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सिंधिया खेमे के मंत्री विधायको के फोन बंद
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सिंधिया की प्रेशर पॉलिटिक्स, क्या अध्यक्ष बन सकते हैं सिंधिया
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राजनीतिक गलियारों में हलचल बड़ी
ग्वालियर- नई दिल्ली/ पिछले दिनों से मध्यप्रदेश में आये सियासी हड़कंप के बाद एकाएक आई शांति क्या तूफान आने के पहले की है आज राजानीतिक गलियारों में यह आवाज गूंज रही है क्योंकि आज सिंधिया खेमे के 6 मंत्रियों सहित सभी विधायको के फोन बंद आ रहे है किसी से भी कोई बात नही हो पा रही है सूत्र बताते है कि यह सभी दिल्ली में है। अब यह सिंधिया की प्रेसर पॉलटिक्स है या फिर सिंधिया बीजेपी का दामन थामने जा रहें हैं यह सबाल उठना लाजमी है।
लंबे समय से कांग्रेस के भीतर से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है लेकिन उन्हें पार्टी हाईकमान ने तवज्जों नही दी और कमलनाथ मुख्यमंत्री के साथ अभी तक अध्यक्ष भी बने हैं पिछले दिनों कांग्रेस और संरकार को समर्थन देने वाले विधायको के गायब होने के बाद दिविजय सिंह ने मामला साध लिया इस बीच सिंधिया समर्थक मंत्री विधायक मुख्यमंत्री निवास से दूरी बनाये रहे।
लेकिन आज सिंधिया समर्थक मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर इमरती देवी तुलसी सिलावट गोविंद राजपूत प्रभुराम चौधरी महेंद्र सिसोदिया सहित बिधायक ओपीएस भदोरिया, मुन्नालाल गोयल कमलेश जाटव ब्रजेन्द्र यादव गिर्राज दंडोतिया जसवंत जाटव जसपाल सिंह जस्सी सहित 17 विधायक ऐसे है जिनके फोन आज सुबह एक साथ बंद हो गये “आई ताजा खबर” ने उनसे संबंध भी स्थापित किया लेकिन बात नही हो पा रही इससे लगता है कुछ खास बात जरूर है।जबकि लंबे समय से ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की माँग जोर पकड़ रही थी।
पिछले दिनों श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने विधायकों के लापता होने पर चेतावनी दी थी कि यदि सिंधिया जी को अध्यक्ष बनाकर सम्मानित नही किया जाता तो इससे बड़ी राजनीतिक हड़कंप हो सकता है।जबकि राज्यसभा सांसद बिवेक तन्खा ने भीं कहा था कि यदि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हों जाती तो आज यह स्थिति नही आती। जैसा कि अकेले ग्वालियर चम्बल की 34 सीटों में से 26 बिधानसभा सीटें कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव की बजह से ही जीती थी लेकिन उन्हें सरकार बनने के बाद लगातार उपेक्षित किया जाता रहा है।
आज मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की अंतिरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात दिल्ली में की थी कमलनाथ ने मीडिया को बताया कि सोनिया से उनकी पिछले दिनों प्रदेश में हुई राजनीतिक गतिविधियों और राज्यसभा चुनाव के बारे में चर्चा हुई है, अब कमलनाथ भोपाल आकर प्रेस कॉम्फ्रेन्स में क्या कहते है यह फिलहाल राज ही है।हो सकता है सिंधिया की प्रेसर पॉलटिक्स काम करती है और सिंधिया का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिये हों जाये।
यदि ऐसा नही होता तो जैसा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की यह सम्मान की लड़ाई है तो एक विकल्प यह भी है कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाये।