- सीतापुर में आदमखोर कुत्तों ने 13 मासूम बच्चों को बनाया शिकार,
- सिस्टम की लापरवाही आई सामने
सीतापुर / शातिर बदमाशों का एन काउंटर करने वाली उत्तर प्रदेश की सरकार लगता हैं आदमखोर कुत्तो के आगे हार गई है यही बजह है कि वहां का प्रशासन सीतापुर में 13 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद अभी तक यह भी मालूम नही कर सका कि इन मासूम नोनिहालों का शिकार कुत्तों ने किया है या भेडियों ने? इससे सिस्टम की साफ़ लापरवाही सामने आ रही हैं।
पिछले करीब एक पखवाडे़ से उत्तर प्रदेश के सीतापुर और उसके आसपास के इलाके में एक के बाद एक 13 मासूम बच्चों को आदमखोर जानवरों ने अपना शिकार बनाया तो लगभग सबा सौ पालतू पशु भी मारे गये और इस हमले में कई मासूम और सैकड़ों पालतू जानवर घायल भी हुए है बताया जाता है मौका मिलते ही यह आदमखोर कुत्ते झुंड में आकर हमला करते है। ज्यादातर उनके यह हमले रात के वक्त या अकेले होने के दौरान होते हैं। इन घटनाओं से पुलिस हाल में कुछ सजग जरूर हुई है और ड्रोन केमरो से खोजबीन की जा रही हैं कुछ इलाकों में जाल भी लगाये गये हैं परन्तु फ़िलहाल कोई सफ़लता नहीं मिली है।
यह सिलसिला नवम्बर 2017 से बेनागा चल रहा है परंतु हास्यप्रद और शर्मनाक है कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर का प्रशासन आज तक इन घटनाओं पर विराम लगाना तो दूर यह भी मालूम कर सका कि यह हमले कुत्तों ने किये हैं कि कोई भेडियों का दल इलाके में आ गया है पशु विशेषग्यों के मुताबिक यदि इन आदमखोर जानवरों के घायल या मरने वाले बच्चों के जख्मो से मिले सेलाइवा (लार) का डीएनए टेस्ट और जख्मों पर दाँतो के निशानों की जाँच से स्पष्ट हो सकता हैं कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले आदमखोर कुत्ते है या भेडि़ये है? मरने वालों में अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों के है और गरीब परिवारों के है, परंतु लगता है उत्तर प्रदेश की सरकार और उसका प्रशासन इन मासूमों की मौतों के बावजूद अभी तक नही जागा।