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कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत और बीजेपी की करारी हार, क्या रहे प्रमुख कारण- एक विश्लेषण

Congress
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बेंगलुरू/ कर्नाटक में पिछले 37 साल का रिकार्ड है कि सत्तासीन पार्टी दूसरी बार चुनाव नही जीत पाती लेकिन बीजेपी को इतनी करारी हार मिलेगी वह बीजेपी तो दूर किसी ने नहीं सोचा था लेकिन यह आज सच हो गया और कांग्रेस ने कर्नाटक में प्रचंड जीत हासिल कर बीजेपी को बुरी तरह से परास्त कर दिया, कांग्रेस की जीत के क्या कारण रहे तो बीजेपी ने कोन सी गलतियां की जिससे उसे करारी हार मिली राजनीतिक रूप से इस पर निगाह डालना जरूरी हैं।

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को तवज्जों नहीं दी, बजरंगबली का मुद्दा उल्टा पड़ा …

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को कोई खास तवज्जों नहीं दी बल्कि अपने प्रमुख नेता और लिंगायत समाज में खास पकड़ रखने वाले वीएस येदियुरप्पा को भी पीछे रखा जिससे जो लिंगायत वर्ग उनसे परंपरागत रूप से जुड़ा था वह बीजेपी से छिटक गया और उनके नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ और कांग्रेस को वोट देने की अपील तक जारी करदी। इसके अलावा बीजेपी कांग्रेस के बजरंग दल के बेन के निरेटिव में फंस गई और उसने इसे बजरंगवली का अपमान बताकर उसे भुनाने की खास कोशिश की खुद पीएम मोदी ने अपनी 21 सभाओं में से 19 सभाओं में बजरंगवली का नाम लेकर मतदाताओं को धर्म के नाम पर प्रभावित कराने का भरपूर प्रयास किया उत्तर भारत में धर्म के नाम पर जो मुद्दा जनता को जोड़ता था। वह दक्षिण भारत के कर्नाटक और उसके कन्नड़ भाषाई इलाकों में बुरी तरह फ्लॉप ही नही हुआ बल्कि कहे उल्टा पड़ गया क्यों कि इससे मुस्लिम वर्ग का वोट जो कुछ प्रतिशत बीजेपी और आरजेडी को मिलता था वह पूरी तरह एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में चला गया साथ ही लिंगायत समाज और अनुसूचित जाति भी इससे खासी नाराज हो गई । साथ ही बीजेपी के अजान हलाल और हिजाब के मुद्दे बेअसर रहे। जहां तक करेप्शन के इश्यू की बात है पीएम ने भी इसे जोरशोर से उठाया राजीव गांधी के 15/85 के मामले को लेकर वह कांग्रेस पर हमलावर रहे लेकिन कर्नाटक की बीजेपी सरकार के 40 फीसदी के कमीशन के मुद्दे के आगे फेल वह हो गया।

कांग्रेस ने एकजुटता का संदेश दिया तो बीजेपी अंतरकलह से घिरी …

बीजेपी में शुरू से ही अंतरकलह देखी गई हाईकमान ने जैसे ही कुछ नेताओं को टिकट की दौड़ से बाहर करने का ऐलान किया इससे कर्नाटक में तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिली और बीजेपी में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई उनके पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी सहित कमोवेश 47 नेताओं ने बगावत कर दी और बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया, जबकि कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में आई दूरियां कम की बल्कि दोनो में वीडियो के माध्यम से आम कार्यकर्ता में सुलह का एक संदेश देने की भी कोशिश की जिसका प्रभाव भी पड़ा।

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को चुनावी केंपियन से दूर रखा तो कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को तवज्जों दी…

बीजेपी ने केंद्रीय नेताओं और केंद्रीय योजनाओं को खास अहमियत दी उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधो पर पूरा चुनाव लड़ा उनके अलावा गृहमंत्री अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पार्टी के ब्राह्मण नेताओं को खास तवज्जों दी गई लेकिन अपने प्रमुख नेता पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा सहित कई प्रमुख स्थानीय नेताओं को चुनावी केंपियन से दूर रखा ।जबकि कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को अहमियत दी कांग्रेस ने सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जो खुद कर्नाटक से आते है उनके अलावा सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को खुलकर चुनाव प्रचार का मौका दिया।

