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दतियामध्य प्रदेश

ज्योतिरादित्य पर प्रियंका का तीखा हमला, उन्होंने दगाबाजी की परंपरा निभाई

Priyanka Gandhi Vadra
Priyanka Gandhi Vadra

दतिया/ मध्यप्रदेश में चुनावों के दौरान आरोप प्रत्यारोप तो बहुत लगे और लगाए गए, लेकिन कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखा हमला किया इस तरह सिंधिया परिवार पर आज तक के सियासी इतिहास में कभी नहीं हुआ उन्हें सीधा सीधा धोखेबाज की संज्ञा ही नही दी गई बल्कि प्रियंका गांधी ने यह तक कह दिया कि ज्योतिरादित्य ने सिंधिया परिवार की पुरानी दगाबाजी की परंपरा को निभाया है।

दतिया में आयोजित एक चुनावी सभा में बुद्धवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी छोड़कर जाने वालों पर करारा हमला बोला, खास तौर पर उनके निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ के नेता थे जिन्होंने धोका देकर कांग्रेस की सरकार गिराई और बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी की सदस्यता ले ली।

कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने कहा उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी मेरे साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी जिम्मेदारी दी थी लेकिन वह कुछ नही कर सके केवल महाराज बनकर रह गए, और जो उन्हें महाराज नही कहता उसका कोई काम नहीं होता, इसके बाद उन्होंने पार्टी की पीठ में उन्होंने छुरा घोंपा, प्रियंका गांधी यही नहीं रुकी उन्होंने कहा, कांग्रेस ने उनपर भरोसा किया और सब कुछ दिया, लेकिन उन्होंने दगाबाजी की पारिवारिक परंपरा जारी रखी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने भी कांग्रेस को छोड़ा था, विजयाराज़े ने कांग्रेस की चुनी हुईं डीपी मिश्रा सरकार को गिराई था और संविद सरकार के रूप में तत्कालीन अपने समर्थक गोविंद नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन जल्द गोविंद नारायण सिंह ने अपनी भूल मानी और मुक्ति भी ले ली।

कारण था विजयाराजे सिंधिया के सलाहकार सरदार आंग्रे व्दारा रोजाना कामों की लंबी सूची का आना इस समय लॉ ऐंड ऑर्डर की पेशकश होती थी इस दौरान विजयाराजे समर्थक एक मंत्री चेक से 20 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़े भी गए थे।

इससे आहत और परेशान मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह ने एक नोट शीट भी लिख दी थी और अपनी सरकार खुद गिराते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था और बाद में अर्जुन सिंह के साथ दिल्ली जाकर इंदिरा गांधी से माफी मांग ली थी। और वे फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे, यह बात खुद गोविंद नारायण सिंह ने उन्हें बताई थी जब वे राज्यपाल थे।

जबकि माधवराव सिंधिया किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए और गलती महसूस होने पर बाद में फिर से कांग्रेस में लौट आए थे उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। जब उनकी एक दुर्घटना में असामायिक मौत हो गई तो कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनेतिक परिवरिश की और अपना प्रश्रय दिया और कम उम्र में ही उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया।

कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती इने गिने लोगों में थी और वे ताकतवर नेताओं में शुमार थे कांग्रेस में दबदबे की वजह से उनके सभी समर्थकों को टिकट दिए जाते रहे थे लेकिन वह सिंधिया परिवार के तीसरे व्यक्ति थे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ी।

तीसरी बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के साथ घात किया, इनका यह घाव पार्टी के लिए घातक साबित हुआ। सिंधिया को पार्टी में वीटो पॉवर हासिल था, वे कांग्रेस के ताकतवर नेताओं में शुमार थे। कांग्रेस में दबदबे की वजह से उनके सभी समर्थकों को टिकट दिए जाते रहे ,लेकिन आज उनके समर्थकों को टिकट नहीं मिले, वह सिंधिया परिवार के तीसरे व्यक्ति थे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ी, लेकिन उन्होंने जो किया वह कांग्रेस के लिए काफी पीड़ादायक था। उन्होंने कहा इस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने धोखेबाजी की पुरानी परंपरा को निभाया।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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