-
सुप्रीम कोर्ट के तीन अहम् फ़ैसले- प्रमोशन में आरक्षण,
-
आधार वैध्य पर सभी सेवाओं में अनिवार्य नही
-
कोर्ट की कार्यवाही का होगा अब सीधा प्रसारण
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने बुद्धवार को तीन बड़े फ़ैसले दिये, जिसमे नोकरियों के प्रमोशन में आरक्षण,आधार कार्ड को बैंध्य मानते हुए उसे सभी सेवाओं के लिये जरूरी नही माना हैं इसके अलावा देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों को छोड़कर कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण की शामिल हैं।
एससीएसटी वर्ग को सरकारी नोकरियों में आरक्षण देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजो की पीठ ने एक अहम फ़ैसला दिया जिसमे नई व्यवस्था का उल्लेख है सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन वर्गो के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिये उनके राज्यों को उनके पिछड़ेपन का मात्रात्मक डेटा देने की जरूरत नही होगी,अर्थात अब इस वर्ग को दस्तावेजों के आधार पर यह नही बताना होगा कि वे पिछड़े हैं या नही,खास बात है मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बैंच ने पिछले 12 साल पुराने एन.नागराज के जजमेंट को सात जजों की संविधान पीठ को भेजने से भी इंकार कर दिया।
लेकिन इस निर्णय से मध्यप्रदेश में स्थिति काफ़ी विकट हो गई हैं क्यों कि यहाँ कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक बरकरार रहेगी,जिसका कारण हैं मध्यप्रदेश सरकार ने इसको लेकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई हुई हैं जिसपर फ़ैसला आना हैं निर्णय आने तक मध्यप्रदेश में आरक्षण के आधार पर शासकीय नोकरियों में पदोन्नति पर रोक रहेगी। जहां तक मध्यप्रदेश की बात करे तो यहाँ पिछले दो ढाई साल में 20 हजार कर्मचारी पदोन्नति पाये बिना सेवानिव्रत हो चुके हैं जबकि प्रदेश के 35 हजार कर्मचारी अपनी पदोन्नति के इंतज़ार में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध्य तो माना लेकिन हर जगह उसकी अनिवार्यता पर रोक लगा दी हैं कोर्ट ने साफ़ किया कि स्कूल में भर्ती होने,विभिन्न परीक्षाओं के लिये,बैंक में खाता खोलने और मोबाइल की सिम लेते समय आधार नम्बर बताना जरूरी नही हैं साथ ही एससी ने आधार की लिकिंग को असंवैधानिक निरूपित करते हुए टेलीकोम कंपनियों को ग्राहकों का आधार डेटा डीलिट करने के आदेश भी दिये हैं। लेकिन इनकम टेक्स रिटर्न और पेन कार्ड को आधार से लिंक करना अनिवार्य होगा,साथ ही सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के लिये आधार जरूरी होगा ,खास बात हैं जस्टिस डी.वाय. चन्द्रचूड़ ने आधार को असंवैधानिक करार दिया है। इसलिये 5 जजों की बैंच का यह फ़ैसला 4:1 के बहुमत से पास हुआ हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा एक अहम और बड़ा निर्णय न्यायालय की कार्यवाही को और ज्यादा जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिये लिया जिसके तहत अब देश की सुरक्षा से जुड़े प्रकरणों और पारिवारिक एवं यौन हमलों से जुड़े मामलों के अलावा कुछ अन्य मामलों की सुनवाई और उनके फ़ैसलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हो सकेंगा,लेकिन इसके लिये जल्द प्रकरणो के प्रकार और नियम बनाने का प्रावधान भी सुप्रीम कोर्ट ने रखा हैं। पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर संविधान पीठ के समक्ष होने वाली राष्ट्रीय और संवैधानिक महत्व के कुछ खास मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण होगा। वहीं इस निर्णय को लेकर चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा हैं कि यह फ़ैसला व्यापक जनहित में हैंइससे न्यायालयीन कार्यवाही ज्यादा जवाबदेह बनेगी और पारदर्शी होगी,कोर्ट ने कहा कि जैसे धूप में जिस तरह सारे कीटाणु मर जाते हैं उसी तरह यह न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ायेगा।