Exclusive | इम्फाल (स्पेशल रिपोर्ट)/ भारत के मणिपुर राज्य के हालात लगातार बेकाबू होते जा रहे है अभी तक दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में सैकड़ों गांव और घरों को आग के हवाले कर दिया गया और इस दौरान 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 3 हजार नागरिक घायल हो गए जबकि 70 हजार नागरिक प्रदेश से पलायन कर चुके है और सबसे गंभीर बात है कि केंद्र और प्रदेश के 4 मंत्रियों के घरों को आताताइयो ने जलाकर राख कर दिया। जबकि इस बेहद बुरी स्थिति के लिए जिम्मेदार बीरेन सरकार इस टकराव और हिंसा को रोकने में पूरी तरह से अक्षम साबित हुई है केंद्र सरकार के गृहमंत्री अमित शाह भी यहां का दौरा कर चुके है लेकिन लगता है उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा आज भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
आदिवासी कुकी और मैतई समाज में टकराव का कारण …
मैतई हाइव यूनियन वर्षो से अपने समुदाय को जनजाति वर्ग का दर्जा और आरक्षण की मांग करता रहा है उनकी याचिका पर कोर्ट ने पिछले दिनों उन्हें एसटी में आरक्षित करने के आदेश मणिपुर सरकार को दिए थे जिससे कुकी समाज भड़क गये और विरोध में उतर आये। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला गया एससी ने कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी उसके साथ यह भी कह दिया हम रिजर्वेशन के मुद्दे पर नही जायेंगे। दूसरा कारण रहा सरकार की अवेध अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही इसका सीधा सीधा प्रभाव पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी कुकी समुदाय पर पड़ा। जिसने आग में घी का काम किया इसके बाद कुकी मैतई समाज को अपना कट्टर शत्रु समझने लगे और दोनों के बीच टकराव की नोबत आ गई और जो आज बड़ा रुप अख्तियार कर चुकी हैं।
हिंसा और दंगे को आज डेढ़ माह हो गया और कैसे हुई शुरूआत …
मणिपुर में 3 मई को कुकी और नगा समुदाय ने आदिवासी एकता रैली की थी वहां से इस हिंसा बलवा और टकराव की शुरूआत हुई थी। कुकी और नगा समुदाय ने यह मार्च मैतई समाज को एसटी का दर्जा दिए जाने के विरोध में निकाला था। जैसा कि मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार के 10 साल पुराने प्रस्ताव पर मैतई समाज को 29 मई तक जनजाति (आदिवासी) वर्ग में आरक्षण देने का सरकार को आदेश दिया था यह मार्च इसके विरोध में था यहां अभी अनुच्छेद सी लागू है उसके मुताबिक मैतई समुदाय कुकी बाहुल्य पहाड़ी स्थानों की जमीन नही खरीद सकता ना ही वहां स्थाई रूप से रहने का हकदार है, लेकिन यदि वह एसटी की श्रेणी में आ जाता है तो वह पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीद सकता है और कुकी समाज को उनकी अपनी जमीनों पर कब्जे होने का डर है। उसके विरोध में भीड़ के रूप में हज़ारों की संख्या में मोजूद आंदोलनकारियों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने जब बल प्रयोग किया तो स्थिति बिगड़ गई और उसके बाद आपस में हुए टकराव के बाद लगातार तीन दिनों तक तांडव चला जिसमें दोनों समुदायों के बीच आपसी टकराव अग्निकांड हिंसा और एक दूसरे पर हमले शुरू हो गए।
चूकि दोनों समुदायों पर हथियार बंद उग्रवादी संगठन थे तो इसे नया मोड़ मिल गया और दोनों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गई। आज स्थिति यह है कि कुकी समुदाय मैतई बाहुल्य इलाकों में नही जाते तो मैतई लोग कुकी के क्षेत्रों में नहीं जा सकते। जो यहां की गंभीर स्थिति को बताता है आज दोनों समुदाय एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए है इससे नौकरीपेशा और दूसरी जगह काम करने वालों पर अपनी जान का खतरा बना रहता है लेकिन उनकी मजबूरी हैं।

