तानसेन समारोह ‘ मैं आऊ तोरे मंदिरवा‘
ग्वालियर- तानसेन समारोह की सातवीं सभा में पुणे से आये युवा गायक पुष्कर लेले ने अपने गायन का जादू बिखेरा। पुष्कर ने गायन के लिए राग मधुवंती का चयन किया।
संक्षिप्त आलापचारी से शुरू करके इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की। एक ताल में निबद्ध विलम्बित बंदिश के बोल थे ष्मोरे मन राम नाम रटिये ष्जबकि द्रुत बंदिश के बोल थे – ‘मैं आऊँ तोरे मंदिरवा‘ । दोनों ही बंदिशों को गाने में पुष्कर ने अपने कौशल का खूब परिचय दिया। राग का विस्तार करने का उनका ढंग विविधतापूर्ण तानों की अदायगी बेहतरीन थी।गायन का समापन उन्होंने निर्गुणी भजन से किया। उनके साथ तबले पर रामेंद्र सिंह सोलंकी और हारमोनियम पर विवेक बंसोड़ ने मिठास भरी संगत की।
सांध्यकालीन सभा का आगाज स्थानीय तानसेन संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों व आचार्यों के ध्रुपद गायन से हुई। राग भूपाली ताल चैताल में निबद्ध तानसेन रचित बंदिश पेश की। जिसके बोल थे ‘केते दिन गए अलेखे‘।