नई दिल्ली/ भारतीय राजनीति भी अजब गजब है इसमे कोई भी अमृत पीकर नही आया, देश का अवाम कब किसको आकाश पर बिठला दे और कब किसको जमीन पर ला दे, कह नहीं सकते 2024 के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। कांग्रेस के ही नही बीजेपी के भी कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए जिसमें डेढ़ दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं जबकि जो लाखों वोट से जीतते आए थे उन्हें काफी कम मार्जिन पर लाकर जनता ने सीख देते हुए अपनी ताकत से परिचित भी करवा दिया।सबसे बड़ी बात यह है बीजेपी को उस फैजाबाद सीट से भी हार मिली जहां के अयोध्या में भव्य राम मंदिर की स्थापना हुई है जिसके लेकर उसे समर्थक कहते नही थकते थे कि जो राम को लाए है हम उनको लायेंगे।
भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनाव में नारा दिया था वह अपने बलबूते 370 सीटें लायेगी और एनडीए गठबंधन इस बार 400 पार करेगा । लेकिन उसे देश की जनता उसे 240 सीट ही सिमटा दिया और वह स्पष्ट बहुमत से भी 32 सीट पीछे रह गई। इसके पीछे कई कारण रहे होंगे लेकिन इसके दिग्गज नेता तो नेता केंद्रीय मंत्री तक चुनाव हार गए उनमें सबसे बड़ा नाम है स्मृति ईरानी का जिन्हें कांग्रेस के एक अदना से कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा ने 1 लाख 67 हजार से अधिक मतो से हरा दिया। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भानुप्रताप सिंह, चंदोली सीट से महेंद्र नाथ पांडे कौशल किशोर, सुलतानपुर से और लखीमपुर खीरी से अजय मिश्रा टैनी फतेहपुर से निरंजन ज्योति और पूर्व मंत्री मेनका गांधी यूपी के सुलतानपुर से चुनाव में पराजित हो गई।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी खराखंड से आरके सिंह आरा बिहार से कैलाश चौधरी बाड़मेर राजस्थान से भागवत कुबा बंदर कर्नाटक से निशीथ प्रमाणिक पश्चिम बंगाल की कूच बिहार सीट से, देवाश्री चौधरी दक्षिण कोलकाता सीट से और सुभाष सरकार बांकुरा सीट से चुनाव में हार गए जबकि केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर केरल की तिरुबंतपुरम और केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधर केरल की ही अत्तिगल लोकसभा सीट से पराजित हो गए। बीजेपी ने 50 केंद्रीय मंत्री चुनाव में खड़े किए थे।
इसके अलावा उनकी दिग्गज नेता नवनीत राणा अमरावती से और हैदराबाद से माधवी लता असुदुद्दीन ओवेसी से चुनाव हार गई और इसके साथ ही जेएमएम छोड़कर चुनाव से पहले बीजेपी में आई पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन झारखंड की दुमका सीट से जेएमएम के नलिन सोरेन से चुनाव हार गई। जबकि दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ से चुनाव हार गए।
खास बात है जिस फैजाबाद लोकसभा में अयोध्या आती है वहां से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह चुनाव हार गए है उन्हें समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54,567 वोटों से हरा दिया। जिस अयोध्या में राममंदिर बनवाने का दावा बीजेपी करती आई है और उसने राममंदिर को इस चुनाव मे भुनाने की कोशिश भी की लेकिन यह मुद्दा इतना कारगर साबित नही हुआ लेकिन इस सीट पर पराजय मिलने से कही न कही उसे कसक होना लाजमी है। पर ऐसा क्यों हुआ? इसके पीछे कई कारण है एक बीजेपी नेता और उसके प्रत्याशी लल्लूसिंह अपनी हार के लिए खुद भी कम दोषी नहीं है उन्होंने नरेंद्र मोदी के 400 पार के नारे का हवाला देते बयान दिया था कि 400 सीटें संविधान बदलने के लिए जरूरी है और इससे जो दलित पिछड़ा वोटबैंक बीजेपी के साथ था वह खिसककर सपा के खाते में चला गया संभवतः उन्हें डर लगा कि यदि संविधान बदल जाता है उनका आरक्षण भी खत्म हो जायेगा। इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण अयोध्या के विकास के नाम पर वहां के निवासियों को बेदखल करना है। जबकि चुनाव जीतने वाले अवधेश प्रसाद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा यह जीत आम जनता की जीत हैं आजादी के बाद पहली बार है कि एक दलित प्रत्याशी को मौका मिला मैं इसके लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव को धन्यवाद देता हूं।
बीजेपी के अलावा उसके साथ एनडीए में शामिल कई दिग्गज भी इन चुनावों में धराशाई हो गए जिसमें जेडीएस के प्रज्जवल रेवन्ना जैसे नेता शामिल हैं। वही एनसीपी नेता अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार बारानती से अपनी नंद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से पराजित हो गई।
कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन में शामिल कई दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह राजगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी से चुनाव हार गए जबकि कांग्रेस और कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ इस बार चुनाव हार गए मध्यप्रदेश से ही कांग्रेस के एक और दिग्गज कांतिलाल भूरिया रतलाम से चुनाव में पराजित हो गए।जबकि राज बब्बर और कन्हैया कुमार उत्तर पूर्व दिल्ली से और कांग्रेस के दलित नेता उदित राज उत्तर पश्चिम दिल्ली से चुनाव हार गए। इंडिया गठबंधन में शामिल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंत नाग से और नेशनल कॉन्फ्रेस के उमर अब्दुल्ला भी चुनाव हार गए।