नई दिल्ली, मुंबई/ चुनाव आयोग ने आज शिवसेना का चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम दोनों को ही फिलहाल फ्रीज कर दिया है जिससे शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुटों को जोरदार झटका लगा है क्योंकि अब यह पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों का ही इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे जबकि दोनों ही गुट शिवसेना पर अपना अपना दावा कर रहे थे। लेकिन इससे हाल में अंधेरी में होने वाले उपचुनाव में उद्धव ठाकरे गुट को ज्यादा नुकसान होने की संभावना उत्पन्न हो गई हैं। देखा जाएं तो शिवसेना की यह लड़ाई अब नये मोड़ पर आ गई हैं।
शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह तीर कमान को लेकर उद्धव ठाकरे गुट से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने अपना अपना दावा ठोका था और कहा था कि उनके पास शिवसेना के अधिकांश विधायक और सांसद है इसलिए उन्हें शिवसेना उनकी है और पार्टी के नाम और इसके चुनाव चिन्ह उनको दिया जाए लेकिन एकनाथ शिंदे के इस दावे पर उद्धव ठाकरे ने अपना विरोध जताया और उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था चूकि यह मामला चुनाव आयोग से जुड़ा था इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला फैसले के लिए चुनाव आयोग के पास आ गया। उद्धव ठाकरे गुट ने अपने अपने पक्ष में कहा कि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक पहले ही पार्टी छोड़कर चले गए थे इसलिए शिवसेना पर उनका कोई अधिकार नहीं बनता।
चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों से अपना अपना पक्ष रखने के साथ उनके पास अपना दावा पुख्ता करने के जो साक्ष्य हो उन्हें पेश करने को कहा था। इसके बाद चुनाव आयोग ने अपनी कार्यवाही शुरू की थी। समझा जाता है चुनाव आयोग ने इस मामले में फैसले को आगे बढ़ाते हुए फिलहाल शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर कमान फ्रीज करने के आदेश दिए है जिसके बाद आगामी फैसले तक इसका उपयोग अब ना तो उद्धव ठाकरे गुट कर सकेगा ना ही इस पर अपना दावा करने वाला एकनाथ शिंदे गुट ही कर सकेगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा है कि वह दूसरा नाम और चुनाव चिन्ह का प्रस्ताव भेजे। जिससे वह कोई फैसला आने से पहले चुनाव में उसका उपयोग कर सकेंगे
लेकिन हाल में महाराष्ट्र के अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव होना है यह सीट शिवसेना के विधायक की मृत्यु हो जाने से खाली हुई है शिवसेना के उद्धव गुट इस पर दिवंगत विधायक की पत्नी को चुनाव लड़ाने का फैसला कर चुका है लेकिन अब चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम फ्रीज होने से उद्धव गुट परेशानी में आ जायेगा क्योंकि एकनाथ शिंदे ने इस सीट पर बीजेपी को समर्थन देने के साथ इस सीट पर चुनाव नही लड़ने का फैसला लिया है अब उद्धव गुट के प्रत्याशी को दूसरे चुनाव चिन्ह पर बीजेपी के उम्मीदवार का मुकाबला करना होगा।