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भोपालमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश चुनाव: 40 सीटें फंसी 10 से ज्यादा सीटों पर अपने ही दे रहे है कड़ी चुनौती, कांग्रेस बीजेपी दोनों की बड़ी मुसीबत

BJP and Congress Flag
BJP and Congress Flag

भोपाल/ मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को हुए चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आयेंगे, लेकिन कुल 230 विधानसभाओं में से कमोवेश 40 सीटें                               j         ऐसी है जो बुरी तरह से फंस गई है जहां बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर है तो कमोवेश 10 सीटें ऐसी है जहां अपने ही मुसीबत बन गए है जिससे बड़े बड़े राजनीति के धुरंधर जीत और हार के बीच झूल रहे है पहले लगता था कि वे आसानी से विजयी होकर फिर से विधानसभा में दाखिल हो जाएंगे लेकिन कई जगह त्रिकोणीय संघर्ष कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और जातिगत समीकरण उनकी रात की नींद और दिन का चैन हराम किए हुए है ऊपरी मन से वह कह जरूर रहे है कि वह जीत रहे है लेकिन अंदर से वह काफी आशंकित है। एक नजर डालते है इसी तरह की कुछ खास सीटों पर…l

रहली: 8 बार के विधायक को एक युवा महिला से कड़ी चुनौती…

सागर जिले की रहली सीट पर आठ बार के विधायक और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी के प्रत्याशी है जबकि इनके मुकाबले में कांग्रेस ने एक युवा महिला ज्योति पटेल को टिकट दिया है शुरू में लगा भार्गव के आगे ज्योति कही नही टिकेगी लेकिन ज्यों ज्यों प्रचार परवान चढ़ा उसे जनता का खासा समर्थन मिलने लगा उसके साथ कुछ ऐसे लोग भी जुड़े तो क्षेत्र में अपना अच्छा बजूद रखते थे भाजपा से आए कुछ नेता भी ज्योति के साथ आकर खड़े हो गए जिससे कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी को मजबूत टक्कर देने की स्थिति में आ गई। मतदान के बाद दोनों के बीच कुछ विवाद की स्थितियां भी पैदा हुई जनता में आम धारणा बनी कि दिग्गज नेता गोपाल भार्गव चुनाव हारने के डर से तो ऐसा नहीं कर रहे लेकिन असली पर्दा तो 3 दिसंबर को उठेगा।

ग्वालियर पूर्व: पुराना चेहरा लाई पार्टी ,ताकते रह गए कार्यकर्ता…

ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सतीश सिंह सिकरवार को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि काफी मंथन के बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व मंत्री माया सिंह को अंतिम समय में उम्मीदवार घोषित किया उन्हे लेकर बीजेपी में ही विरोध के स्वर भी उठे, लेकिन नेतृत्व ने कहते है विरोध करने वालों को मना लिया। लेकिन मायासिंह को सतीश सिंह सिकरवार कड़ी चुनौती दे रहे है वह जनता के बीच रहे जबकि मायासिंह को एक तरह से सोते से पार्टी ने टिकट देकर जगाया। चूकि मायासिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया की रिश्ते में मामी भी लगाती है इसलिए सिंधिया की प्रतिष्ठा भी उनसे जुड़ी है।

दतिया: जनता का रुख तय करेगा हार और जीत …

दतिया सीट प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है क्योंकि यहां प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव लड़ रहे है यहां के जानकार बताते है मिश्रा 2003 से लगातार तीन बार इस सीट से चुनाव जीतते आए है लेकिन इस बार उनकी लड़ाई हर बार की तरह सरल नहीं है उनको इस बार कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती से कड़ी टक्कर मिल रही है पिछली बार बीजेपी यहां से करीब 2600 मतों से जीती थी और काफी हद तक नरोत्तम मिश्रा को जिताने में शहरी मतदाताओं का योगदान था लेकिन इस बार कांग्रेस के उनकी निगेटिव छवि दर्शाने की बजह से शहरी समीकरण उनके फेवर में उतने नही हैं जितने हर बार रहते आए है इसके अलावा कुछ नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस के साथ आ गए जिसका फर्क पड़ना भी लाजमी हैं। लेकिन सबसे बड़ी खैबनहार है जनता और उसके वोट, उसकी इच्छा पर ही जीत हार का समीकरण तय होता है बीजेपी प्रत्याशी की उनके दिल में छवि कैसी है निगेटिव या पॉजिटिव, जबकि यहां के बुद्धिजीवी कहते है कुछ भी हो सकता है इससे साफ होता है भाजपा और गृहमंत्री के लिए यहां लड़ाई काफी कड़ी और चुनौतीपूर्ण है। लेकिन नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने का स्पेशलिस्ट भी माना जाता है वह अंतिम समय में जोड़बाकी कर हवा का रुख अपनी तरफ फेरने में भी काफी माहिर है ऐसा राजनेतिक पंडितों का कहना है अब देखते है किसका भविष्य उज्जवल होता है भाजपा का या कांग्रेस का ?