मणिपुर सरकार में दोनों समाजों की भागीदारी और अपने अपने तर्क …
मेघालय राज्य में कुल 60 विधानसभा है जिनमें से मैतई समुदाय के 40 विधायक है जबकि कुकी और नगा समाज के विधायकों की तादाद उनसे आधी यानि 20 हैं जिससे साफ है सरकार में मैतई समाज का प्रभुत्व है। जिसके चलते कुकी समुदाय का तर्क है कि मैतई समाज संपन्न होने के साथ राजनेतिक रूप से पॉवर फुल है । उसे एसटी आरक्षण नही दिया जाना चाहिए इसके उलट मैतई समाज का कहना है 1949 में मणिपुर के भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासत काल में आदिवासी जनजाति का दर्जा मिला हुआ था पिछले 70 साल में उनकी जनसंख्या 62 फीसदी से घटकर अब 50 फीसदी रह गई है अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने के लिए आज मेतई समाज आरक्षण की मांग कर रहा हैं। इधर बीजेपी सरकार को समर्थन देने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (11 विधायक) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह मूक दर्शक बनकर नहीं देख सकती वह सरकार से बाहर हो जायेगी पार्टी के नेताओं ने कहा मणिपुर में अनुच्छेद 355 लागू है इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के साथ केंद्र की उतनी ही है।
मणिपुर राज्य की भौगोलिक स्थिति …
भारत का मणिपुर राज्य एक पहाड़ी बहुल प्रदेश है जिसका 90 फीसदी क्षेत्र पहाड़ी और केवल 10 फीसदी मैदानी है पहाड़ी इलाके में कुल आबादी के 42 प्रतिशत लोग रहते है जो कुकी आदिवासी है जबकि 53 फीसदी लोग मैतई समुदाय से आते है जो मैदानी इलाकों और इम्फाल की घाटी में रहते हैं। इम्फाल मणिपुर के केंद्र में आता हैं अन्य जातिवर्गों ने नगा सनमही और मुस्लिम शामिल हैं।
सिलसिलेबार टकराव हिंसा आगजनी और मौत …
मणिपुर में बिगड़े हालात और हिंसा में अभी तक 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है करीब 3 हजार लोग घायल और जख्मी हुए है और करीब 70 हजार लोग अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर चुके है तो कई लोग सुरक्षा केंपो में रह रहे हैं।
संक्षिप्त में एक नजर डालते हैं।
27 अप्रैल .. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह चुराचंदपुर में जिस जिम का उद्घाटन करने वाले थे उस जिम में आताताईयो ने आग लगा दी।
28 अप्रैल .. चुराचांदपुर सहित मणिपुर के 5 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद करने के साथ ही धारा 144 लागू, इस दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारी के साथ झड़प हुई
3 मई .. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ मणिपुर ने इंफाल में रैली की इस दौरान तोरबंद इलाके में हिंसा भड़की और 11 लोग घायल हुए
4 मई.. टकराव और हिंसा को रोकने लिए सेना सीआरपीएफ असम राइफल्स रेपिड एक्शन फोर्स और भारी तादाद में पुलिस बल की तैनाती
5 मई .. इंफाल में भारी बलवा और हिंसा हुई इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 1700 घरों को आग के हवाले कर दिया गया जिसमें सैकड़ों वाहन भी राख हो गए
12 मई.. चुराचांदपुर में भीड़ ने पुलिस पर घात लगाकर हमला किया जिसमें एक पुलिस अफसर की मौत हो गई जबकि 5 पुलिस कर्मी घायल हो गए
14 मई .. सीएम बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य के मंत्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिला और स्थिति की जानकारी दी
28 मई .. दो जिलों सुगनू और फायेंग में फिर हुई हिंसा एक पुलिस कर्मी सहित 5 लोग मारे गए
29 मई .. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचे
30 मई .. ओलंपिक पदक विजेता मीरा बाई चानू सहित अन्य विजेता खिलाड़ियों ने इस हिंसा के विरोध में अपने पदक लौटाने की चेतावनी दी
