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नसबंदी नही तो वेतन नही
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प्रदेश सरकार की हो रही है फजीहत
भोपाल – राष्ट्रीय स्वास्घ्य मिशन (एन एच एम) ने नसबंदी का टारगेट पूरा नही होने पर एक बड़ा फैसला लिया हैं।
एन एच एम के हाल में जारी के एक सर्कुलर में कहा गया है कि प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मचारी को 5 से 10 लोगों के नसबन्दी ऑपरेशन कराना अनिवार्य होंगा।
यदि वह इस पर अमल नही करते तो उनके वेतन में कटौती के अलावा उन्हें अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी जायेगी। लेकिन इस आदेश से प्रदेश की कांग्रेस सरकार की काफी फजीहत हो रही है।
जैसा कि मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ के आसपास है वर्तमान में उसके परिवार नियोजन कार्यक्रम की स्थिति काफी दयनीय है।
हर साल कमोवेश 6 लाख नसबंदी का टारगेट है जबकि पिछले सत्र में केवल 2500 नसबंदी ऑपरेशन प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्र या अस्पतालों में हुए वही टी एफ आर यानि टोटल फर्टीलरी रेट 3 से अधिक है और लक्ष्य 2.1 का है।
इस तरह इस परिवार नियोजन कार्यक्रम में कहा जा सकता है प्रदेश काफी पिछड़ गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का यह सर्कुलर नो वर्क नो पे के तहत जारी किया गया है जिसमें मिशन से जुड़े सभी स्वास्थ्य कर्मियों को अब 5 से 10 नसबंदी कराना अनिवार्य होगा।
यदि वह ऐसा नही कर पाते तो उनके वेतन में कटोती की जायेगी साथ ही टारगेट पूरा नही होने पर कलेक्टर हेल्थ वर्कर की अनिवार्य सेवा निवृत्ति का प्रस्ताव एन एच एम के भोपाल मुख्यालय को भेज सकता है।
जिसे कार्यवाही की अनुसंशा के साथ एन एच एम स्वास्घ्य निदेशालय के सामने रख सकेंगा।
लेकिन इसको लेकर अब प्रदेश की कमलनाथ सरकार टारगेट पर है बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता लोकेंद्र पाराशर ने इसे सरकार का एक अव्यवहारिक फ़ैसला बताया है और कहा है कि लगता है कांग्रेस परिवार नियोजन से संबंधित अपना पुराना इतिहास भूल गई है।