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कर्मचारी विरोधी नीति अपनाने के खिलाफ सरकार को नोटिस…
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मांगे ना मानने पर विकास कार्य ठप्प करने की चेतावनी
ग्वालियर– मध्य प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ सरकार की अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर नोटिस जारी किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि मांगें नही मानी जाती तो 15 सितंबर के बाद इंजीनियर विकास कार्य ठप्प कर सकते हैं।
एसोसिएशन का कहना है कि उंसने संविदा उपयंत्रियों को रिक्त पदों पर और वर्क चार्ज उपयंत्रियों को नियमित पदस्थापना देने और निचले पदों पर कार्यरत कर्मचारी जो डिप्लोमा होल्डर्स हैं उन्हें उपयंत्री बनाने की मांग की थी। जो अभी तक लंबित पड़ी है। इसको लेकर डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन साल 2016 – 17 में आंदोलन किया गया था जिसमें उनका 48 दिन का वेतन भी काटा गया था।
बावजूद इसके उन्हें सरकार की ओर से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। एशोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना हैं कि साथ ही 28 साल की सेवा पूरी कर चुके कार्यपालन यंत्री पद का वेतनमान प्राप्त कर रहे वरिष्ठ यंत्रियो को सहायक यंत्री पदनाम देने की मांग को सरकार अबिलंब पूरा करे। उपयंत्री संवर्ग को पूर्ण सेवाकाल में एक भी पदोन्नति नहीं मिल रही है वरिष्ठ सदस्य बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है ।इसे लेकर मध्य प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन 4 सितंबर को जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित करेगा। फिर 14 सितंबर को आयोग के माध्यम से भी सरकार का इन मांगों की ओर ध्यान दिलाया जाएगा।
डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो 15 सितंबर के बाद से पूरे प्रदेश में विकास कार्य ठप्प कर सकते हैं जिसमें छह हजार नियमित इंजीनियर और 2000 संविदा इंजीनियर शामिल होंगे ।एसोसिएशन का यह भी कहना है कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सरकार को इंजीनियर अपना मांग पत्र सौंपेंगे।