1 जून .. गृहमंत्री अमित शाह ने राहत शिविरों का दौरा किया साथ ही हिंसा करने वालों से शांति और हथियार सरेंडर करने की अपील की
2 जून .. गृहमंत्री की अपील के बाद करीब 145 हथियार सरेंडर हुए
4 जून .. काकचिंग जिले के सेरो गांव में काफी संख्या में आए लोगो ने करीब 100 घरों और कुछ गिरजा घरों में आग लगा दी, साथ बीएसएफ की पोस्ट पर मोर्टार से हमला किया इस तारीख तक मणिपुर हिंसा में अभी तक 98 लोगों की जान जा चुकी थी।
5 जून से आज तक .. अभी तक अलग अलग इलाकों में हुई हिंसा में करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है और कई गांव और घरों को आग के हवाले कर दिया गया पहले एक हिंसात्मक हमले में 9 लोगों की मौत हुई उसके बाद 3 को मौत के घाट उतार दिया गया इसके अलावा एक बस में आग लगाकर एक महिला और उसके मासूम बच्चे को जला कर खाक कर दिया गया।
केंद्रीय और प्रदेश मंत्री और विधायक भी सुरक्षित नहीं …
यदि इसके घटना क्रम पर गौर करे तो आम तो आम खास भी आज मणिपुर में सुरक्षित नहीं है सभी यहां की आग में जल रहे है 28 मई को कांग्रेस विधायक रंजीत कुमार का घर जला दिया गया 8 जून को बीजेपी विधायक सोरई साम के घर पर आईईडी बम से ब्लास्ट किया गया 13 जून को मणिपुर की उद्योग मंत्री नेमचा किपजेम का सरकारी बंगला आताताईयों ने फूंक दिया जो कुकी समाज से आती है हद तो जब हो गई जब 15 जून को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री आरके रंजन सिंह के बंगले पर हमला हुआ उसमें तोड़फोड़ के साथ उनका घर और सभी वाहनों को जला कर राख कर दिया गया। ताजा घटना में उग्रवादियों ने एकसाथ 5 जगहों को निशाना बनाया जिसमें इम्फाल के पश्चिम इरिंग पुलिस थाने पर हथियार बंद लोगों का हमला, बीजेपी एमएलए विश्वजीत पर हमला इम्फाल के बीजेपी दफ्तर पर आग लगाने की कोशिश और पोरमपैर में बीजेपी की महिला अध्यक्ष के घर हमला और विष्णुपुर में हमला शामिल है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि मणिपुर स्टेट फेल कर गया है और यहां की सरकार फेल साबित हो गई हैं एक केंद्रीय मंत्री का अपनी पार्टी की सरकार को फेल बताना काफी मायने रखता हैं।

भारी फ़ोर्स की तैनाती और आताताईयो ने हथियार छीने या दिए गए ?
प्रदेश में स्थानीय पुलिस के साथ मणिपुर रेपिड एक्शन फोर्स पेरा मिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ और असम राईफल्स के जवानों की तैनाती की गई है जिनकी कुल संख्या 60 हजार के करीब बताई जाती है लेकिन खास बात है केंद्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस को अलग अलग बांट लिया गया है कुकी समुदाय स्थानीय पुलिस पर भरोसा करता है जबकि मैतई समुदाय केंद्रीय सुरक्षा बलों को अपना संरक्षक मानता है यही वजह है कि कुकी लोग यहां तक उनकी महिलाएं भी रात के वक्त अपने इलाकों खासकर हाईवे पर पहरा देती है कि कहीं केंद्रीय बल के जवान उनके क्षेत्र में ना घुस आएं यह अजीब और अविश्वनीय स्थिति भी यहां देखी जा रही है जो आपस में अविश्वास और आपस में बड़ती खाई का परिचायक हैं। बताया जाता है कुकी नगा और मैतई समाज के उग्रवादी संगठनों पर 4 से 5 हजार आधुनिक हथियार और राइफल्स है मणिपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक यह हथियार स्वेच्छा से इन उग्रवादी संगठनों को पुलिस और सुरक्षा बलों में शामिल इन्ही समुदाय के लोगों ने सौप दिए और कह दिया कि छीन लिए गए। जबकि अभी तक केवल एक हजार हथियार ही सरेंडर हुए हैं। इस तरह अभी भी भारी तादाद में इन उग्रवादी संगठनों पर हमारे ही सरकारी हथियार हैं।
मिलीटेंस दोनों ही समुदायों में …
