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मेहगांव विधानसभा – एक पार्टी का नही रहा दबदबा
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जातिगत समीकरण करते है जीतहार का फैसला…
भिंड – मध्यप्रदेश की भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा है। इस विधानसभा मे एक पार्टी का कभी दबदबा नहीं रहा। यहां जनता दल से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और बसपा तक के प्रत्याशी जीत दर्ज करा चुके है। यहां पर लगातार 2 बार बीजेपी का विधायक बनने के बाद 2018 के चुनाव मे कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को जनता ने अपना विधायक चुना। लेकिन सिंधिया खेमे के ओपीएस भदौरिया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया। जिसके बाद अब मेहगांव विधानसभा सीट खाली हो जाने से उपचुनाव होने को है।
मेहगांव विधासनसभा का राजनीतिक इतिहास –
सबसे पहले हम मेहगांव विधानसभा के राजनैतिक इतिहास की बात करते है। मेहगांव के इतिहास की बात करें तो 1977 मे जनता पार्टी के रामेश्वर दयाल विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। 1980 मे रायसिंह भदौरिया निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की। 1985 मे कॉग्रेस के रुस्तम सिंह ने जीत का परचम लहराया। 1993 मे बीएसपी के टिकट पर नरेश सिंह गुर्जर ने चुनाव जीता। 1998 मे बीजेपी के राकेश शुक्ला चुनाव जीतकर विधायक बने।
2003 मे मेहगांव की जनता ने मुन्नासिंह नरवरिया को अपना विधायक चुना। 2008 मे बीजेपी के राकेश शुक्ला एक बार फिर से मेहगांव के विधायक बने। 2013 के चुनाव मे बीजेपी ने चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को टिकिट दिया। मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को हराकर विधानसभा का रास्ता तय किया। 2013 के चुनाव मे बीजेपी को 29733 वोट मिले, वहीं कॉग्रेस को 28460 वोट मिले।
जीत का अंतर महज 1273 वोट का रहा। वहीं 2018 के चुनाव मे बीजेपी ने राकेश शुक्ला को चुनावी मैदान मे उतारा, तो कॉग्रेस ने एक बार फिर से ओपीएस भदौरिया पर दांव लगाया। इस बार कॉग्रेस के उम्मीदवार ओपीएस भदौरिया ने मेहगांव विधानसभा से शानदार जीत दर्ज कराई। राकेश शुक्ला को 2018 के चुनाव मे 35746 वोट मिले। जबकि ओपीएस भदौरिया को 61560 वोट मिले। इस तरह कॉग्रेस ने 25814 वोट से बीजेपी को पछाड़ दिया और मेहगांव सीट बीजेपी से खींच ली। लेकिन इस बार मामला पूरा उलट है।
बीजेपी से ओपीएस तो कांग्रेस से कई नाम –
कांग्रेस ने जिस उम्मीदवार की दम पर मेहगांव विधानसभा की सीट हासिल की थी,वही ओपीएस भदौरिया अब बीजेपी खेमे मे है। और इस बार बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी भी है। शिवराज सरकार मे उन्हें राज्यमंत्री पद से भी नवाजा गया है। वहीं कॉग्रेस की तरफ से टिकिट मांगने वालो की लिस्ट काफी लंबी है। इस लिस्ट मे जातीय समीकरण के लिहाज से ब्राह्मण से लेकर ठाकुर और ओबीसी के कॉग्रेसी नेता टिकिट के लिए कतार मे है।
कॉग्रेस की तरफ से सबसे प्रबल दावेदार चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को माना जा रहा है। लेकिन इनके नाम पर दिग्विजय सिंह और अजय सिंह समेत डॉ.गोविंद सिंह तक अपना विरोध दर्ज करा चुके है। लिहाजा कॉग्रेस की तरफ से दूसरे नंबर पर मजबूत दावेदारी राहुल भदौरिया की मानी जा रही है। राहुल भदौरिया कॉग्रेस के दिग्गज नेता डॉ.गोविंद सिंह के भांजे है। राहुल भदौरिया ने पटवारी की नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति की शुरुआत की।
मामा डॉ.गोविंद सिंह का उन्हें पूरा लाभ मिला और बहुत ही कम समय मे राहुल भदौरिया ने मेहगांव विधानसभा मे अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। राहुल भदौरिया वर्तमान मे यूथ कॉग्रेस मे प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी भी संभाल रहे है। राहुल भदौरिया के अलावा कॉग्रेस की तरफ से राजेन्द्र गुर्जर, ब्रजकिशोर शर्मा, रजनी श्रीवास्तव, नाथूराम चुरारिया समेत अन्य नाम भी कतार मे है।
विधानसभा का जातिगत समीकरण –
मेहगांव विधानसभा में कुल 254689 मतदाता है। इनमे से क्षत्रिय-38636, ब्राह्मण-36395, जाटव-25571, बघेल-18796, काछी-18796, गुर्जर-23278, लोधी-16988, मुस्लिम-7335 है। खास बात है यहां पर सवर्ण वोट के अलावा ओबीसी का वोट काफी निर्णायक भूमिका अदा करता है। इसके अलावा गुर्जर, बघेल, नरवरिया, राठौर, जैन और मुस्लिम मतदाता भी चुनावी समीकरण मे खासा प्रभाव रखते है।
प्रमुख मुद्दे –
यहां के मुद्दो की बात करें तो मेहगांव विधानसभा मे कई मुद्दे है। मेहगांव विधानसभा मे परेशानियों का अंबार लगा हुआ है। मेहगांव मे गंदगी एक आम समस्या है। बारिश के मौसम मे जरा सी बारिश से मेहगांव कस्बे के कई इलाके पानी मे डूब जाते है। गली मौहल्लो मे कमर तक पानी भर जाता है। इसके अलावा मेहगांव मे विद्युत सब स्टेशन होने के बाबजूद बिजली समस्या से मेहगांव की जनता परेशान है।
बदहाल स्वास्थ्य सेवा और बढती हुई बेरोजगार भी यहां का अहम मुद्दा है। इसके अलावा अमायन कस्बे को तहसील बनाने और रौन को नगर पंचायत घोषित करने की मांग भी बरसों से अधूरी पड़ी है, जिसे लेकर लोगो मे काफी गुस्सा है। मेहगांव के कुछ ईलाको मे खारे पानी की समस्या से भी कई सालो से स्थानीय लोग जूझ रहे है लेकिन उसका भी कोई निराकरण नहीं हो सका है।
बीजेपी जुटी प्रचार प्रसार में –
उपचुनाव को लेकर जहां मत्री ओपीएस भदौरिया जगह जगह लोगो के बीच पहुंचकर लोगो से जन संपर्क कर रहे है, वहीं बीएसपी ने योगेश नरवरिया को अपना उम्मीदवार को बनाया है तो कांग्रेस का प्रत्याशी तय नहीं होने की वजह से कॉग्रेस की तरफ से चुनावी की तैयारियां फिलहाल फीकी चल रही है। आज बीजेपी के प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया तत्कालीन कमलनाथ सरकार की खामियां गिनाते हुए जनता के बीच वोट मांगने जा रहे है, वहीं कांग्रेस इस बार ओपीएस द्वारा दल बदलने को गद्दारी का टैग लगाकर मेहगांव की जनता के बीच ले जा रही है।
बीजेपी और कॉग्रेस दोनो ही दल अपने अपने मुद्दे लेकर कमर कस चुके है और चुनावी मैदान मे उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। अब सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी और उपचुनाव की तारीख की घोषणा होना बांकी रह गया है।