निर्भया गेंग रेप मामले में SC ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
चारों दोषियों की फांसी की सजा को रखा बरक़रार
ये अलग ही दुनिया की कहानी लगती है — सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली ही नहीं बल्कि देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा है. फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे. फैसला सुनकर निर्भया की मां की आंखों में आंसू आ गए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया. दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे. जैसे अपराध हुआ, ऐसा लगता है अलग दुनिया की कहानी है. जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं.
गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि ये दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे. जजों ने कहा कि जिस तरह इस घटना को अंजाम दिया गया, ऐसा लगता है कि यह दूसरी दुनिया की कहानी है. सेक्स और हिंसा की भूख के चलते इस तरह के जघन्यतम अपराध को अंजाम दिया गया. लिहाजा निर्भया गैंगरेप केस के इस फैसले में अपराध की जघन्यता को तरजीह देते हुए इन दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है. इस मामले में इन दोषियों की पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखती…. इस तरह के मामलों में उम्र, बच्चे, बूढ़े मां बाप होने के आधार पर सजा में कटौती की मांग रियायत की कोई वजह नहीं हो सकती. इस तरह के अपराध की कोई और कसौटी नहीं हो सकती. इस घटना ने समाज की चेतना को हिला दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के वक्त नाबालिग समेत सभी दोषी घटनास्थल पर मौजूद थे. दिल्ली पुलिस की जांच बिल्कुल सही थी. पीडि़ता के बयानों पर संदेह नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्हें फांसी बलात्कार के आरोप में नहीं, इनकी नृशंसता की वजह से पीडि़ता की मौत हो जाने की वजह से दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक जांच और डीएनए सबूतों से भी पता चलता है कि अपराध को अंजाम दिया गया.
अदालत ने 429 पेज के अपने फैसले में कहा कि सेक्स की भूख, हिंसक ऐक्ट और कामविकृति के लिए इन्होंने सामूहिक चेतना को झकझोरा है… यह पूरा वाकया दिखाता है कि कैसे अनियंत्रित हवस के लिए इन्होंने घिनौना कृत्य किया है, घिनौने जूनून वाला जो माइंडसेट दोषियों ने दिखाया है वह स्तब्धकारी सदमे की सुनामी की तरह है जिसने संभ्रांत समाज की चेतना को झकझोरा है… सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहते हुए चारों दोषियों की अपील खारिज कर दी कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल की जरूरत नहीं है… सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाड़े की रात 16 दिसंबर 2012 को जब लड़की अपने दोस्त के साथ PVR सिनेमा से निकली तो उसने सोचा भी नहीं होगा कि बस में मौजूद 6 लोगों की हवस का शिकार बनेगी, इन लोगों ने लड़की को मनोरंजन का साधन बनाया .. इन दोषियों ने अपनी काम पिपासा के लिए लड़की के प्राइवेट पार्ट को क्षत-विक्षत किया। अपनी सनक में इन्होंने लड़की को ट्रॉमा में धकेल दिया .. लड़की के साथ दरिंदगी करने के बाद इन्होंने उसे उसके दोस्त के साथ बिना कपड़ों के सड़क पर फेंक दिया और उन पर बस चढ़ाने की कोशिश की, दोनों जाड़े की रात बीच सड़क पर बिना कपड़ों के पड़े रहे इस दौरान लोगों ने उन्हें कपड़े और चादर दिए और फिर अस्पताल पहुंचाया … इस मामले में अपराध का जो नेचर है उस पर सरकारी वकील सिद्धार्थ लूथरा का कहना था कि इस मामले में दोषियों ने समाज के विश्वास को तार-तार किया है…. इस तरह का अपराध समाज में एक डर पैदा करता है और जो घिनौना और बर्बर कृत्य किया गया है उसमें रेयरेस्ट ऑफ रेयर का केस बनता है… सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर दोषियों ने पैशाचिक, बर्बर और निर्दयता वाली हरकत की है, इन्होंने न सिर्फ पीड़िता को रॉड से पीटा बल्कि उसके कपड़े फाड़े, उसे किक किया और फिर उसकी इज्जत को तार-तार किया। .. फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश के कानून के राज के लिए बहुत बड़ा दिन है ‘यह अपराध क्रूर और शर्मसार करने वाला था, जो निर्णय किया गया है मैं उससे बहुत सुकून महसूस कर रहा हूं… उधर निर्भया के पिता और माँ ने फैसले पर ख़ुशी जताते हुए कहा कि हमें न्याय मिला है लेकिन पूरा न्याय तभी मिलेगा जब इन चारों को फांसी हो जाएगी और तब तक ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी। …