एनआरसी पर राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने रखा सरकार का पक्ष… 30 जुलाई का ड्र्राफ़्ट अंतिम नही सभी को मिलेगा मौका, विपक्ष भ्रम ना फ़ैलाकर सहयोग करे
नई दिल्ली- असम के एनआरसी मामले में आज ग्रहमंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए आज कहा कि 30 जुलाई को जो ड्राफ़्ट आया हैं यह अंतिम नही हैं मैं विश्वास दिलाता हूं कि बिना भेदभाव के इसकी प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रखी जायेगी।और जो लोग अपने दस्तावेज पेश करेंगे उन्हें सूची में शामिल किया जायेंगा।
राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने किसी का नाम लिये बिना विपक्ष खासकर प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे को लेकर कुछ लोग भ्रामक स्थिति उत्पन्न कर देश में गलत फ़हमी पैदा कर रहे हैं जबकि उन्हें इस गम्भीर मामले पर सरकार का सहयोग देना चाहिये,उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया एनआरसी मामले का पहला ड्राफ़्ट कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने बनाया था और मनमोहन सिंह की सरकार ने इसमें आगे कार्यवाही बढाई,केन्द्रीय ग्रहमंत्री ने कांग्रेस के गुलाम नवी आजाद के एक बयान का जबाव देते हुए कहा कि इसमें 40 लाख परिवार नही 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया हैं परन्तु जैसा कि जो लोग 1971 या इससे पूर्व के दस्तावेज पेश कर देंगे उन्हें इस सूची में शामिल करने का प्रावधान रखा गया हैं साथ ही दांवे आपत्तियों के लिये सभी को पूरा समय दिया जायेंगा,राजनाथ सिंह ने बताया कि असम की कुल जनसंख्या 3.29 करोड़ हैं और 2.89 करोड़ सूची में हैं।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की मानीटरिंग कर रहा है,और इसके लिये एनआरसी टिव्यूनल का गठन भी किया गया हैं।
पिछले दिनों ममता बनर्जी के एनआरसी मामले में देश में ग्रह युद्ध की धमकी के बयान के बाद बबाल मच गया था,जबकि सरकार में मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि हमें रोहिग्या मुसलमानों की मदद करना चाहिए पर उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत की जिम्मेदारी नही इन्हें म्यामार भेजेने की कार्यवाही करना चाहिए,इससे सरकार की परेशानियों में बढ़ोतरी हुई,
असम के नेशनल रजिस्टर अॉफ़ सिटीजन्स के इस मसले में सियासत तेज होने से आपसी खीचातानी का माहौल निर्मित हो गया हैं विपक्ष का आरोप हैं कि ठीक लोकसभा चुनाव से पहले चार साल बाद मोदी सरकार को एनआरसी की याद क्यों आई? जैसा कि पूरे 40.07.707 लोग एनआरसी की सूची में शामिल होने से वंचित रह गये हैं खास बात है इसमें पूर्व राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद के परिवार सहित कुछ सांसद और असम के विधायक के नाम भी सूची में नही है।अब संसद में आज राजनाथ सिंह के माध्यम से सरकार ने भारतीयों को सूची में शामिल करने का भरोसा देने के साथ घुसपेठियों को बाहर करने की बात कही हैं, जबकि 31 दिसम्बर 2018 तक एनआरसी की अंतिम सूची बनाने की मियाद हैं।