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संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा, शांति के लिए पीएम मणिपुर क्यों नही गए विपक्ष का आरोप, मणिपुर सहित पूर्वोत्तर राज्यों पर सरकार का विशेष ध्यान

Parliament House
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नई दिल्ली/ मणिपुर मामले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के गठबंधन I.N.D.I.A. द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में मंगलवार से बहस शुरू हुई इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगी रही विपक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हुए उनके मणिपुर नही जाने खामोश रहने के साथ शांति बहाली के प्रयास नही करने का आरोप लगाया। जबकि सत्ता पक्ष ने इसका बचाव किया और कहा पीएम ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए मंत्रियों को 15 दिन में दौरा करने के निर्देश पहले ही दे रखे है। इस प्रस्ताव पर तीन दिन तक चर्चा होना हैं। लेकिन कांग्रेस ने अपनी स्टेटजी में बदलाव किया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहले दिन बहस में हिस्सा नहीं लिया और अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने वाले सांसद गौरव गोगोई से सदन में बहस की शुरूआत कराई। संभवत पीएम नरेंद्र मोदी अंतिम दिन 10 अगस्त को चर्चा में हिस्सा ले सकते है समझा जाता है राहुल गांधी ठीक उनसे पहले सदन में अपनी बात रख सकते हैं।

लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने अविश्वास पर चर्चा के लिए जैसे ही कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का नाम पुकारा वैसे ही एकाएक संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी खड़े हो गए और बोले कि चर्चा में विपक्ष की सूची में पहला नाम राहुल गांधी का था लेकिन 11.45 के बाद 5 मिनट में उनका नाम क्यों बदल गया? हम सभी उनको सुनने के लिए बेताब हैं।

असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा मणिपुर के लिए हम इंसाफ की मांग करते है मणिपुर जल रहा है यदि मणिपुर में आग लगी है तो पूरा भारत में आग लगी है यदि मणिपुर बंट रहा है तो भारत बंट रहा है, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार से तीन सबाल किए,पहला 3 महिने होने आए पीएम अभी तक मणिपुर क्यों नहीं गए उन्हें जवाब देने में 80 दिन क्यों लगे और तीसरा स्थिति बिगड़ने के बावजूद अभी तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया,सांसद गोगोई ने कहा विपक्ष चाहता है पीएम मणिपुर जाएं और उत्तरी पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करें और विभिन्न संगठनों से मिलाकर शांति बहाली के प्रयास करें क्योंकि मंत्रियों की अपेक्षा प्रधानमंत्री का एक अलग प्रभाव होता है यदि वह शांति की अपील करते हैं तो उसका जरूर प्रभाव पड़ेगा।

जबकि सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि यदि विडियो सामने नही आता तो देश को पता ही नही चलता उन्होंने कहा मणिपुर की हिंसा और महिलाओं के साथ उत्पीड़न से हमारा सिर शर्म से झुक जाता है उन्होंने आरोप लगाया यह राज्य प्रायोजित हिंसा है सरकार बताए कि क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं हैं। जबकि एनएसपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा मणिपुर में युद्ध जैसे हालात है और सरकार पूरी तरह असंवेदनशील बनी हुई हैं। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री अपना इस्तीफा दे सांसद सुले ने यह आरोप भी लगाया कि पिछले 9 साल के कार्यकाल में बीजेपी ने 9 राज्यों की सरकार गिराई। पहले दिन कांग्रेस एनसीपी एसपी टीएमसी और डीएमके ने चर्चा में विपक्ष की तरफ से बहस में हिस्सा लिया। जबकि बीजेपी शिवसेना (शिंदे गुट) ने सत्ता पक्ष की तरफ से बहस की।

इधर सत्ता पक्ष मणिपुर पर कम बोला और चर्चा को दाएं बाएं ज्यादा घुमाया,बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने जवाब में कांग्रेस पर खुलकर हमला बोलते हुए कहा यह एक गरीब व्यक्ति के बेटे के खिलाफ अविश्वास मत है उन्होंने विपक्ष के नेताओं के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि जो दल और उनके नेता कभी कांग्रेस से पीड़ित रहे आज वे कांग्रेस के साथ है खुद में एका है नही वहीं इंडिया के नाम से एकजुटता की बात करते है दुबे ने सदन में मोजूद सोनिया गांधी और कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा सोनिया गांधी पारंपरिक भारतीय महिला है जिनको अपने बेटे राहुल गांधी को सेट और अपने दामाद को भेंट करना हैं।

जबकि केंद्रीय मंत्री किरण रिजजू ने सदन में कहा कि मणिपुर में जो संघर्ष चल रहा है यह चिंगारी आज की नहीं है यह कांग्रेस की नीतियों का दुष्प्रभाव है उन्होंने सबाल किया लेकिन विपक्ष को पूर्वोत्तर की आग ही क्यों दिखाई देती है प्रधानमंत्री ने सरकार बनते ही पूर्वोत्तर राज्यों पर ध्यान दिया था और ग्रुप बनाकर 15 दिन में 5 केंद्रीय और 7 राज्य मंत्रियों को दौरा करने को कहा था और आज भी यह दौरा चल रहा है और सदन में बैठे सभी मंत्रियों ने दौरा किया है। लेकिन यह कहने पर कांग्रेस के सदस्य जयराम नरेश ने इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध कराने की मांग करते हुए कहा रिजजू पिछले 97 दिन का ब्यौरा पेश करें।

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