Modi and Rahul
PM Narendra Modi and Rahul Gandhi

कांग्रेस के मुद्दे बीजेपी पर हावी रहे …a

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस बड़ी रणनीति के साथ मैदान में उतरी उसने स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी मंहगाई बेरोजगारी किसानों की समस्या के साथ बोम्मई सरकार के भ्रष्टाचार और 40 प्रतिशत कमीशन खोरी को बड़ा मुद्दा बनाया और भ्रष्टाचार के मुद्दे को जन जन तक पहुंचाने में वह कामयाब भी रही, इसके अलावा कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनहित की 5 गारंटी दी उसका भी आम मतदाताओं पर काफी प्रभाव पड़ा। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाने के साथ नंदिनी दूध के खिलाफ अमूल को कर्नाटक में प्रॉजेक्ट करने के मुद्दे को लपक लिया और उसको बीजेपी के खिलाफ खास तूल दिया खुद प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने नंदिनी दूध के केंद्रों पर जाकर इस मुद्दे को हवा दी।

बीजेपी ने केंद्रीय योजनाओ और विकास का हवाला दिया…

जबकि बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को छोड़कर केंद्रीय योजनाओं और विकास के मुद्दे को जनता के सामने रखा और यह भी कहा कि यदि बीजेपी नहीं जीती तो कर्नाटक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से वंचित हो जायेगा जो लगता है कर्नाटक के शिक्षित और स्वाभिमानी वर्ग ने धमकी के रूप में दिल पर ले लिया। जबकि बीजेपी ने अपने प्रजा ध्वनि में जनता के लिए कई मन लुभावन योजनाओं की घोषणा की थी बीपीएल कार्ड धारकों को साल में तीन रसोई गैस सिलेंडर रोजाना आधा किलो नंदिनी दूध श्री अन्न योजना के तहत 5 केजी अनाज, ब्याज मुक्त 5 लाख का लोन,10 लाख बेघरों को मकान सहित कई मन लुभावन योजनाओ की घोषणा की थी जबकि बीजेपी अध्यक्ष जेपी लड्डा ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को रेवड़ी की संज्ञा दी थी। लेकिन कांग्रेस की 5 गारंटी इसपर भारी पड़ गई।

टिकट डिस्ट्रीब्यूशन और घोषणा पत्र में पिछड़ी बीजेपी …

कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जिसमें करीब आधी सीटें शामिल थी चुनाव से करीब डेढ़ महीने पहले ही जारी करदी बकाया प्रत्याशी भी जल्दी घोषित हो गए जबकि बीजेपी ने इसमें देरी कर दी यही हाल घोषणा पत्र का हुआ कांग्रेस ने अपनी 5 गारंटी वाला घोषणा पत्र पहले ही जारी कर दिया और बीजेपी का चुनाव से एक हफ्ते पहले घोषणा पत्र जारी हुआ।इसके अलावा टिकट वितरण में खुद बीजेपी कार्यकर्ता मानते है कुछ गलतियां बीजेपी से हुई साथ ही जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी सहित 47 नेताओं के बीजेपी छोड़ने से स्थानीय तौर पर बीजेपी कमजोर हुई उन क्षेत्रों में उसके कार्यकर्ता मायूस और निष्क्रिय हो गए जिसका असर लिंगायत और वोक्कालिंगा वोटों पर भी पड़ा।

भारत जोड़ो यात्रा का असर …

कर्नाटक से भारत जोड़ों यात्रा की शुरूआत हुई थी और करीब 27 दिन राहुल गांधी ने इस राज्य में पैदल भ्रमण किया इस दौरान वह लोगों से काफी आत्मीयता और नजदीक से रूबरू हुए जिसका लगता है काफी प्रभाव इन चुनावों में देखा गया जिस क्षेत्रों से यह यात्रा गुजरी वहां की 75 फीसदी सीटों से कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

कमजोर मुख्यमंत्री और एंटी अनकंबेंसी, कांग्रेस के निरेटिव में फंसी बीजेपी…?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के व्यक्तित्व और उनकी सरकार का आम जनता पर कोई प्रभाव नहीं था वह केंद्रीय नेताओं के बीच काफी सुस्त और लिजी दिखे साथ ही बीजेपी सरकार की एंटी अनकांबेंसी का खासा असर स्थानीय वोटरों पर देखा गया, खास बात देखने में रहा पहले जो कांग्रेस बीजेपी के बनाएं निरेटिव के जवाब देती घूमती थी लेकिन इन चुनावों में पहली बार देखा गया कि बीजेपी कांग्रेस के बनाएं निरेटिव में फंस गई और उसका जबाव देती रही।

Tags : ElectionsPolitics

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