रोहिंग्या शरणार्थी वापस म्यांमार भेजे जायेंगे, सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों को बापस म्यांमार भेजे जाने के सरकार के फ़ैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी हैं और कहा हैं कि जब म्यांमार ने खुद माना हैं कि रोहिंग्या मुसलमान उनके देश के नागरिक हैं और उन्हें देश बुलाने पर अपनी सहमति जताई हैं फ़िर उन्हें यहाँ रखने या रोकने का कोई औचिय्य ही नही हैं और रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश जाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से अन्य रोहिंग्या मुसलमानों के बापस जाने का रास्ता भी खुल गया हैं।यह फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिया हैं।
असम के काचार जिले में गत 29 जुलाई 2012 को विदेशी कानून उल्लघन मामले में सात रोहिंग्या शरणार्थियों को यहाँ की पुलिस ने गिरफ़्तार किया था जिन्हें बापस म्यांमार भेजा जाना था जिनमें मोहम्मद जमाल मोहबुल खस रहीमुद्दीन और मोहम्मद सलाम सहित 7 लोग शामिल हैं,और इन सभी की उम्र 25 से 30 साल के आस पास हैं।
लेकिन इन्हें बापस भेजने के निर्णय के खिलाफ वरिष्ठ वकील प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में बुद्धवार को एक याचिका लगाई थी जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय दिया जिससे साफ़ तौर पर रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत से म्यांमार जाने पर सील लगादी। अब असम सरकार मणीपुर की सीमा से इन्हें म्यांमार भेजेगी।