चंबल की भिंड सीट :पानी की तासीर, पार्टी से धोखा बना मुसीबत…

भिंड जिले की भिंड विधानसभा सीट कही न कही फंसती दिखाई दे रही है यहां देखने पर त्रिकोणीय मुकाबला लगता है कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व विधायक राकेश सिंह चौधरी को प्रत्याशी बनाया है जबकि बीजेपी ने भी पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह को फिर से टिकट दिया है लेकिन उपचुनाव के बाद बीएसपी से बीजेपी में शामिल मोजूदा विधायक संजीव कुशवाह को पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे नाराज हो गए और बागी बनकर बीएसपी के टिकट पर वह चुनावी मैदान में आ डटे यही वजह रही कि इस सीट से तीन दिग्गज प्रत्याशी खड़े होने से मामला रोचक हो गया है। खास बात यह भी है यह तीनों ही बीजेपी में रहे है।

अटेर: एक दल एक जातिवर्ग लेकिन दो प्रत्याशी, मंत्री जी मुसीबत में…

भिंड जिले की अटेर सीट पर भी काफी दिलचस्प मुकाबला है यहां त्रिकोणीय संघर्ष दिखाई दे रहा है बीजेपी ने यहां मंत्री अरविंद भदौरिया को टिकट दिया लेकिन पार्टी के एक और दावेदार जो पहले विधायक रह चुके है मुन्नासिंह भदौरिया उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बगावत का बिगुल फूंका और समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार बनकर बीजेपी की राह में कांटे बो दिए जिससे इस आपसी खींचतान का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को मिलता दिख रहा है दो की लड़ाई वह भी एक ही जातिवर्ग के बीच होने से यह स्थिति उत्पन्न हो गई है और कांग्रेस कही न कही फायदे में दिखाई देती हैं।

शिवपुरी : कही टूट न जाएं कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का सिलसिला …

ग्वालियर संभाग की शिवपुरी विधानसभा सीट भी इस बार पहेली बन गई है यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव नही लड़ने से इंकार करने के बाद खबर थी कि इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी हाईकमान चुनाव लड़ाने की तैयारी में है इस बीच इस हाई प्रोफाइल सीट से कांग्रेस ने अपने दिग्गज अविजित नेता केपी सिंह को पिछोर की बजाय शिवपुरी से टिकट देने का ऐलान कर दिया। लेकिन अंदरूनी बदलाव के तहत बीजेपी ने सिंधिया की बजाय इस सीट से अपने पुराने विधायक रहे देवेंद्र जैन पत्तेवाले को याद किया और केपी के मुकाबले उन्हें मैदान में उतार दिया। चूकि शिवपुरी क्षेत्र व्यवसायिक इलाका है और केपी की छवि एक दबंग नेता की है और शिवपुरी का इतिहास भी बताता है यहां के वोटर दबंग की बजाय विनम्र को अहमियत देते आए है इसलिए कांग्रेस की राह कठिन दिखाई दे रही है वहीं केपी सिंह की प्रचार प्रसार की भी अपनी एक अलग स्टाइल है वह कार्यकर्ता और नेताओं की भीड़भाड़ की जगह अकेले जनसंपर्क करने में ज्यादा विश्वास रखते है जबकि बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए मोजूदा विधायक देवेंद्र रघुवंशी भी खुद यहां से टिकट के तलबगार थे इस कारण उन्होंने केपी का कितना साथ दिया होगा समझा जा सकता हैं। इस तरह इस सीट से कोन जीतेगा फिलहाल साफ तौर पर कहा नहीं जा सकता इसलिए यह सीट भी फंसती नजर आ रही हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे को अपनों से ही खतरा …

खातेगांव की विधानसभा सीट पर भी काफी दिलचस्प स्थिति है और कांटे का मुकाबला है यहां कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र जो बीजेपी छोड़कर पार्टी में शामिल हुए है उन्हें टिकट दिया है तो बीजेपी ने युवा चेहरा आशीष शर्मा को उतारा है यह सीट आदिवासी और ब्राह्मण बाहुल्य है और दोनों प्रत्याशी भी ब्राह्मण वर्ग से आते है इसलिए साफ है यहां निर्णायक वोट आदिवासी है जब दीपक जोशी का टिकट फायनल हुआ तो कांग्रेस में विरोध के स्वर भी उत्पन्न हुए लगा कि दीपक जोशी को भीतराघात का सामना भी करना पड़ सकता है लेकिन बाद में स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई अब भीतरखाने क्या कुछ हुआ वह विरोध कितना रुका इसको सही रूप से नतीजे बताएंगे।

