भोपाल/ एयरफोर्स की मदद से करीब 16 घंटे बाद सतपुड़ा भवन में लगी आग पर काबू पा लिया गया हैं। जहां तक आग लगने के कारणों का सवाल है दफ्तर में लगे एसी में शॉर्ट सर्किट से हुए विस्फोट से आग फैलने की संभावनाएं जताई जा रही है लेकिन इस धधकती आग से सतपुड़ा भवन का करीब 80 फीसदी हिस्सा जल कर स्वाहा हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रक्षामंत्री से बात कर सेना की मदद ली और एयरफोर्स और दमकल दस्ते ने सुबह 8 बजे काफी हद तक आग बुझा दी ऊपरी हिस्सों में सुलगती आग पर मंगलवार को 12 बजे तक काबू पा लिया गया।
मुख्यमंत्री ने आज इस अग्निकांड को लेकर एक उच्च स्तरीय रिव्यू मीटिंग बुलाई है जिसमें मुख्यसचिव डीजीपी एसीएस, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी भी मोजूद रहे बताया जाता है बैठक में इस भीषण आग से हुआ नुकसान और उसकी भरपाई के साथ कारण का आंकलन किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने जांच कमेटी से तीन दिन में सतपुड़ा भवन में लगी आग की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश अधिकारियों को दिए है।
राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में सोमवार को करीब साढ़े तीन बजे आग लगी जो एकाएक फैलती चली गई जब तक आग बुझाने का नगर निगम का फायर अमला और अन्य संसाधन पहुंचते आग ने भीषण रूप ले लिया और तीसरे माले से शुरू हुई यह आग चौथे के बाद पांचवे और छठी मंजिल तक जा पहुंची। इस बीच कमरों में लगे एसी में आग लगने के साथ विस्फोट होने लगा जो आग के और ज्यादा धधकने का कारण बना बताया जाता है करीब 35 से 40 एसी में आग लगी और लगातार उनमें विस्फोट होते रहे, कुछ गैस सिलेंडर भी रखे थे उनमें भी आग लगी और विस्फोट हुए।
नगर निगम के फायर अमले ने आग बुझाने के पूरे प्रयास किए लेकिन पूरी पहुंच नही होने से बाहर तो आग बुझना शुरू हो गई लेकिन अंदर की आग बराबर सुलगती रही आग फैलने का यह एक बड़ा कारण सामने आया है करीब 60 फायर ब्रिगेड के वाहन आग बुझाने में काम आए। लेकिन भोपाल निगम का 5 करोड़ की कीमत से खरीदा गया आधुनिक हाइड्रोलिक सिस्टम आग बुझाने में नाकाम रहा बताया जाता है उसको चलाने के लिए कोई तकनीकी विशेषज्ञ ही नही था जबकि सतपुड़ा भवन में लगा फायर सेफ्टी सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया इस सिस्टम के तहत वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क फैलाया गया है लेकिन आग लगने के बाद पाइप की कमी के कारण पानी का सरक्यूलेशन ही नही हो सका।
आग बुझाने के लिए भोपाल नगर निगम के अलावा 10 फायर स्टेशन मंडीदीप सीहोर भेल एयरपोर्ट विदिशा से भी 30 फायर ब्रिगेड वाहन पहुंचे लेकिन पूरी पहुंच नही होने से अंदरूनी भाग की आग फैलती गई करीब फायर ब्रिगेड के वाहन आग बुझाने में लगे रहे लेकिन पानी का प्रेसर चौथी पांचवी मंजिल तक पहुंच ही नहीं पा रहा था।
तेज हवाओं ने इस आग में घी का काम किया बताया जाता है आग लगी उसी दौरान 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल रही थी जिसके साथ आग इतनी तेजी से फैली कि सतपुड़ा में खलबली मच गई बताया जाता है आग लगने के दौरान भवन में एक हजार से अधिक अधिकारी कर्मचारी अपने विभागों में थे जब लोगों को खबर लगी तो अफरा तफरी फेल गई और लोग बाहर निकलने के लिए धुएं और तपिश के बीच दौड़ लगाते नजर आएं इस दौरान कई लोग गिरे भी उन्हें हल्की चोटे भी आई। लेकिन इमारत के अगले हिस्से में आग फैलने के खतरे को देखते हुए बिल्डिंग के पिछले दरवाजे का ताला तोड़कर उसे खोला गया जिससे अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी बाहर निकल सके।
सतपुड़ा भवन में 6 माले है और उसकी ऊंचाई 80 फुट है तीसरी मंजिल पर स्थित आदिम जाति कल्याण विभाग से आग की शुरूआत हुई थी जो छटवी मंजिल तक जा पहुंची इस मंजिल पर एलआईसी स्वास्थ्य संचालनालय परिवहन विभाग शाखा के कार्यालय भी है, इसके अलावा अन्य मंजिलों पर वन विभाग आयुष विभाग चिकित्सा शिक्षा और पेंशन कार्यालय भी इस आग से प्रभावित हुआ बताया जाता है लोकायुक्त ईओडब्ल्यू और स्वास्थ्य विभाग की ही 12 हजार महत्वपूर्ण फायले और पुराना रिकार्ड जलकर स्वाहा हो गया यह आंकड़े सामने आए है।
बताया जाता है सतपुड़ा में आईएएस और विभागीय कमिश्नर के बैठने के लिए छटवी मंजिल पर हाल में इनोरग्रेशन का काम हुआ है और पांचवी पर भी शुरू हो रहा था लेकिन आग ने सब कुछ स्वाहा कर दिया करीब 10 करोड़ की राशि से यह इनोरग्रेशन का काम हुआ था इस आग ने 40 साल पुरानी इस इमारत का अधिकांश फर्नीचर और आधुनिक सजावट को पूरी तरह से निगल लिया और आज सतपुड़ा भवन काला बदसूरत नजर आ रहा है।
सोमवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे लगी यह आग लगातार फैलती चली गई बाहरी आग बुझती तो अंदर लगी आग धधक उठती रात भर आग बुझाने के प्रयास जारी रहे सुबह 8 बजे काफी हद तक आग पर नियंत्रण पा लिया गया था लेकिन छटवी मंजिल पर लगी आग को करीब 12 बजे बुझाया जा सजा इस तरह यह आग 20 घंटे तक तहलका मचाती रही।