श्योपुर/ एमपी के श्योपुर स्थित पालपुर कूनो पार्क में आज दो और शावकों की मौत हो गई मादा चीता ज्वाला ने मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था इसके एक बच्चे की पहले मौत हो गई थी इस तरह आज दो और शावकों की मौत से तीन दिन में तीन शावक नही रहे। जिससे चीतों पर निगरानी रखने वाली मॉनिटरिंग टीम के साथ साथ क्या श्योपुर सेंचुरी चीतों की बसाहट के माफिक नही है इस पर भी सबाल उठ रहे हैं।
कूनो अभ्यारण में नामीबिया से आई मादा चीता ज्वाला ने 27 मार्च को 4 शावकों को जन्म दिया था जिससे सेंचुरी में खुशी का माहौल देखा गया था लेकिन मंगलवार को उसमें से एक शावक की मौत हो गई थी सेचुरी के प्रमुख वन संरक्षक जेएस चौहान ने इस शावक की मौत का कारण कमजोरी बताया था। लेकिन आज फिर बचे तीन बच्चों में से दो की मौत हो गई जिनकी मौत कारण कुपोषण और कमजोर स्वास्थ्य बताया गया है।
जैसा कि 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आए 8 चीतों को पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म दिन के मौके पर पालपुर कूनो अभ्यारण में रिलीज किया था इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीते और कूनो अभ्यारण में छोड़े गए थे लेकिन इन चार शावकों के जन्म से दो दिन पहले साशा नाम की मादा चीता किडनी इन्फेक्शन से मर गई उसे बाद उदय नामक नर और दक्षा नाम की मादा चीता भी चल बसी इस तरह पालपुर कूनो अभ्यारण में तीन शावकों सहित 20 चीते रह गए थे लेकिन आज मादा ज्वाला के दो शावकों की मौत के बाद पालपुर कूनो अभ्यारण में एक शावक सहित 18 चीते रह गए हैं।
इन चीतों पर नजर रखे वाली विशेष टीम ने बताया कि यह तीनों शावक जन्म से ही कमजोर थे अब उनमें कुपोषण के लक्षण भी आ गए थे जो संभवत उनकी मौत का कारण बना लेकिन इस सबके बावजूद सबाल उठते है कि जब फॉरेस्ट की विशेषज्ञ टीम को इसकी जानकारी थी फिर उन्होंने उसकी सेहत में सुधार के प्रयास क्यों नहीं किए यदि समय रहते उसे इलाज मिलता तो वह स्वस्थ्य और सेहतमंद भी हो सकते थे और इस तरह उनकी मौत नही होती यह सबाल इसलिए भी उठ रहे है क्योंकि उन्होंने उसके क्या प्रयास किए इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
इधर दक्षिण अफ्रीका के वन्य जीव विशेषज्ञ विसेन वान डेर का कहना है कि चीतों के बच्चे काफी सेंसटिव होते है उनके बच्चें जन्म से ही काफी दुबले और कमजोर होते है इनमें से जो बच्चा अपनी मां का दूध भूख के हिसाब से पूरा पीता है वह सेहतमंद और स्वस्थ्य रहता है लेकिन जो बच्चें दूध कम या सही तौर पर नही पी पाते वह कमजोर और कुपोषित हो जाते है जिससे उनकी मौत तक हो सकती है इस जीव की प्रकृति के हिसाब से बड़ी वजह है कि मादा चीता अधिकांशता ज्यादा बच्चे जन्मती है और उनमें ताकतवर ही सरवाईव कर पाते हैं।