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किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा, चौथे दौर की चर्चा 3 दिसंबर को

Narendra singh tomar in meeting
Narendra singh tomar in meeting
  • किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा,

  • चौथे दौर की चर्चा 3 दिसंबर को

नई दिल्ली – कृषि बिल को लेकर किसान संगठन के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच आज हुई बैठक बेनतीजा रही अब चौथे दौर की बैठक 3 दिसंबर को होगी।

केंद्रीय सरकार के 3 कृषि बिलों को बापस लेने की मांग को लेकर पिछले 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत हैं और उन्होंने दिल्ली को बाहरी तरफ से घेर लिया और वही डेरा डाले हुए हैं पहले केंद्रीय सरकार ने उन्हें 3 दिसंबर को बातचीत का वायदा किया लेकिन किसानों की एकजुटता की जीत हुई और आज उन्हें सरकार ने बातचीत के लिये न्यौता दिया

इससे पहले आज सुबह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के निवास पर नेताओं ने मंथन किया इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हुए समझा जाता हैं सरकार के इन नुमाइंदों ने कृषि कानून को लेकर किसानों को साधने की रणनीति पर विचार किया होगा।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आज दोपहर बैठक शुरू हुई जो करीब साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में सरकार की तरफ से कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल और राज्यमंत्री सोमप्रकाश शामिल हुए, जबकि किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधि चर्चा के लिये मौजूद थे।

बैठक के बाद कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत काफी ठीक रही कृषि बिल को लेकर दोनो के बीच समझ सामने आई है फिलहाल यह बातचीत जारी रहेगी और 3 दिसंबर को किसान और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत होगी।

इधर बैठक में शामिल किसान संगठन प्रतिनिधि शिवकुमार शर्मा का कहना है बातचीत में हमने किसानों के हित में तीनों कृषि कानूनों को बापस लेने की मांग रखी हैं लेकिन कृषिमंत्री ने बताया कि यह बिल संसद में पास हुआ और फिर कानून में तब्दील हुआ इसलिये बापस कैसे लिया जा सकता हैं हमने इसमें संशोधन लाकर इस कानून को बापस लेने का प्रस्ताव रखा हैं अब सरकार को फैसला लेना है। जहां तक अगली बैठक का सबाल है हम तथ्य पूर्ण बिंदुओ को रखेंगे।

समझा जाता है 3 दिसंबर को चौथे दौर की चर्चा के बाद भी निरंतर बैठकों क़ा दौर चलता रहेगा जबकि किसान भी अपना आंदोलन सड़कों पर रह कर जारी रखेंगे क्योंकि फिलहाल इस समस्या का हल इतनी जल्दी और आसानी से निकलने की संभावना दिखाई नही देती। आज की बातचीत के बाद तो यही लगता हैं।

जैसा कि किसान इन तीनों कृषि कानूनों को बापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य अर्थात एमएसपी को रेग्योलाइज करने की मांग पर अड़े है साथ ही वे कहते है कि पराली का मुद्दा भी सरकार सुलझाये। इस बारे में उनका कहना है पराली को लेकर किसानों पर जुर्माना और सजा का प्रावधान है ऐसे कठिन समय मे वह जुर्माना कहा से भरेंगे।

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