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150 साल पूरे होने पर “वंदे मातरम्” पर लोकसभा में चर्चा, मोदी के वार पर कांग्रेस और विपक्ष का पलटवार

Parliament House Inside
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नई दिल्ली/ लोकसभा में आज सोमवार को “वंदे मातरम्” राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने पर बहस हुई और सदन में इसपर चर्चा में सत्ता और विपक्ष के सांसदों ने हिस्सा लिया। वंदे मातरम् पर बहस की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम को आजादी का मंत्र बताते हुए जिन्ना के दबाव में पंडित नेहरू पर वंदे मातरम की आत्मा को तोड़ने की बात कही लेकिन मोदी के वार पर कांग्रेस और विपक्ष ने उनपर पलटवार किया और पश्चिम बंगाल चुनाव की बजह से यह मुद्दा उठाने की बात कही।

पीएम मोदी के कांग्रेस और नेहरू पर तीखे आरोप-

पीएम मोदी ने कहा वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर हमें गर्व है जिसे बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा जिसमें आजादी के लिए जज्बा और विजन था इसका जन जन से जुड़ाव हैं इसने आजादी के आंदोलन को ऊर्जा दी। उन्होंने कहा अग्रेजों ने फूट डालो राज करो, की नीति अपनाई जब अंग्रेज बौखलाए थे तब यह गीत लिखा गया और 1905 में यह जन जन का गीत बना इसने अग्रेजों की नींद उड़ा दी अग्रेजों ने इस पर प्रतिबंध लगाया कड़े कानून बनाए अग्रेजों ने इसका गान करने वालों पर कोड़े बरसाए छोटे छोटे बच्चों तक को जेल में बंद किया।

पीएम मोदी ने कहा इसने 150 साल में कई पड़ाव देखे इसी के कारण आज हम सदन में बैठे है लेकिन 1937 में जिन्ना और मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम का विरोध किया उसका जबाब देने की बजाय नेहरू ने वंदे मातरम की जांच शुरू कर दी। एक तरह से नेहरू ने जिन्ना के दबाव में घुटने टेके और उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए ऐसा किया उन्होंने कहा इसके बाद आगे के 4 पेरा हटाकर वंदे मातरम् गीत के दो टुकड़े कर दिए और देश की आत्मा को तोड़ दिया। उन्होंने कहा जबकि महात्मा गांधी ने भी इसको सम्मान दिया पर कौन सी भावना थी जो बापू पर भी भारी पड़ी।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और विपक्ष का पलटवार, किया कटघरे में खड़ा-

वही कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में कहा वंदे मातरम् गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है जो 75 सालों से देश के लोगों के दिल में बसा है फिर आज इस पर क्यों बहस हो रही है …मै बताती हूं… क्योंकि बंगाल का चुनाव आ रहा है मोदी जी उसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते है दूसरी असली बजह है इनका पुराना मकसद है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता की बड़ी लड़ाई लड़ी कुर्बान हुए उन्हें कमतर कैसे आंका जाए हम पुराने अतीत में मंडराते रहे और मूल मुद्दों से भटक जाये, लेकिन देश यह सब भूलने वाला नहीं है आप चाहे जितना भ्रम फैलाए और मै कहना चाहती हूं अब मोदी जी वो प्रधानमंत्री नहीं रहे जो पहले थे और जहां तक नेहरूजी की बात है जितने साल से मोदी जी पीएम है उतने साल नेहरूजी जेल में रहे।

प्रियंका गांधी ने कहा मेरा संसद में आए समय काफी कम है फिर भी मैं मोदी जी को एक सलाह देना चाहती हूं नेहरू जी ने जो गलतियां की जितनी गालियां देना हो दे आप वंदे मातरम की तरह एक विशेष सत्र बुलाए 10 घंटे से 40 घंटे तक बहस करे नेहरू इंदिरा और राजीव जी और परिवार बाद को लेकर जो आलोचना हो करे गालियां दे लेकिन उसके बाद इस बात पर फुल स्टॉप लगा दे।उसके बाद महंगाई बेरोजगारी देश के ज्वलंत मुद्दों पीएमओ में जो आपको लेकर चर्चा है आपके मंत्रियों की फाइलों की जो चर्चा है उसपर बहस कराए जिससे बेवजह सदन का समय खराब न हो।

