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एलआईसी को निजी हाथों में सौपे जाने का विरोध शुरू,
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अधिकारी कर्मचारी और एजेंटस ने केंद्र के खिलाफ खोला मोर्चा,
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हड़ताल कर किया प्रदर्शन
ग्वालियर/भोपाल – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने के दौरान एलआईसी को निजी हाथों में सौपे जाने के ऐलान का देश भर में विरोध शुरू हो गया है, आज ग्वालियर सहित प्रदेश में इस निजीकरण के खिलाफ बीमा कर्मचारी अधिकारी और एजेंट एक घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर रहे।
इस दौरान ग्वालियर के सिटीसेन्टर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया और प्रधानामंत्री और वित्त मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की बीमा कर्मियों का कहना था कि इस फायदे के सरकारी संस्थान से देश का विकास होता है इस कमाऊ संस्था को बेचे जाने से हितग्राहियों का विश्वास उठ जाएगा, उनका आरोप था कि एलआईसी को बेचे जाने के कुचक्र के पीछे पूंजीपतियों का हाथ है यह देश के लिये धातक होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट पेश करने के दौरान एलआईसी का आईपीओ जारी करने और उसका 10 फीसदी हिस्सा बेचे जाने के खिलाफ बीमा कर्मी आक्रोशित है इसके विरोध में आज अधिकारी औऱ कर्मचारीउ एक घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर रहे और ग्वालियर के सिटीसेन्टर स्थित भारतीय जीवन बीमा कार्यालय पर उन्होंने प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इस दौरान ग्वालियर डिवीजन इंश्योरेंस एशोसिएशन के महामंत्री ब्रजेश सिंह ने इस फैसले को देश की जनता के साथ धोखा बताते हुए कहा कि इस कंपटीशन के दौर में यह सरकारी संस्था फायदे में है यदि इसे बेचा जायेगा तो हितग्राहियों का विश्वास उठेगा बल्कि देश का विकास भी प्रभावित होगा उनका आरोप है कि इसमें सरकार की मंशा के साथ पूंजीपतियों की साजिश है।
जबकि बीमा एजेंट फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक अग्रवाल का कहना है कि सरकारी संस्था होने से एलआईसी पर सभी विश्वास करते हैंकि उनका पैसा डूबेगा नही लेकिन केंद्रीय सरकार की घोषणा से हमारा विश्वास डगमगा रहा है तो ग्राहकों का विश्वास भी कम होगा जो पैसा देश के विकास और लोगों की जरूरतों पर खर्च होता है वह पूंजीपतियों की जेब मे जायेगा उनका कहना यह भी था, जिस संस्था को 1956 में 5 करोड़ के अंशदान से शुरू किया गया आज वह हजारों करोड़ो के फायदे में है ऐसी कमाऊ संस्था को केंद्रीय सरकार बर्बाद करने पर आमादा है इसे सहन नही किया जायेगा।
खास बात है एलआईसी का देश मे व्यापक तंत्र है इससे 30 करोड़ उपभोक्ता और करीब 12 लाख एजेंट जुड़े है तो अधिकारी कर्मचारियों की संख्या सबा लाख के आसपास है इस तरह एलआईसी का कुनबा काफी बड़ा है सभी को डर है कि यदि इसका निजीकरण होता है तो उनका भविष्य क्या होगा ? जबकि सरकार ने इस बारे में किसी तरह का वक्तव्य नही दिया।