ग्वालियर- कंेद्र सरकार द्वारा राज्य को दी जा रही मदद के बावजूद शिशु गृह और बाल संप्रेक्षण गृह की हालत बदतर बनी हुई है। जहां रहने वाले बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से दो-चार होना पड रहा है और विकास कार्याे की राशि लेप्स होती जा रही है। इसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है और केंद्र तथा राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी बाल संप्रेक्षण् ग्रह और शिशु ग्रह की स्थिति पर केन्द्र और राज्य सरकार से जबाब मांगा है। बाल संप्रेक्षण ग्रहो में हो रही अनियमित्तता और बाल अपराधियो के अधिकारो के हनन के मामले में गुना के अधिवक्ता लक्ष्मीनारायण श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका दायर की है।जिसमें कहा गया है कि बाल संप्रेक्षण ग्रहो में मूल भूत सुविधाओ के नाम पर मखौल उडाया जा रहा है।
वही संभाग के शिवपुरी और अशोकनगर में संप्रेक्षण ग्रह नही होने से बाल अपराधियो को गुना शिफ्ट किया जाता है और हर तारीख पर उन्हें पेशी के लिये भी लाया ले जाया जाता है। केन्द्र सरकार की ओर से राज्य को हर साल करोडो की राशि आवंटित होती है लेकिन 2014-15 में ही 11 करोड की राशि लेप्स हो चुकी है।हाईकोर्ट ने इस याचिका की गंभीरता को समझते हुये अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी नौ जिलो के बारे में केन्द्र और राज्य सरकार से जबाब तलब किया है।