कांग्रेस सांसद ने कहा मोदी जी ने यह बताया सबसे पहले 1896 में वंदे मातरम् को गाया गया था लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि 1896 में सबसे पहले वंदे मातरम को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में रविन्द्र नाथ टैगोर ने गाया था न कि आरएसएस के या हिंदू महासभा के किसी कार्यक्रम में। उन्होंने कहा कांग्रेस ने वंदे मातरम् को देश का राष्ट्रीय गीत घोषित किया प्रियंका ने कहा 17 अक्टूबर की रवींद्रनाथ टैगोर की चिट्ठी का पंडित नेहरू ने 20 अक्टूबर को जवाब दिया और लिखा – मैने तय किया है कि मैं 25 अक्टूबर को कोलकाता आऊंगा और टैगोर से मिलूंगा उसके बाद 28 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत घोषित कर दिया इसके लिए आहूत कार्य समिति की बैठक में भी महात्मा गांधी सहित देश प्रमुख बड़े महापुरुष मौजूद थे। साफ है न आप बंगाल को समझे न राष्ट्र को समझे यही बजह है कि आज न आपका राजनैतिक स्वास्थ्य सुरक्षित है न भाव सुरक्षित है एक बीजेपी संसद के टोकने पर प्रियंका ने कहा हम देश के लिए है आप चुनाव के लिए है उन्होंने यह भी कहा मोदी जी भाषण अच्छा देते है लेकिन भी लंबा कर देते है। लेकिन तथ्यों के मामले में कमजोर है।

सपा नेता एवं सांसद अखिलेश यादव ने कहा जिस वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को जोड़ा आज के दरारवादी लोग उससे देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने कहा वंदे मातरम् गाने के लिए ही नहीं बल्कि निभाने के लिए भी है। लेकिन सत्तापक्ष हर चीज पर अपना अधिकार जताना चाहते है चाहे उनका उससे कभी भी लेना देना न रहा हो।

जबकि टीएमसी सांसद महुआ मोहित्रा ने कहा बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम के सिर्फ दो स्टैंजा 1875 में लिखे थे बाद में 1882 में अपनी किताब (आनंदमठ) में चार और स्टेजों को जोड़ा था जबकि 1937 में कांग्रेस के पूछने पर रवींद्रनाथ टैगोर ने पहले दो पद लेने की बात ही कही थी। अब जबकि बंगाल में चुनाव का समय आ गया है तो बीजेपी इसे मुद्दा बना रही हैं।

“वंदे मातरम” इतिहास के पन्नों में –

सरकारी कार्यक्रमों में राष्ट्रगान जनगणमन गाया जाता है जबकि वंदे मातरम् गीत स्कूलों में गाने की पुरानी परंपरा है वंदे मातरम् को गीतकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 में अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर लिखा था इसके दो छंद संस्कृत के है बाकी 4 छंद बंगाली में है सबसे पहले यह गीत पत्रिका बंग दर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ में उसके हिस्से के रूप में छपा था जबकि सन् 1896 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में इसे प्रसिद्ध साहित्यकार एवं गीतकार रविन्द्र नाथ टैगोर ने सार्वजनिक रूप से गाया था।

जबकि खास बात है कि 1950 में जिस संविधान सभा की बैठक में वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत बनाने और शुरूआत केए दो छंद शामिल करने पर विचार विमर्श हुआ उसमें महात्मा गांधी प.जवाहर लाल नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सरदार वल्लभ भाई पटेल सुभाष चंद्र बोस,जेबी कृपलानी सहित अन्य सदस्य मौजूद थे। साफ है यह अकेले पंडित नेहरू का निर्णय नहीं था।

इतिहास के पन्ने पलटने पर मालूम हुआ कि जब जिन्ना ने इसका विरोध किया था तो पंडित नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को इस बाबत पत्र भी लिखा था जबकि इस दौरान 26 अक्टूबर 1936 में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने पंडित नेहरू के एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा, इस गाने में दिखाए गए प्यार और भाव से मै बहुत भावुक हो गया हूं जो हमारी मातृभूमि की सुंदरता और उदारता को दिखाता है मुझे इसके छंद अलग करने में कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि बाकी हिस्सों से मै खुद को जोड़ नहीं पाया।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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