कशीटें मिलीं हैं।
पुलिस के अनुसार 30 से 60 हजार रुपए में डीएड,बीएड से लेकर सामान्य माने जाने वाली डिग्रियों की फर्जी मार्कशीट मिलती थी, जैसी लेने वाले की हैसियत वैसी कीमत राजीव वसूलता था और सबका हिस्सा सभी को बंटता था। राजीव खुद फर्जी मार्कशीटें बनाता था। पुलिस के अनुसार वीरेंद्र ने खुद बीएड की मार्कशीट राजीव से बनवाई और गिरोह में भी सक्रिय काम करता था, अपने संबधों के जरिए युवकों को लाता था। बीई, बीटेक, एमबीए की फर्जी मार्कशीटें डेढ़ से दो लाख तक में बेची जातीं थी। इस गिरोह में हर किसी के अपने अपने काम तय थे,जिसमें लक्ष्मीनारायण ऐसे नौजवानों को ढूंढता था,जो निराश हैं और नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें लालच देकर मार्कशीट का फंडा बताना और पूरी सेटिंग करता था।