पटना/ बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है और जिस तरह की ख़बरें बाहर आ रही है इससे लगता है बिहार में जल्द राजनेतिक फेर बदल होने वाला है राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांचवी बार फिर पाला बदलने की फिराक में है और उनके एनडीए में शामिल होने की अटकलें तेज होती जा रही है लेकिन जेडीयू के एक विधायक में यह कह कर सनसनी फैलादी कि अगर नीतीश भाजपा के साथ जाते है तो जेडीयू पार्टी टूट जायेंगी। इधर आरजेडी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम में जुट गई है। अब नीतीश कुमार क्या एनडीए और बीजेपी के पाले में जाने के बाद मुख्यमंत्री बने रहेंगे ? और उनकी सरकार का क्या हश्र होगा यह यक्ष प्रश्न बन गया हैं।
शुक्रवार को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में नीतीश कुमार पहले आ गए उसके बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पहुंचे लेकिन वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में बैठने की बजाय दूर बैठे करीब दोनों डेढ़ घंटे तक साथ रहे लेकिन कोई बातचीत नहीं हुई। उसके बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के बुलावे पर हुई टी पार्टी में तेजस्वी यादव नही पहुंचे, नीतीश कुमार के बगल में उनकी सीट खाली देखकर कुर्सी से उनके नाम की पर्ची हटाकर उस कुर्सी पर जेडीयू नेता अशोक चौधरी बैठ गए जिससे साफ होता है कि जेडीयू और आरजेडी में तल्खी बड़ती जा रही है दोनों नेता आज नजदीक बैठने को भी तैयार नहीं हैं।
दिल्ली में बिहार की सियासत को लेकर बीजेपी मुख्यालय पर बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गृहमंत्री अमित शाह और बिहार के प्रभारी बीएल संतोष मोजूद रहे। यह बैठक समाप्त हो गई है। इधर पटना में नीतीश कुमार ने सीएम हाउस पर बैठक ली जेडीयू नेताओं की बैठक ली जबकि रावड़ी निवास पर आरजेडी की बैठक हुई जिसमें लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव सहित अन्य नेता मोजूद रहे। जबकि कल शनिवार आरजेडी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है सूत्रों के मुताबिक़ बैठक के बाद आरजेडी अपने साथ के विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड करा सकती है। जबकि शनिवार को शाम 4 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होना है जबकि 28 जनवरी को जेडीयू विधायक दल की बैठक आहुत की गई है।
जबकि दिल्ली से लौटे बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी का कहना है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है जिसमें कोई भी चीज परमानेंट नही होती उन्होंने यह भी कहा जो दरवाजे बंद है उन्हें खोला भी जा सकता है उनके इस वक्तव्य से समझा जा सकता है कि अंदर खाने क्या चल रहा हैं।
इधर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि बिहार में क्या चल रहा है नीतीश कुमार और जेडीयू क्लीयर करें क्योंकि इस तरह की ख़बरों से इंडिया गठबंधन कमजोर होता है। जबकि आरजेडी सांसद मनोज झा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि नीतीश कुमार अपनी स्थिति साफ करें क्योंकि उनकी चुप्पी से कई तरह की अफवाह फैल रही है । बिहार कांग्रेस अध्यक्ष प्रेम चंद मिश्रा कि कांग्रेस चाहती है कि मुख्यमंत्री आगे आकर पूरी परिस्थिति के बारे में राज्य की जनता को बताएं और पूरी स्थिति स्पष्ट करें,हम नजर बनाएं है और कांग्रेस सारे विकल्पों पर विचार कर रही है।
लेकिन इस सियासी हलचल के बीच पूरी कमान आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव ने अपने हाथों में ले ली है वह सभी विधायकों से खुद बात कर रहे है उनका प्रयास है कि नीतीश के पाला बदलने के बाद वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करें और इसके लिए उन्हें 122 विधायकों का समर्थन चाहिए वह उसे इकट्ठा करे उनके हम पार्टी प्रमुख जीतमराम माझी से मुलाकात की भी खबरें है।
बिहार के सियासी समीकरण को समझें तो यहां विधानसभा की 243 सीटें है उनमें 78 बीजेपी जेडीयू 43 और हम पार्टी के 4 विधायक है जबकि आरजेडी पर 79 कांग्रेस 19 सीपीआई एमएल 12 और अन्य 6 विधायक है इस तरह यह सब मिल भी जाएं तो महागठबंधन पर कुल 116 विधायक होते है जबकि एनडीए पर फिलहाल 125 विधायक है और बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होगी एनडीए के पास फिलहाल यह आंकड़ा है अब यदि आरजेडी जेडीयू में सेंध लगाती है और उसके कुछ विधायक उसके पाले में आते है तभी कुछ बात बन पाएंगी।