- उपचुनाव के नतीजो से बीजेपी और एनडीए को भारी झटका,
- विपक्ष पड़ा भारी, तीन लोकसभा और 9 विधानसभा पर कांग्रेस और गठबंधन ने जमाया कब्जा
नई दिल्ली / देश की चार लोकसभा और 11 विधानसभा के उपचुनावों में बीजेपी और उसके एनडीए गठबन्धन को भारी झटका लगा हैं जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को इन चुनावों में मिली इस सफ़लता से विपक्षी एकता को बल मिला है जिससे 2019 में बीजेपी की राह कठिन होती नजर आ रही हैं। जैसा कि चार लोकसभा के नतीजो में कैराना सीट पर आरएलडी, भन्डारा गोनिया में एनसीपी, नागालैण्ड सीट पर एनडीपीपी ने जीत हासिल की हैं वहीं महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट बीजेपी बचाने में सफ़ल रही है इसके अलावा 11 विधानसभा सीटो में से चार पर कांग्रेस और 6 पर अन्य विपक्षी पार्टियों ने कब्जा जमाया और बीजेपी को केवल एक सीट पर सफ़लता मिली हैं।साफ़ है विपक्षी एकजुटता के भंवर में बीजेपी फ़ंसती नजर आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठा पूर्ण कैराना लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोक दल की तबससुम बेगम विजई रही जिन्होंने बीजेपी की मृगया सिंह को पराजित किया, महाराष्ट्र की भंडारा गोदिया में एनसीपी के मधुकर राव कुकडे और पालघर में बीजेपी के राजेन्द्र गावित जीते नागालैण्ड लोकसभा सीट पर एनडीपीपी के तोखेहो विजई रहे।
विधानसभा के जो परिणाम आये उसमे महाराष्ट्र की पतुरा केडागांव मेघालय की अपान्थ, शाहकोट पंजाब और कर्नाटक की आरआर नगर विधानसभा कांग्रेस ने जीती तो नूरपुर ( उत्तर प्रदेश) समाजवादी पार्टी ने और बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल ने कब्जा किया हैं इसके अलावा केरल की चेनाग्गुर सीपीएम प. बंगाल की महेशतला टीएमसी झारखंड की सिल्ली और गोमिया सीट जेएमएम के खाते में गई हैं। जबकि उत्तराखंड की धराली विधानसभा सीट बीजेपी ने जीती हैं,जो पहले भी बीजेपी के कब्जे में ही थी।
बीजेपी और एनडीए के लिये चिन्ता का विषय हो सकता है कि कैराना लोकसभा सीट पहले बीजेपी की थी जो अब कांग्रेस बीएसपी सपा की मदद से आरएलडी ने और भंडारा एनसीपी मे बीजेपी से छीन ली नूरपुर पहले बीजेपी और जोकीहाट जेडीयू के पास थी जो अब सपा और आरजेडी के पाले में आ गई। इसी तरह करीब 11 में से 9 विधानसभाएं बीजेपी और एनडीए गठबन्धन की कम हो गई है। जहां तक देश के सबसे बड़े प्रान्त उत्तर प्रदेश की बात की जाये तो गोरखपुर और फ़ूलपुर हारने के बाद बीजेपी ने कैराना लोकसभा सीट को जीतने के लिये अपनी पूरी ताकत झौक दी थी लेकिन वह असफ़ल रही और उस पर विपक्षी एकता भारी पड़ी।
इस तरह उपचुनाव के यह नतीजे नरेन्द्र मोदी की सर्वमान्य नेता की छवि अमित शाह की चुनावी विसात को कही ना कही चोट तो पहुंचाते ही हैं बल्कि योगी आदित्यनाथ सहित उनके एनडीए गठबन्धन के साथी नीतीश कुमार को भी बड़ा झटका देते हैं।साफ़ हैं विपक्ष की एकता का सूत्र बीजेपी और मोदी पर भारी पडा साथ ही इस उपचुनाव के यह नतीजे कही ना कही 2019 के लोकसभा चुनाव का आइना भी दिखाते हैं।
जाहिर हैं बीजेपी को अगले चुनाव में सरकार बनाने के लिये भारी मशक्कत करना होगी।