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ग्वालियरमध्य प्रदेश

स्वास्थ्य सहायता के नाम पर निगम में 46 लाख रूपये बांटे, लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व महापौर निगम कमिश्नर सहित छह लोगों पर दर्ज किया मामला

Nagar Nigam Gwalior
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  • स्वास्थ्य सहायता के नाम पर निगम में 46 लाख रूपये बांटे,
  • लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व महापौर निगम कमिश्नर सहित छह लोगों पर दर्ज किया मामला

ग्वालियर- ग्वालियर की लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता निगम कमिश्नर विनोद शर्मा सहित दो पूर्व निगमायुक्त और पूर्व दो पार्षदों के खिलाफ मामला दर्ज किया है यह मामला कांग्रेस के एक पार्षद की शिकायत के बाद दर्ज किया गया है शिकायत में कहा गया है कि पूर्व महापौर के कार्यकाल में करीब 46 लाख रुपए की राशि लोगों को इलाज के नाम पर बंटी गई लेकिन इसके लिए परिषद की विधिवत मंजूरी नहीं ली गई और ना ही जिम्मेदार रहे अफसरों ने इस बारे में कोई रुचि दिखाई।

ग्वालियर नगर निगम में 2011 से 2015 तक महापौर रहीं समीक्षा गुप्ता की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा 1143 लोगों को बांटी गई 46 लाख रुपए की आर्थिक सहायता पर लोकायुक्त ने एफआईआर दर्ज की है। इस मामले में तत्कालीन आयुक्त एनबीएस राजपूत, वेदप्रकाश और विनोद शर्मा (वर्तमान में पदस्थ) के साथ ही पार्षद अंजलि रायजादा व नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। खास बात ये है कि ग्वालियर नगर निगम में दर्जनभर डॉक्टर होने के बावजूद बिना जांच के सर्दी-जुकाम, बुखार, डायबिटीज आदि सामान्य रोग बताने वालों को आर्थिक मदद बांटी गई।

लोकायुक्त एसपी अमित सिंह ने यहा बताया कि आर्थिक सहायता वितरण में महापौर द्वारा अपनी स्वेच्छानुदान निधि से दी गई आर्थिक सहायता प्रकरणों में मेयर इन काउंसिल के कर्तव्य एवं संचालन नियम का घोर उल्लंघन किया गया। वहीं इसके लिए परिषद से मंजूरी भी नहीं ली गई तथा अपनी पार्टी एवं अपने चहेतों लोगों को उपकृत करते हुए नगर निगम को भारी आर्थिक क्षति पहुंचायी इसलिए मामला दर्ज किया गया हैं। लोकायुक्त को शुरूआती जांच में पता चला है कि आर्थिक सहायता वितरण में महापौर द्वारा अपनी स्वेच्छानुदान निधि से दी गई। आर्थिक सहायता प्रकरणों में मेयर इन काउंसिल के कर्तव्य एवं संचालन नियम का घोर उल्लंघन किया गया। वहीं इसके लिए परिषद से मंजूरी भी नहीं ली गई और अपनी पार्टी एवं अपने चहेतों लोगों को उपकृत करते हुए नगर निगम को भारी आर्थिक क्षति पहुंचायी है। वहीं नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक 2005 से 2010 तक महापौर विवेक शेजवलकर के पूर्व कार्यकाल में भी इसी तरह सदन के अधिकार पर समिति द्वारा सहायता राशि वितरित की गई थी। इस गड़बड़ी के लिए भी केस दर्ज कर जांच की जाना चाहिए।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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