हाथरस / उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा नारायण साकार विश्व हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में अभी तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है मरने वालों में अधिकांश महिलाएं शामिल है। बताया जाता है सत्संग के बाद जब भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार भीड़ में से गुजरे तो उनकी चरण रज लेने के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और यह हादसा हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं साथ ही कहा है कि यह एक साजिश जैसी लगती है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश में भारी अमंगल हो गया हाथरस के फुलरई गांव में एक खेत की डेढ़ सौ बीघा जमीन पर भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का सत्संग का आयोजन हुआ था बताते है कि 11 बजे शुरू हुआ सत्संग दोपहर डेढ़ बजे समाप्त हुआ और करीब 1.40 बजे जब बाबा का काफिला भीड़ के बीच से कच्चे रास्ते से निकल रहा था तो लाखों की संख्या में मोजूद उनके श्रृद्धालु पास से उनके दर्शन के साथ चरणों की रज लेने के लिए जुटने लगे बेकाबू भीड़ को दूर रखने, बाबा के सेवादारों ने उनके साथ धक्कामुक्की की, और वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया, जिससे कीचड़ हो गई खेत के निचले हिस्से में एकाएक लोग नीचे गिरने लगे और उनको कुचकते हुए भीड़ उनपर से गुजरती चली गई, जिससे पूरा वातावरण चीख चिल्लाहट में तब्दील हो गया इस घटना में अभी तक 121 लोगों की मौत हुई है जिसमें 111 महिलाएं 7 बच्चें और 3 पुरुषों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए, जबकि प्रशासन ने भी 121 लोगों की मौत की पुष्टि की हैं।
इन सभी मरने वालों के शवों का पोस्टमार्टम हाथरस एटा अलीगढ और आगरा के अस्पतालों में देर रात से शुरू होकर सुबह तक होता रहा सभी जगह काफी ह्रदय विदारक दृश्य था अस्पताल परिसर में लाशें बिछी हुई दिखाई दे रही थी तो लोग अपनों के शवों के पास विलाप करते नजर आ रहे थे किसी की मां किसी की बहन किसी की पत्नी किसी के बच्चें इस हादसे में चल बसे थे और लोग अपने परिजनों के शवों को लेकर इधर उधर भटकते भी दिखाई दिए।
इस घटना के बाद सरकार ने यूपी एडीजी के नेतृत्व में जांच और कार्यवाही के लिए एक एसआईटी गठित की है बताया जाता है आयोजकों ने सत्संग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 80 हजार की सख्या की अनुमति ली थी लेकिन इस आयोजन में करीब ढाई लाख लोग शामिल हुए, जिससे साफ है श्रृद्धालुओ की तादाद काफी ज्यादा थी और भीड़ के हिसाब से न तो फोर्स तैनात थी न ही वालंटियर ही मोजूद थे। जिससे भीड़ बेकाबू हो गई और इतनी बड़ी घटना हो गईं। प्रशासन की पहली रिपोर्ट में भी कहा गया है कि बाबा के चरणों की रज लेने की होड़ में जुटी भीड़ में भगदड़ से यह हादसा हुआ हैं।
मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जिसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश महुकर का नाम शामिल है बाकी 21 लोग अज्ञात है लेकिन सबसे बड़ी और चौकाने वाली बात है कि पुलिस एफआईआर में मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम शामिल नहीं किया गया है। बताया जाता है बाबा इस घटना के बाद अंडरग्राउंड हो गया पुलिस रात भर उसकी तलाश में छापेमारी करती रही मैनपुरी के उनके आश्रम पर भी पुलिस ने तलाशी ली फिलहाल आश्रम के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुद्धवार को सुबह हाथरस पहुंचे और उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों को देखा और प्रशासन से इस घटना की जानकारी