नई दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की नई संसद भवन का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ उदघाटन किया इस दौरान उन्होंने पवित्र सेंगोल की स्थापना भी की इस अवसर पीएम ने कहा कि हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है और नई संसद एक भारत और श्रेष्ठ भारत का दर्शन है।
आज सुबह तड़के नई संसद सेंट्रल विष्टा का विधिवत उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया इस अवसर पर लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला भी मोजूद रहे, कार्यक्रम की शुरुआत पूजा अर्चना और हवन के साथ हुई और संत समाज ने वैदिक मंत्रोच्चारण करके साथ कार्यक्रम को भव्य रूप दिया। इसके उपरांत सर्व धर्म प्रार्थना सभा हुई जिसमें विभिन्न समाज के 11 धर्म गुरुओं ने अपने धर्म के आधार पर प्रार्थना की। नई संसद भवन के उदघाटन के साथ ही पीएम मोदी ने दीप प्रज्जवलित किया उसके उपरांत पवित्र सेंगोल को धर्म गुरुओं से ग्रहण किया और उसे स्पीकर की आसंदी के पास स्थापित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान वीर सावरकर को श्रद्धांजली अर्पित की साथ ही संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमिकों का सम्मान किया और 75 रुपए के सिक्के को जिसपर नई संसद के चित्र को उकेरा गया था उसका लोकार्पण भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान वीर सावरकर को श्रद्धांजली अर्पित की साथ ही संसद भवन के निर्माण ने योगदान देने वाले श्रमिकों का सम्मान किया और 75 रुपए के सिक्के को जिसपर नई संसद के चित्र को उकेरा गया था उसका लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह सहित मोदी केबिनेट के सभी मंत्री सांसद और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा मोजूद रहे जबकि बीजेपी नेताओं के अलावा एनडीए में शामिल पार्टियों के नेताओं के साथ 25 विपक्षी पार्टियों के नेता भी कार्यक्रम में शामिल हुए लेकिन कांग्रेस जेडीयू एनसीपी शिवसेना (उद्धव गुट) सपा टीएमसी आरजेडी सीपीआई सीपीआईएम नेशनल कांफ्रेंस सहित 21 विपक्षी पार्टियों ने कार्यक्रम में शिरकत नही की।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का संविधान हमारा संकल्प है और लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है नई संसद नए भारत के सृजन का आधार बनेगा जिसमें एक भारत श्रेष्ठ भारत का दर्शन होगा जो हमारे कर्तव्य पथ और राष्ट्र पथ का प्रतीक होगा, पीएम ने कहा चलने वाले का भाग्य चलता है और वही बढ़ता है जो रुक जाता है उसका भाग्य भी रुक जाता है यही बजह है कि आज जब भारत बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा 21 वी सदी भारत की गुलामी की जंजीर तोड़ रहा है। उन्होंने कहा नई संसद के निर्माण में 60 हजार श्रमिकों ने अपना पसीना बहाया है जो बेकार नहीं जायेगा और पवित्र सेंगोल हमें सेवा और अच्छा कार्य करने की सदेव प्रेरणा देता रहेगा।