प्राचीन काल से मणिपुर और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में उग्रवादियों की मौजूदगी एक बड़ी समस्या रही है आज भी कुकी और मैतई समुदायों में मिलीटेंस के संगठन है अधिकांश पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय में करीब 40 उग्रवादी संगठन है खास बात है दोनों के महिला विंग भी है जो पुरुष उग्रवादी संगठनों से ज्यादा तेज तर्रार है और यह महिला संगठन हमेशा आगे रहते है लेकिन यह पहला मौका नहीं है कि इनमें टकराव हुआ हो लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया जबकि इन संभावित उग्रवादियों के पास वही हथियार है जो पुलिस या सुरक्षा बलों से इन्हे मिले हैं यदि अभी भी स्थिति को जल्द नहीं सम्हाला गया तो इसके परिणाम और भी भयानक हो सकते हैं।
क्या म्यांमार और वर्मा की मदद मिल रही है उग्रवादियो को …
भारत के मणिपुर राज्य से म्यामार और वर्मा की सीमा लगी हुई है जब यह टकराव जारी था तो पिछले दिनों म्यांमार से मणिपुर के विष्णुपुर में 300 हथियारबंद लोगों के घुसने की जानकारी मिली है गोपनीय सूत्रों के मुताबिक इन्होंने तोरबुंग के जंगली इलाके को अपने छुपने का ठिकाना बनाया, और उसके बाद हिंसा फैलाने यह ग्रुप चूराचांदपुर की और बड़े इनके समूह में चिन और कुकी भी शामिल है जब सुरक्षा एजेंसियों को यह पता चला तो वह सक्रिय हुए और ड्रोन की सहायता से इनका पता लगा रहे है। इस बीच गुरुवार को दोपहर में विष्णुपुर के त्रोंगला ओबी में कुकी हमलावरों ने अचानक पुलिस वाहन पर फायरिंग की जिसमें पुलिस का एक कमांडो शहीद हो गया और दो पुलिस कर्मी गोली लगने से जख्मी हो गए। जबकि इन समुदाय पर यह भी आरोप लगते है कि मणिपुर को नार्को टेरेरिस्ट स्टेट बनाने में इनका हाथ है सरहद से लगे वर्मा से काफी ड्रग मणिपुर आता है और पूरे भारत में सप्लाई होता है इस काम में अनेक राजनेता, संपन्न लोग और इन समुदायों के काफी लोग लगे है और उनकी आय का एक बड़ा स्रोत यह ड्रग माफिया हैं।
डबल इंजन की सरकार मणिपुर में नही कर पा रही शांति की बहाली …
मणिपुर में दिनों दिन बिगड़ते हालात और बड़ती हिंसा पर काबू पाने के लिए पहले असम के मुख्यमंत्री हेमंता विसबा सरमा और बीजेपी नेता राम माधव को वहां भेजा गया लेकिन वह मुख्यमंत्री और समुदाय के नेताओं और अन्य लोगों से मुलाकात और मीटिंग करके लौट आएं जबकि कुकी के एक उग्रवादी संगठन ने तो दोनों नेताओं से यहां तक कह दिया कि हमने आपकी सरकार बनवाने में आपकी मदद की थी। उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह 29 मई को पहुंचे 4 दिन रुके दोनों पक्षों के संगठन और नेताओं से मिले और समझाइश दी राज्यपाल के नेतृत्व में शांति कमेटी बनाने के निर्देश दिए जिसमे दोनो समुदाय के प्रमुख लोग, संगठन सांसद और प्रबुद्ध नागरिक शामिल होंगे जिससे समस्या सुलझाने का भरोसा दिया साथ ही शांति बहाली की अपील के साथ दोनों हथियार वापस करने को भी कहा लेकिन उनके जाने के बाद भी हिंसा रुकी नही लोगों के घर जला दिए चर्च पर हमला और आगजनी हुई कई लोग मारे गए।
बताया जाता है कुकी समुदाय मुख्यमंत्री को फूटी आंख नहीं सुहाते वह उन्हें अपना पक्का दुश्मन समझते है और उन्हें शांति कमेटी में शामिल करने पर कुकी समाज शांति बैठक का वहिष्कार करने का मन बनाया हुआ है साफ है स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया वह आज भी ज्यों की त्यों है लेकिन प्रमुख बात है इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर को लेकर आज तक एक भी बयान नही दिया ना ही वहां के नागरिकों से शांति की अपील करना ही मुनासिब समझा ।
देश के विपक्ष ने प्रधानमंत्री से मणिपुर मसले पर की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग …
