- सर्वधर्म सद्भाव की बही सरिता हरिकथा,
- मीलाद व शहनाई वादन के साथ तानसेन समारोह शुरू
ग्वालियर- भारतीय शास्त्रीय संगीत का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह गान महर्षि तानसेन की समाधि पर हरिकथा, मीलाद व शहनाई वादन के साथ शुरू हुआ। बारी -बारी से हो रहे शहनाई वादन, हरिकथा व मिलाद गायन से सर्वधर्म समभाव की सरिता बह उठी। सबसे पहले जनाब मजीद खां ने शहनाई वादन किया।
इसके बाद सच्चिदानंद ढोली बुआ महाराज ने संगीतमय हरिकथा सुनाई। थोड़ी देर बाद मौलाना इकबाल मीलाद शरीफ पढ़ेंगे। इसके बाद तानसेन के आध्यात्मिक गुरु मोहम्मद गौस और तानसेन की समाधि पर चादरपोशी होगी। इस अवसर पर उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक पी के झा सहित आयोजन से जुड़े अन्य अधिकारी एवं सुधीय रसिक मौजूद हैं। राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण समारोह एवं शुभारंभ समारोह आज सायंकाल 7 बजे हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में बटेश्वर मंदिर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच आयोजित होगा। इसी मंच से ब्रह्मनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे। पांच दिनी समारोह में कुल 9 संगीत सभाएँ होंगी।
इनमें से पहली 7 सभाएँ तानसेन समाधि पर मुख्य मंच पर , 8वी सभा तानसेन की जन्मस्थली बेहट में तथा अंतिम सभा गुजरी महल परिसर में सजेगी। अंतर्राष्ट्रीय तानसेन समारोह की शुरूआत तत्तकालीन माधवराव सिंधिया ने 1912 में की थी। जिसके बाद से लगातार इस समारोह को मनाया जा रहा है। पांच दिनों तक चलने वाले इस समारोह में देश-विदेश की कलाकार शिरकत करते थे। लेकिन जब से तानसेन समारोह को मप्र ने अपने जिम्मे लिया लेकिन धीरे-धीरे अब इस आयोजन में गिरावट आने लगी है। जिसके कारण विदेशी पर्यटकों और श्रोताओं में भी कमी आयी है।
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