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एमपी में कांग्रेस कर्नाटक की राह पर, कानुगोलू लगाएंगे कांग्रेस की नैया पार

Kanugolu
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भोपाल / कर्नाटक में कांग्रेस को मिली अपार सफलता के पीछे जिस रणनीतिकार का हाथ था क्या अब कांग्रेस उसे मध्यप्रदेश में भी आजमाना चाहती है हां यह बात सच है जिन रणनीतिकार सुनील कोनुगोलू की सेवाएं कांग्रेस ने कर्नाटक में ली अब उन्हें मध्यप्रदेश जीतने के लिए भी वह ले आई हैं।

जहां तक मध्यप्रदेश और कर्नाटक की बात करें दोनों राज्यों में सबसे महत्वपूर्ण समानता है कि दोनों राज्यों में बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस चलाकर सत्ता हथियाई थी कर्नाटक में कांग्रेस को बीजेपी सरकार के खिलाफ एंटी एंकमबेंसी 40 प्रतिशत भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे मिले तो पार्टी में भारी बगावत भी खुलकर सामने आई।

सबाल उठना लाजमी है कोन है यह सुनील कोनुगोलु जिसने कांग्रेस को कर्नाटक में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो आपको बतादे कोनूगोलू पहले प्रशांत किशोर की टीम के सदस्य थे जिन्होंने उनके साथ उनके कई राजनेतिक प्रोजेक्ट में काम किया। उन्हें कांग्रेस के साथ जोड़ने का श्रेय कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष और वर्तमान डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को है जिन्होंने उनकी प्रतिभा पहचानी और कर्नाटक चुनाव में उन्हें कांग्रेस की जीत का रणनीतिकार बनाया। कांग्रेस ने बीते साल मार्च में एक टास्क फोर्स का गठन किया था और उसमें कानूगोलू को बतौर रणनीतिकार शामिल किया।

कर्नाटक में 40 पैरसेंट कमीशन को लेकर ठेकेदारों ने पीएम को चिट्ठी लिखकर शिकायत की जिसका कोई हल नहीं निकला उसे कोनूगोलू ने पीछे रहकर pcm के माध्यम से बोम्मई सरकार के इस भ्रष्टाचार को घर घर पहुंचाया इसके अलावा मीडिया इवेंट मैनेजमेंट अमूल के खिलाफ स्थानीय नंदिनी दूध को कन्नड़ संस्कृति से जोड़ा इसके अलावा घोषणा पत्र में बजरंग दल पर बेन को जुड़वाना भी उन्हीं का काम था। यहां तक की राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा की पूर्व तैयारियों और कर्नाटक यात्रा में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही थी यह जानकारी भी मिली हैं।

जानकारी सामने आई है कि मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले कांग्रेस भी कई नेताओं को यहां सक्रिय करने वाली है उसमें कर्नाटक के डिप्टी सीएम और हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा प्रमुख रूप से शामिल हैं। साफ है कांग्रेस यहां भी कर्नाटक जैसी रणनीति और मुद्दों को जनता के सामने लाकर चुनाव जीतने का भरपूर प्रयास करेगी।

जहां तक बीजेपी का सवाल है यदि कमलनाथ सरकार के 18 महिने घटा दिए जाए तो 2003 से वह लगातार सत्ता में है साफ है बीजेपी पूरे साढ़े अठारह साल से यहां सत्ता सुख भोग रही है इस तरह सरकार की एंटी इनकांबेंसी के साथ कांग्रेस उसे कई मुद्दों पर घेर सकती है।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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