देश की 10 विपक्षी राजनेतिक पार्टियों ने गत 10 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिठ्ठी भेजकर मणिपुर में बिगड़ते हालातों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए शीघ्र एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है जिसमें कांग्रेस जेडीयू आरजेडी आप नेशनल कांफ्रेस टीएमसी समाजवादी पार्टी एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख रूप से शामिल है लेकिन केंद्रीय सरकार ने अभी तक विपक्ष के पत्र पर कोई संज्ञान नही लिया इस मामले में एक पीसी के माध्यम से कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जयराम नरेश ने कहा कि आज से 22 साल पहले जब मणिपुर में इसी तरह हालात बिगड़े थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और सभी से इस मामले में सुझाव लिए थे और मिलजुलकर समस्या का हल निकाला और शांति बहाल हुई थी लेकिन ना जाने क्यों आज विपक्ष की बात नही मानी जा रही।
पीएम अटल बिहारी वाजपेई के समय में भी हुआ था बलवा, हिंसा…
सन 2001-02 में भी मणिपुर में इन दोनों समुदायों के बीच बर्चस्व की लड़ाई हुई थी जिसमें झड़प और हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई थी लेकिन उस समय मुश्किल होने के बावजूद वाजपेई सरकार ने संवाद और समझाइश के बाद स्थिति पर नियंत्रण पा लिया था। उस समय की राजनेतिक स्थिति भी अलग थी कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने 18 जून 2001 को मांग की थी और 6 दिन बाद प्रधानमंत्री वाजपेई ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी उसके बाद 8 जुलाई को दोबारा मीटिंग हुई जिसमें गंभीरता से मनन चिंतन कर सभी ने सरकार को अपने अपने सुझाव भी दिए थे।
क्या कहते है देश के रक्षा विशेषज्ञ पूर्व सैन्य अधिकारी और प्रबुद्धजन…
मणिपुर की समस्या विकराल होती जा रही इसका हल कैसे निकले और शांति कायम हो इसको लेकर एक नेशनल चैनल की डिवेट में लेफ्टीनेंट जनरल (रिटायर्ड) संजय कुलकर्णी, मेजर जनरल (रिटायर्ड) विशंभर दयाल, आईबी के पूर्व स्पेशल डीजी यशोवर्धन आजाद और मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर भौमिक ने सयुक्त रूप से अपने सुझाव देते हुए कहा कि वहां की सरकार को शीघ्र बर्खास्त कर मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए,साथ वहां अब टफ एक्शन की जरूरत पुलिस सहित जो सुरक्षा बल कुकी या मैतई समुदाय को अपना समर्थन दे रहे है उन्हें तत्काल हटाया जाएं वहां के डीजी पुलिस सख्ती से आदेश जारी कर हथियार वापसी को कहे अन्यथा जिनके पास हथियार है उनपर केस दर्ज कर कड़ी कार्यवाही करें, केंद्रीय सरकार और प्रधानमंत्री की तरफ से जल्द राजनेतिक प्रोसिज शुरू किया जाएं एक ऐसे नेता को वहां भेजा जाएं जो सर्वमान्य हो वरिष्ठ हो और जिसपर सभी विश्वास करते हो उन्होंने इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी सुझाया, प्रधानमंत्री को विपक्ष को साथ लेकर एक सर्वदलीय शांति की अपील भी की जानी चाहिए और वहां जो भी पार्टियों के नेता जाएं वह रुके नहीं वापस आ जाएं।
जबकि भारत के पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ट्वीट कर कहा है कि मणिपुर की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है शीर्ष नेतृत्व को जल्द उचित कदम उठाने की जरूरत है उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को भी टैग किया है।जबकि एक रिटायर्ड लेफ्टीनेंट कर्नल निशिंका सिंह जो मणिपुर में ही रहते है उन्होंने बड़ी गंभीर टिप्पड़ी की है कहा है आज मणिपुर स्टेट स्टेटस हो गया है और राज्यविहीन हो गया है लाइफ और प्रॉपर्टी (जानमाल) कभी भी लिए जा सकते है आज मणिपुर लेबनान नायजीरिया लीबिया सीरिया जैसी स्थिति में आ गया है उच्च स्तर पर ध्यान देने की जरूरत हैं।
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