ग्वालियर- बच्चे सदैव आत्मबल बनाए रखें और अपने भीतर हीनभावना न आने दें। आत्मबल और दृढ इच्छाशक्ति की बदौलत बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. अब्दुल कलाम आजाद, पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो साधारण से स्कूलों में पढ़कर सर्वोच्च शिखर पर पहुँचे। उक्त आशय का आहवान उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने सरस्वती शिशु मंदिर बादलगढ़ किलागेट के वार्षिकोत्सव समारोह में मौजूद बच्चों से किया।
मंगलवार की सायंकाल आयोजित हुए वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री पवैया ने शिक्षा व विद्या का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि किताबी शिक्षा केवल नौकरी या कमाने का माध्यम बनती है। विद्या वह है जिससे मनुष्य का सर्वांगीर्ण विकास होता है। अर्थात व्यक्ति संस्कार, राष्ट्र भक्ति, दयाशीलता और शैक्षिक ज्ञान से परिपूर्ण होता है। सरस्वती शिशु मंदिर इसी प्रकार के श्रेष्ठ नागरिक गढ़ने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिरों में किताबी ज्ञान के साथ-साथ, नैतिक शिक्षा व खेल गतिविधियों पर विशेष जोर रहता है। इसीलिए यहाँ के बच्चे पढ़ाई में बड़े-बड़े स्कूलों के बच्चों से आगे निकल रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर बच्चों का आहवान किया कि भारत माता का कर्जा चुकाने के लिये बड़ा आदमी बनो। शिक्षा रोजगार का साधन तो बने, मगर राष्ट्रभक्ति भी मन में सदैव रहनी चाहिए।
कार्यक्रम में सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के प्रादेशिक सचिव शिरोमणि दुबे ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता दीपक पमनानी ने की। इस अवसर पर प्रभुदयाल गुप्ता व सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य सहित संस्था के अन्य पदाधिकारी व आचार्य तथा बड़ी संख्या में बच्चे एवं उनके अभिभावक मौजूद थे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने किया मंत्रमुग्ध
वार्षिकोत्सव में सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई। एक नन्हे बच्चे द्वारा प्रस्तुत शिवजी का तांडव नृत्य व यशोदा का नंदलाला गीत पर सामूहिक नृत्य विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” पर केन्द्रित नाटक और जोरावर सिंह नाटक की प्रस्तुति ने भी खासा प्रभावित किया।