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उत्तर प्रदेशप्रयागराज

महाकुंभ आस्था और तप का महासंगम, राजसी स्नान के साथ श्रीगणेश, कल संक्रांति पर अमृत स्नान, पौष पूर्णिमा पर 44 घाटों पर 1 करोड़ 65 लाख ने लगाई डुबकी

Mahakumbh 2025
Mahakumbh 2025

प्रयागराज / 12 साल बाद आने वाले धर्म और संस्कृति के महापर्व महाकुंभ 2025 का शुभारंभ आज पौष पूर्णिमा पर पहले राजसीस्नान के साथ हो चुका है। इस स्नान के साथ श्रद्धालु कल्पवास शुरू करेंगे। प्रयागराज के गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर आज 1 करोड़ 65 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी के संगम पर डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त किया हैं। कल मकर संक्रांति पर विशेष अमृत स्नान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संपन्न होगा ,जिसका पिछले 12 सालों से सभी इंतजार कर रहे है जबकि कल्पावास 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ समाप्त होगा। जबकि कुम्भ का अंतिम स्नान 26 फरवरी को सम्पन्न होगा। महाकुंभ की धार्मिक मान्यता है कि इन पावन दिनों में संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पहले दिन पौष पूर्णिमा पर 44 घाटों पर 1.65 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी —

12 वर्ष पर होने वाले महाकुंभ 2025 का प्रमुख राजसी स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से सोमवार को प्रारंभ से हो गया है सरकारी आंकड़ों के अनुसार पौष पूर्णिमा पर संगम के 44 घाटों पर सुबह तड़के 4 बजे से शाम 6 बजे तक 1 करोड़ 65 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और स्नान किया। सभी पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। खास बात है इस महाकुंभ में 144 साल में विशेष दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है यह वही संयोग है जो समुद्र मंथन के दौरान बना था।

संगम की अविरल पवित्र धारा में अमृत स्नान —

14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन कुंभ का पहला अमृत स्नान होगा। इसमें सभी अखाड़े भव्यता के साथ संगम में डुबकी लगाएंगे। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर 26 फरवरी को अंतिम राजसी स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा इस दौरान प्रयागराज में गंगा के पावन संगम पर भक्त आस्था की डुबकी लगाते है और देवाधिदेव महादेव को याद करते है।

इस महाकुंभ के दौरान कुल छह प्रमुख राजसी स्नान आयोजित किए जाएंगे। इनकी तिथियां इस प्रकार है पहला राजसी स्नान 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा को आयोजित हुआ इसी के साथ कुंभ का भव्य प्रारंभ हुआ। इसके उपरांत दूसरा राजसी अमृत स्नान 14 जनवरी 2025, मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सम्पन्न होगा जो मंगलवार को प्रातः 5.15 बजे से शुरू होगा जिसमें सभी 13 अखाड़ों को 40 – 40 मिनट का समय निर्धारित किया गया है महानिर्वाणी अखाड़े के महंत राजेंद्र दास के अनुसार उनके अखाड़े के साधु संत सुबह तड़के 3 बजे छावनी से निकलेंगे और सुबह 5.15 बजे सबसे पहले स्नान करेंगे। प्रशासन मुताबिक इसके बाद सुबह 6.05 बजे निरंजनी अखाड़ा, 7 बजे पंच दशनाम जूना अखाड़ा का समय हैं जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है इसलिए उसे ज्यादा समय दिया गया है।

इसके बाद क्रम से अन्य बाकी अखाड़े स्नान करेंगे, और सबसे अंत में 2.20 बजे पंचायती निर्मल अखाड़े का स्नान होगा। बताया जाता है संगम के मुख्य घाट पर हर घंटे 2 लाख से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा रहे है। मकर संक्रांति को अमृत स्नान का एक खास महत्व है जबकि तीसरा राजसी स्नान 29 जनवरी 2025, को मौनी अमावस्या पर होगा, चौथा राजसी स्नान 3 फरवरी 2025, वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर होगा। पांचवां राजसी स्नान 12 फरवरी 2025, को माघ पूर्णिमा दिवस पर सम्पन्न होगा के और अंतिम राजसी स्नान महाशिवरात्रि के महापर्व पर 26 फरवरी 2025 को सम्पन्न होगा इसी के साथ इस महाकुंभ का समापन होगा।

संत – महात्मा, नागा साधुओं के छावनी प्रवेश के विहंगम दृश्य, बढ़ाई शोभा —

महाकुंभ के इस पावन अवसर पर सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संतों ने राजसी स्नान किया। छावनी प्रवेश के दौरान संतों की पारंपरिक वेशभूषा, ध्वज और वैभवशाली जुलूस ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की गरिमा और अखाड़ों की प्राचीन परंपरा को जीवंत करता है। साथ ही भारतीय सनातन संस्कृति और वैभवशाली आध्यात्म शक्ति के विलक्षण दर्शन कराता प्रतीत होता है इसमें नागा साधुओं के विहंगम भेष और दृश्य साक्षात अवधूत देवाधि देव महादेव के भस्म दर्शन प्रतीत हो रहे है।

खास प्रशासनिक तैयारी और श्रद्धालुओं की सुविधा —

यूपी सरकार और प्रयागराज प्रशासन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। स्नान घाटों की स्वच्छता, चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, आपातकालीन सेवाएं, यातायात प्रबंधन सुनिश्चित किए गए हैं। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद इंतजामात किए है जिससे लिए यूपी पुलिस के अलावा विशेष बल महाकुंभ स्थल और आसपास के चप्पे चप्पे पर तैनात किया गया है साथ ही इस सुरक्षा की बागडोर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सौंपी गई है। जो पैनी नजर रखें हुए है।

सनातन संस्कृति और पारंपरिक शब्दावली का प्रयोग ने दिए नए आयाम —

इस महाकुंभ में पहली बार शाही स्नान को “राजसी स्नान” और पेशवाई को “छावनी प्रवेश” के रूप में संबोधित किया जा रहा है। यह पहल भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा इसमें धार्मिक वैभव का समावेश भी साफ नजर आता है।

महाकुंभ की भव्यता आस्था, एकता और संस्कृति का संगम —

महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय एकता और संस्कृति का उत्सव भी है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे स्वच्छता और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें, जिससे यह महापर्व सफल और चिर स्मरणीय बन सके।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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