नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गुरुवार को दिए फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की इस स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए कहा इसकी गोपनीयता से सूचना के अधिकार का उल्लघंन हो रहा है सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिए है कि वह 13 मार्च तक इस स्कीम की पूरी जानकारी अपनी ऑफीशियल बेवसाइट पर सार्वजनिक करें। इससे चंदे के रूप में मिलने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड से किस पार्टी को कितना पैसा मिला किसने दिया कब दिया गया यह बात देश के हर व्यक्ति को पता चल जायेगी।
इस महत्वपूर्ण मामले को सुप्रीम कोर्ट को डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की बैंच ने सुना जिसमें श्री चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस वी आर गवई जस्टिस संजीव खन्ना जस्टिस जेवी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। इसको लेकर चार याचिकाएं दाखिल की गई थी। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल वैंकटरमणी, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। जबकि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी की। सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
अपने फ़ैसले में सीजेआई ने कहा कि पॉल्टिकल प्रोसिज में राजनेतिक दल अहम यूनिट होते हैं वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का पूरा अधिकार है जिससे मतदान के लिए सही चयन होता हैं इस स्कीम में गोपनीयता के कारण वोटर्स के अधिकारों का हनन होता है। एससी ने कहा कि इस बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली कंपनियों को बदले में फायदा दिए जाने की संभावना भी बनती है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेशित किया कि वह 6 मार्च तक सभी इलेक्टोरल बॉन्ड्स की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को प्रदान करे और चुनाव आयोग उस पूरी जानकारी को अपनी ऑफीशियल बेवसाइट पर 13 मार्च तक सार्वजनिक करें। इस फैसले से अब देश के हर नागरिक को पता चलेगा कि कोनसी पार्टी को किसने कितना और कब चंदा दिया है।
2017 के बजट में उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था यह एक तरह का प्रोसेसरी नोट होता है जिसे बैंक नोट भी कहते है इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है भारतीय स्टेट बैंक की चुनी हुई किसी भी ब्रांच से खरीद कर अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकते है। यह स्कीम 2 जनवरी 2018 में लांच हुई थी और केंद्रीय सरकार ने इसी दिन इलेक्टोरल बॉन्ड की इस स्कीम को नोटीफॉय किया था। स्कीम के मुताबिक इस इलेक्टोरल बॉन्ड को कोई भी भारत का नागरिक अकेले या किसी के साथ खरीद सकता हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने के लिए जो नियम बनाएं…
- इलेक्टोरल बॉन्ड्स कोई भी भारतीय खरीद सकता है।
- बैंक को केवाईसी डिटेल देकर 1 हजार से 1 करोड़ तक का बॉन्ड खरीदा जा सकता है।
- बॉन्ड खरीदने वाले की जानकारी गोपनीय रहेगी।
- इसे खरीदने वाले व्यक्ति को टैक्स में रिबेट मिलती है
- बॉन्ड जारी होने के 15 दिन तक वेलेड रहता है।
इस योजना को 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी याचिकाकर्ताओ में एशोसियेशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सीपीएम शामिल थे। लेकिन इस मामले की सुनवाई 2019 में शुरु हुई।
किस पार्टी को कितना चंदा मिला …
खास बात है इलेक्टोरल बॉन्ड्स से सबसे अधिक राशि बीजेपी को मिली बीजेपी को पिछले 6 साल में 6637 करोड़ और कांग्रेस को 1108 करोड़ चंदे के रूप में मिल चुके हैं।
- 2018 ..19
बीजेपी 1450 करोड़
कांग्रेस 383 करोड़
टीएमसी 97 करोड़ - 2019 ..20
बीजेपी 20555 करोड़
कांग्रेस 318 करोड़
टीएमसी 100 करोड़ - 2020 ..21
बीजेपी 22.38 करोड़
कांग्रेस। 10.07 करोड़
टीएमसी 42.00 करोड़ - 2021 ..22
बीजेपी 1032 करोड़
कांग्रेस 236 करोड़
टीएमसी 628 करोड़ - 2022 …23
बीजेपी 1300 करोड़
कांग्रेस 171 करोड़
टीएमसी 34 करोड़
खास बात है 2 नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के चार दिन बाद 6 नवबर को भारतीय स्टेट बैंक ने 29 ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी किए 6 से 20 नवंबर के बीच इश्यू इलेक्टोरल बॉन्ड्स से 1000 करोड़ का चंदा दिया गया।