ली। बाद में प्रेस कांफ्रेंस में सीएम योगी ने कहा कि यह हादसा एक साजिश जैसा है लोग मरते रहे सेवादार वहां से भाग गए उन्होंने न तो इस हादसे की सूचना प्रशासन को दी और न मदद की जब जानकारी मिलने पर प्रशासन और पुलिस की टीम घटना स्थल पहुंची तो सेवादारों ने उन्हे आगे नहीं जाने दिया। उन्होंने कहा कि हमने कुंभ जैसे आयोजन किए लेकिन ऐसी चीजे नही हुई सीएम ने बताया कि घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज और पुलिस के सीनियर रिटायर्ड अफसरों की टीम हादसे की जांच करेगी और दोषियों को सजा देंगे।
हाथरस हादसे के 24 घंटे बाद धार्मिक सत्संग करने वाले भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के मार्फत पहला बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे आयोजन स्थल से निकलने के बाद यह हादसा हुआ है और कुछ असामाजिक तत्वों ने यह भगदड़ मचाई इनके खिलाफ वह लीगल एक्शन लेंगे, साथ ही उन्होंने मृतकों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की बात कही है।
इस बड़े हादसे के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आए है जिसमें आयोजक तो दोषी है ही बल्कि पुलिस और प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। जो कमियां सामने आई उसमें आयोजन स्थल काफी छोटा था और उसमें दाखिल होने या निकलने का दरवाजा एक और छोटा था उसमें इमरजेंसी के लिए कोई रास्ता नहीं था आयोजन स्थल या आसपास पीने के पानी भोजन खान पान और सुचारू ट्रैफिक की कोई व्यवस्था नही थी आयोजन स्थल पर कम से कम 5 एंबुलेंस होना चाहिए, जो नही थी।
बाबा के काफिले के आने जाने का बीच में एक रास्ता था जो छोटा और कच्चा था और बाबा के काफिले के दौरान दोनों ओर कोई बेरीगेटिंग नही थी घटना के बाद अस्पताल पहुंचे घायलों को घंटो तक उपचार की सुविधा नहीं मिली क्योंकि अस्पतालो मै उचित संख्या में डॉक्टर ही नही थे न ही जनरेटर थे जहां थे वहां तेल नहीं था स्वास्थ्य और इलाज की कोई सुविधा नहीं होने के साथ घायलों की तादाद के हिसाब से मेडिकल टीम नही थी। आयोजको ने 80 हजार की भीड़ जुटने की अनुमति ली थी लेकिन ढाई लाख लोग वहां आ पहुंचे इस दौरान प्रशासन और पुलिस ने इसका कोई संज्ञान ही नही लिया न ही व्यवस्था बनाई। आयोजन स्थल पर पंखे कूलर की पूरी व्यवस्था नहीं थी वाहन बेतारतीव ढंग से खड़े थे अनुमति में सभी बातों का जिक्र नहीं था अनुमति देने और लेने दोनो में काफी लापरवाही बरती गई सत्संग स्थल से निकलने के एंट्री और एगिज्ट रास्ते अलग अलग नहीं थे,पुलिस का केवल 40 कर्मियों का दस्ता वहां तैनात था। कार्यक्रम की पूरी कमान सेवादार संभालते दिखे भीड़ के हिसाब से सेवादारों की सख्या भी कम थी।
हादसे के बाद बाबा फरार हो गया उसने आयोजन स्थल पर बेकाबू व्यवस्था को नियोजित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। बाबा के सेवादारों के जत्थों में गुलाबी ड्रेस वाले नारायण सेना कहलाते है जो 50 .. 50 की टुकड़ी में थे दूसरे हरिवाहक होते है जो ब्राउन ड्रेस के साथ सिर पर टोपी लगाते है और 25 ..25 की संख्या में उनकी टुकड़ी होती है बाबा के साथ ब्लैक कमांडो चलते है जिसकी टुकड़ी ने 20 सदस्य होते है।
प्रयागराज के वकील गौरव द्विवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पीआईएल लगाई है जिसमें उन्होंने हाथरस हादसे की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विशाल तिवारी ने एक पीआईएल दाखिल करते हुए जिसमें रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में 5 विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाकर उससे पूरे मामले की जांच की मांग की है।