- म. प्र. में नई रेत नीति बनी, पंचायतो नगरीय निकाय को सौपी कमान,
- रायल्टी चुका कोई भी उठा सकेगा खदानों से रेता
भोपाल – प्रदेश में रेता बेचने का धंधा अब ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय करेंगे, और इन्हें रायल्टी फ़ुगतान करके कोई भी रेता ले जा सकता है परन्तु उसे रायल्टी चुकाने के चार घंटे के अंदर रेता उठाना होगी ,लेकिन मशीनों से रेत उत्खनन प्रतिबंधित रहेगा । खास बात हैं कि उत्खनन क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद इसकी किसी तरह की चेकिंग भी नही होगी ।
प्रदेश सरकार की केबीनेट की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में नई रेत नीति को हरी झंडी दे दी गई । इस नीति के तहत रेत की रायल्टी 125 रु. प्रति घन मीटर निश्चित की गई है इस राशि में 50 रु. पंचायत, 50 रु. खनिज निधि और 25 रु. खनिज निगम के खाते में जायेंगे । खदान से रेत लेजाने के बाद चेकिंग नही होगी बल्कि रायल्टी की रसीद दिखाना होगी ।मशीन से रेत निकालना प्रतिबंधित रहेगा ,वही खदानों पर रेता निकालने और डंपर में भरने वाले अलग अलग रहेंगे । इसके लिये कलेक्टर की देखरेख में खनिज विभाग और ग्राम पंचायत खदान चिन्हित करेंगी और कलेक्टर की केमेटी ही खदान की पर्यावरण एवं अन्य मंजूरियां देकर खदान तय करेगी ।उसके बाद खदान पंचायत को सौपी जायेगी। पंचायत को रायल्टी देकर कोई भी रेता उठा सकता हैं रसीद पर वाहन नम्बर होगा और रायल्टी चुकाने के चार घंटे के अंदर रेता उठाना अनिवार्य होगा । सभी पंचायते एक माह में सोफ़्टवेयर से रोयल्टी भरने की व्यवस्था कर लेंगी ऐसी संभावना व्यक्त की गई हैं। इसके लिये पंचायतों पर कियोस्क सेंटर शुरू हौगे । मानीटरिंग के लिये रेत प्रबंधको की संविदा आधार पर जल्द भर्ती होगी । खास हैं नई रेत नीति में कृषि कार्य के वाहनों के उपयोग पर छूट होगी वही फ़िलहाल वन क्षेत्रों को खनन में शामिल नही किया गया हैं। जैसा कि प्रदेश में वर्तमान में 1287 खदाने है इनमें 821 खदाने पर्यावरण की मंजूरी के अभाव में बन्द पडी़ हैं इनको भी इस नई नीति के तहत शुरू किया जायेगा ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विकास के मद्दे नजर आज रेता हर आदमी की जरूरत है इस नई रेत नीति से रेता सस्ती होगी और रोजगार के अवसर बढेंगे । संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने केबीनेट की बैठक के निर्णयों की जानकारी दी और कहा कि रेता की उपलब्धता सभी को होने से प्रदेश में रेता को लेकर जो अफ़रा तफ़री का माहौल हैं उसपर विराम लगेगा।
इधर खनिज विशेषग्य एवं पर्यावरण विदो ने इस रेत नीति पर सबाल उठाये है उनका कहना हैं कि पर्यावरण संरक्षण एवं नुकसान की सीधी जवाबदेही तय ना करने से स्थिति अनियंत्रित होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि कि कलेक्टर खुद कोई मानीटरिन्ग नही करेगा साथ ही पंचायतें को किसी तरह की तकनीकी समझ और नियमों की जानकारी नही है जिससे मनमर्जी का वातावरण बनेगा उनके मुताबिक सरकार ने कालाबाजारी को रोकने और रेत उठाने के बाद कोई मानीटरिन्ग से मनाही कर ओवर लोडिन्ग और अवेध परिवहन को खुली छूट दे दी है जिससे कारोबारियों के हावी होने का डर पैदा होता हैं साथ ही इससे प्रदेश से लगे अन्य प्रांतो को रेत पहुंचाने के रास्ते खुल जायेंगे ।