एकात्म यात्रा पर शंकराचार्य ने उठाए सवाल, आदि शंकराचार्य के तत्थों के साथ छेड़छाड़ का लगाया आरोप
ग्वालियर- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार फिर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है स्वरूपानंद ने कहा है कि शिवराज सरकार की “आदि शंकराचार्य की एकात्म यात्रा” उनके सिद्धांतों के विरुद्ध है यात्रा में शंकराचार्य के बारे में जो कुछ बताया जा रहा है वो गलत है।
आदि शंकराचार्य के तत्थों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, जबाकि उनकी यात्रा उनकी जन्मभूमि से शुरू होना थी और केदारनाथ में खत्म होना था साथ ही इस यात्रा को चारों पीठों से होकर गुजरना था और शंकराचार्य के सिद्धांतों का प्रचार करना था। लेकिन यह यात्रा सरकारी हो गई है, जिसका जनता से कोई सरोकार नहीं है इसके साथ ही शंकराचार्य ने राजनीतिक व्यक्तियों पर भी निशाना साधा है उन्होंने कहा है कि ये लोग संत महात्माओं के पास जब आते हैं, जब उनको कोई लालसा होती है, जैसे मिनिस्टर बनवा दे, राष्ट्रपति बनवा दे या उनके बिगड़े काम बनवा दें। लेकिन जब इस तरह की धार्मिक यात्राएं होती हैं, तो सरकारें उनसे राय तक नहीं लेती हैं।
ऐसा ही कुछ आदि शंकराचार्य की यात्रा में भी हुआ है। जिसमें चारों शंकराचार्य को इस यात्रा से दूर रखा गया है सरकार के लोगों ने शंकराचार्यों से कोई मशवरा भी नहीं लिया है जबकि इस यात्रा को लेकर शंकराचार्य से बात करना चाहिए थी। जिसके कारण आदि शंकराचार्य की यात्रा में कुछ तत्य उनसे जोड़कर पेश किए जा रहे है इसके साथ ही शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि “आदि शंकराचार्य” की मूर्ति बनवाने में शिवराज सरकार का फायदा है लेकिन मूर्तियां महापुरूषों की बनती है लेकिन आदि शंकराचार्य तो भगवान शंकर के अवतार थे, ऐसे में उनकी मूर्ति बनना ठीक नही है शंकराचार्य ने कहा है कि जैसा हाल नर्मदा यात्रा का हुआ है, वैसा ही हाल आदि शंकराचार्य की एकात्म यात्रा का भी शिवराज सरकार करने जा रही है।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि “आदि शंकराचार्य की एकात्म यात्रा” उनके सिद्धांतों के विरुद्ध है यात्रा में शंकराचार्य के बारे में जो कुछ बताया जा रहा है वो गलत है। आदि शंकराचार्य के तत्थों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है जबाकि उनकी यात्रा उनकी जन्मभूमि से शुरू होना थी और केदारनाथ में खत्म होना थी साथ ही इस यात्रा को चारों पीठों से होकर गुजरना था और शंकराचार्य के सिद्धांतों का प्रचार करना था शंकराचार्य की एकात्म यात्रा” उनके सिद्धांतों के विरुद्ध हैं।
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