नई दिल्ली- मंगलवार को राज्यसभा में बासपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यू पी के सहारानपुर में दलितो के साथ घटी घटना को लेकर जब सरकार से जबाब मांगा तब सत्ता पक्ष के नेताओ ने हल्ला गुल्ला करना शुरू कर दिया जिससे राज्यसभा में हंगामा हो गया । इस दौरान मायावती लगातार सरकार को कटघरे में खड़ा कर गम्भीर आरोप लगाती रही उन्होने कहा राज्यसभा मै उन्हे सहारानपुर में दलित उत्पीड़न पर सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधिओ ने बोलने का मौका नही दिया,जबकि वे दलितो का प्रतिनिधित्व करती है।
उन्होने कहा कि यह सरकार बाबा साहेब के नाम पर दलितो को गुमराह कर रही है उसका दलितो की पीड़ा से कोई लेनादेना नही है यही बजह है कि उत्तर प्रदेश के सहारानपुर में गरीब अनुसूचित जाति के लोगो के साथ प्रशासन की मौजूदगी में जो अमानुषिक घटना हूई उस पर कार्यवाही या दलितो पर मरहम लगाने की बजाय भाजपा और सरकार में बैठे यह लोग मेरी भी आवाज को दवा रहे है, इसी बीच गुस्से से तमतमाई मायावती अपने इस्तीफ़े की धमकी देती हुई सदन से चली गयी।
बाद में बासपा प्रमुख मायावती ने राज्यसभा के सभापति को तीन पन्नों का इस्तीफ़ा सौप दिया जिसमे उन्होने केन्द्रीय सरकार और भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि आज देश में दलितो की हालत चिंताजनक है वे सुरक्षित नही है। इस्तीफ़े के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होने सरकार को दलित विरोधी होने का तमन्गा देते हुए गम्भीर आरोप लगाये और कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितो पर खुलकर अत्याचार हो रहे है। सहारानपुर में भाजपा के प्रशासन की मौजूदगी में जो कहर दलितो पर ढाया गया उससे भाजपा का असली चैहरा उजागर हो गया है कि वह दलितो की कितनी हितैशी ह? मायावती ने कहा कि हद तो तब होई जब सत्ता पक्ष न आजे मुझे इस मुद्दे बोलने तक नही दिया।
इधर कांग्रेस सहित विपक्ष इस मामले पर मायावती के साथ खड़े हो गये है कांग्रेस नेता रेणुका चोधरी ने कहा कि मायावती एक राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष भी है उनके साथ राज्यसभा में भाजपा ने जो व्यवहार किया वह शर्मनाक है, कांग्रेस इसकी घोर निन्दा करती है, उन्होने भाजपा के दो नावो में सवार होने का आरोप भी लगाया।