बुरहानपुर : पार्टी का नेता बना मंत्री की जीत में रोड़ा…

बुरहानपुर में बीजेपी से बगावत कर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हर्षवर्धन सिंह चौहान ने भाजपा सरकार ने मंत्री रही अर्चना चिटनिस की परेशानियां बड़ा दी है चूकि हर्ष के पिता नंदकुमार सिंह चौहान जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद रहे है इसलिए इस परिवार की क्षेत्र में अच्छी पकड़ भी है बीजेपी ने मांगने के बाबजूद हर्ष को टिकट न देकर अर्चना चिटनिस को प्रत्याशी बनाया। हर्ष के खड़े होने से राजनेतिक जानकार कहते है इससे भाजपा का बोटबैंक बंट जायेगा और आपसी पैच फंसने से कांग्रेस को लाभ होने की प्रबल संभावना पैदा होती है अब रिजल्ट का ऊंट किस करवट बैठेगा यह बड़ा सबाल बन गया हैं।

मैहर: बागी बना भाजपा के लिए मुसीबत

मैहर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार है यहां कांग्रेस और बीजेपी का गणित बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे नारायण त्रिपाठी ने बिगाड़ दिया है कांग्रेस ने धर्मेश घई को तो बीजेपी ने श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दिया है। शुरूआत में लगा कि नारायण त्रिपाठी कांग्रेस में जा रहे है लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी विंध्य जनता पार्टी बनाई और अपने दम पर अपनी पार्टी से चुनाव में उतर गए, नारायण त्रिपाठी का ट्रेक रिकॉर्ड रहा है वह जहां भी रहे प्रतिद्वंदी की मुश्किलें बढ़ाते रहे है उन्होंने राजनीति की शुरूआत सपा से की और विधायक बने कांग्रेस में गए फिर बीजेपी में शामिल हो गए और विधायक बने लेकिन विंध्य प्रदेश की मांग के साथ अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे सीएम पीएम को पत्र भी लिखा साथ में मैहर को जिला बनाने की मांग भी पुरजोर तरीके से करते रहे लेकिन क्षेत्र में उनकी पकड़ होने से यहां बीजेपी कांग्रेस दोनों को ही परेशानी है अब वे कैसे पार पाते है यह देखना दिलचस्प होगा।

कांग्रेस के पूर्व सांसद के बागी होने से रोचक बनी आलोट…

आलोट विधानसभा में भी विकट स्थितियां देखने को मिल रही है यहां भाजपा ने चिंतामणि मालवीय को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने मनोज चांवला को टिकट दिया है लेकिन इस सीट पर कांग्रेस से बागी होकर चुनाव में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने दोनों पार्टियों के सारे समीकरण तहस नहस कर दिए है समझा जाता है गुड्डू की बेटी रीना बोरासी को कांग्रेस ने सांवेर से टिकट दिया है और पहले कांग्रेस के सांसद भी रहे है इसलिए लगता है उनके नाम पर पार्टी ने विचार नही किया। लेकिन कांग्रेस के पुराने नेता और सांसद रहने से उनका जनाधार भी होगा जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी उनके फेबर में बैठ गया, जिससे माहौल भी बना ,जबकि प्रमुख बात है कि कांग्रेस और बीजेपी से नाराज कार्यकर्ता और नेता गुड्डू के साथ जुड़ गए थे उससे गुड्डू का पड़ला और भारी हो गया। अब समय बताएगा कि उनका जनाधार उनके लिए वोट में कितना तब्दील होता है।

सिवनी मालवा :निर्दलीय ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

नर्मदापुरम (होशंगाबाद) की सिवनी मालवा इन दिनों काफी चर्चा में है यहां कांग्रेस ने एक युवा 29 साल के चेहरे अजय पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे और मोजूदा विधायक प्रेमशंकर वर्मा पर दांव लगाया है। लेकिन इन दोनो के बीच कांग्रेस से बगावत करके चुनाव लड़ने वाले एक निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं ओम रघुवंशी जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता हजारी लाल रघुवंशी के पुत्र है उन्हें टिकट नहीं देकर कांग्रेस ने एक नए चेहरे को मैदान में उतारा यह पार्टी का निर्णय है लेकिन ओम रघुवंशी के खड़े होने से अब त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है चूकि उनके पिता की एक खास पहचान होने के नाते लोगों में परिवार की अच्छी खासी सांख है इस क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है निर्दलीय प्रत्याशी के काफी मजबूत स्थिति में होने से इस सीट पर कांग्रेस बीजेपी के पिछड़ने का डर पैदा हो गया है। इससे साफ है यहां मुकाबला काफी रोचक है तो संशय भरा भी हैं।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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