नई दिल्ली/ किसान संगठनों और सरकार के बीच एमएसपी को लेकर पैच फंस गया है सरकार ने 5 फसलों को एमएसपी के दायरे ने लाने का प्रस्ताव किसानों को दिया था लेकिन किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है और वह सभी 23 फसलों पर एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे है। इसके बाद अब किसान आरपार की लड़ाई के मूड में है और 21 फरवरी को उन्होंने दिल्ली कूच करने का फैसला लिया हैं। जैसा कि तीन दिन से अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डटे है जो 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे।
सयुक्त किसान मोर्चा (अराजनेतिक) और किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेतृत्व में किसान पिछले 13 फरवरी को दिल्ली कूच का कार्यक्रम बनाया था और वह अपने ट्रेक्टर और 6 माह का राशन पानी लेकर निकल पड़े थे और उन्हें रोके जाने और सरकार से वार्ता के दौरान किसान इस समय पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर और अन्य बॉर्डर पर डटे है इस बीच पेरामिलेट्री फोर्स और पुलिस से किसानों की झड़प हुई और पुलिस ने उनपर अश्रु गैस छोड़ी वाटर केनन का इस्तैमाल भी किया। अभी तक 250 किसान और करीब 25 से 30 पुलिस कर्मी भी घायल हो चुके है जबकि एक सब इंस्पेक्टर और एक किसान की मौत हो चुकी हैं।
इस दौरान किसान संगठन के नेताओं और सरकार के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल नित्यानंद राय के बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मोजूद रहे थे।18 फरवरी को चौथे दौर की मीटिंग में सरकार ने दाल दलहन उड़द मसूर अरहर के साथ कपास और मक्का सहित 5 फसलों की उपज को एमएसपी पर खरीद का 5 साल का प्रस्ताव किसानों के सामने रखा था तब किसानों के बीच चर्चा कर 21 फरवरी तक निर्णय लेकर बताने की बात किसान नेताओं ने कही थी। लेकिन किसान नेताओं ने 19 फरवरी को बैठक की और सामूहिक रूप से इस प्रस्ताव को नहीं मानने का निर्णय लिया और सभी 23 फसलों पर एमएसपी गारंटी देने की बात कही हैं।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरावनासिंह पंढेर ने कहा है कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ नही सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं उसके प्रस्ताव में कोई स्पष्टता नही है हमने किसानों के बीच उसे रखा था लेकिन सभी ने उसे अमान्य कर दिया है उन्होंने कहा हमारी मांग है कि सरकार 23 फसलों पर एमएसपी कानून बनाए और लीगल गारंटी दे साथ ही स्वामीनाथन आयोग के सी टू प्लस 50 फार्मूले को मान्यता दे उन्होंने कहा इसके आलावा हमारी कर्ज माफी और अन्य मांगों पर भी विचार करे लेकिन वह केवल 5 फसलों पर एमएसपी देने की बात कह रही है जिसे हमने नही मानने का निर्णय लिया है।
जबकि सयुक्त किसान मोर्चा (अराजनेतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मिडिया को बताया कि हमारी मांग सभी 23 फसलों पर एमएसपी गारंटी की उसी इससे कम पर हम राजी नहीं है अब सरकार से बातचीत का कोई ओचित्य नहीं है अब 21 फरवरी से किसान शांति पूर्ण तरीके से दिल्ली कूच के अभियान को आगे बढ़ाएंगे यदि सरकार हम पर अत्याचार करती है तो उसे भी सहेंगे। लेकिन यदि कोई अनहोनी होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मोदी सरकार की होगी।
खास बात है इससे पहले देश के सयुक्त किसान मोर्चा सहित अन्य किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को पहले ही नही मानने की घोषणा कर दी थी। इस तरह चार दौर की चर्चा के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच जो वार्ता का माहौल पैदा हुआ था वह पूरी तरह से खत्म हो गया हैं।
उल्लेखनीय यह भी है कि मीटिंग खत्म होने के बाद जब सरकार के नुमाइंदे बाहर आए तो उन्होंने कहा कि यह जो 5 फसलों को एमएसपी देने का सरकार का प्रस्ताव है वह उन किसानों के लिए है जो धान की बुवाई करते है लेकिन उन्हें धान छोड़कर इन फसलों का उत्पाद करना पड़ेगा।
इधर एमएसपी की कुल खर्च राशि पर भी सबाल उठ रहे है सरकार और उसके कृषि विशेषज्ञों का मत है यदि इन 5 फसलों पर एमएसपी रेट देने का ऐलान सरकार करती है तो उसपर 1.50 लाख करोड़ का खर्चा आयेगा लेकिन किसान नेता कहते है हमने कृषि विशेषज्ञों से बात की है उनका कहना है पूरी 23 फसलों पर सरकार एमएसपी रेट लागू करती है तो 1.75 हजार लाख करोड़ का खर्चा आयेगा। जबकि पिछले आंकड़ों के मुताबिक पहले 17 लाख करोड़ और उसके बाद 11 लाख करोड़ का आंकड़ा भी आ चुका हैं।